12/05/2024
सच्ची घटनाओं पर आधारित एक कहानी कहानी नाम - अपराजिता
शाम के 6 बजे ऑफिस से फ्री होकर भूमिका के बढ़ते कदम ये बता रहे थे की उसको जल्दी थी कही जाने की ।पर वो एक तालाब किनारे पड़ी कुर्सियों पर एक दम आराम से बैठ गई।और कुछ सोचने लगी।
ये कहानी है एक महिला की जिसका नाम था भूमिका (नाम परिवर्तन है)
भूमिका जन्म एक ऐसे गांव में हुआ जहा चारो तरफ मिट्टी के घर बने हुए थे ।
रात का समय था मीरा को बहुत जोर से प्रवस दर्द सुरू हो गया ।मीरा की सास गांव से दाई मां को लेकर अंदर आई
मीरा का दर्द बढ़ता गया सुबह के 2 बजे मीरा ने एक बच्ची को जन्म दिया मीरा की आखों से खुशी के आसू झलक पड़े
तभी मीरा की सास
अरे बहु तूने तो फिर मोडी पैदा की है मेरा बेटा जिंदगी भर कमात रहेगो और सब जिन मोड़ियन में लगाएगो।बस अब नही। जा मोडी को मार डालो नही चाहिए मोडी अब का घर में
मीरा के तीन लड़के और चार लड़कियां हो चुकी थी मीरा का पति शहर में एक सरकारी नोकरी करता था ।उसी से घर का लालन पालन करता था मीरा और मीरा के छः बच्चे और मीरा का पति सब शहर में साथ में रहते थे।
घर बालो के ताने समाज की बातो में आकर मीरा ने फैसला लिया की इस बच्ची को मारना ही सही रहेगा ।तभी जब भी मीरा अपनी बच्ची की सूरत देखती तो उसे लगता की छोटी सी बच्ची की आंखे जैसे कह रही हो मां मुझे जीना है बहुत ही दुख होता और ममता उमड़ पड़ती की में इसको कैसे मारू
मीरा - नही में ऐसा नही कर सकती
पर जिस समाज में वो रह रही थी वो रूढ़िवादी समाज था ज्यादा किसी के लड़की होती तो उसे मार दिया जाता था कुछ देशी नुक्सो से ।
पहली कोशिश की पर नही मरी दूसरी कोशिश की तब भी नही मार पाए मानो ऐसा लग रहा था जैसे कोई शक्ति है जो उसे बचा रही हो।आखिर में यह बात मीरा के पति को पता चला तो वो तुरंत शहर से गांव के लिए बैठ गए।
मीरा के पति - है भगवान ये सब किया हो रहा है मेरी बच्ची को कुछ नही होने दूंगा यही सोचते सोचते
वो अपने गांव आगया और आते ही उसने अपनी बच्ची को गोद में उठा लिया और बोला मेरी गुड़िया रानी अब तुम्हे कोई नही छूएगा।
आगे की कहानी जानने के लिए मेरी पोस्ट का इंतजार करे ..........बहुत जल्द इस कहानी का नेस्ट पार्ट लेकर आऊंगी