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(7)

13/08/2025
24/07/2025

🔥 "मैं हर वक्त भाभी के साथ मौका तलाशता रहा… उनके इशारे मुझे हां कहते दिखते थे!"

गांव के एक मध्यम वर्गीय परिवार में रहता था रवि — 21 साल का, कॉलेज में पढ़ने वाला होशियार और चंचल युवक।
उसके बड़े भाई संदीप शहर में नौकरी करते थे और साल में सिर्फ़ दो-तीन बार घर आते थे।
घर की देखभाल और रिश्तों को जोड़े रखने का जिम्मा संदीप की पत्नी कविता भाभी के हाथ में था — 27 साल की, शिक्षित, सुंदर और संस्कारी।

कविता ने हमेशा रवि को अपने बेटे जैसा माना।
वो उसकी पढ़ाई में मदद करती, उसके मन की बातें सुनती और जब वो उदास होता तो प्यार से माथा सहला देती।

रवि को शुरू में ये सब मातृत्व लगता था…
लेकिन जवानी के उस दौर में, जहां दिल और दिमाग की दिशा अलग-अलग चलती है,
धीरे-धीरे भाभी के स्नेह को वो मोहब्बत समझ बैठा।

जब कविता रसोई में पल्लू संभालते हुए मुस्कुराती,
जब वो कहते हुए कहती —
“इतना हैंडसम हो गया है मेरा देवर!”,
तो रवि का दिल धड़कने लगता।

वो अब उसे भाभी नहीं, एक औरत के रूप में देखने लगा।
उसने खुद को समझाया, पर दिल कहता — "ये इशारे तो कुछ और कहते हैं…"

और एक दिन, जब घर में सब खेत गए थे और सिर्फ़ रवि और कविता ही घर में थे —
रवि ने कविता से कह दिया —
"भाभी, आप मुझे बहुत पसंद हैं… आप समझती हैं मुझे, चाहती हैं मुझे… क्यों ना हम…"

कविता सन्न रह गई।
कुछ पल तक कमरे में एक अजीब सी खामोशी थी।
फिर उसने रवि की आंखों में देखा — वो आंखें जो मासूम थीं, लेकिन दिशा भटकी हुई थीं।

कविता ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा और कहा —
"रवि, तू मेरा देवर नहीं, मेरे बेटे जैसा है।
मेरे स्नेह को तूने प्रेम समझ लिया — इसमें तेरा दोष नहीं, ये उम्र ही ऐसी है।
लेकिन अगर तू आज ये सीमा पार करेगा,
तो कल अपने ही रिश्तों को देखने की हिम्मत नहीं कर पाएगा।"

रवि की आंखों में आंसू आ गए।
उसे अपने विचारों पर शर्म आई।
उसने कहा —
"भाभी, माफ़ कर दीजिए… मैं बहक गया था। आपने मुझे गिरने से पहले थाम लिया।"

कविता ने मुस्कुराकर कहा —
"रिश्ते कभी शब्दों से नहीं, नज़रों और भावनाओं से बनते हैं।
और जब भी कोई रिश्ता दिल से फिसलने लगे, तो उसे संभालना चाहिए — तोड़ना नहीं।"

उस दिन रवि ने न केवल एक सबक सीखा, बल्कि भाभी के रूप में अपनी सबसे बड़ी शिक्षक को पाया।

आज रवि एक प्रोफेसर है।
वो जब भी रिश्तों पर बात करता है, तो कहता है —
“जिसने रिश्तों की मर्यादा समझाई… वो कोई गुरु नहीं थी, मेरी भाभी थी।”

🙏 अगर ये कहानी आपके दिल को छू गई हो, तो कृपया शेयर करें… ताकि हर युवा समझ सके कि स्नेह और प्रेम में फर्क होता है, और मर्यादा ही रिश्तों की असली नींव होती है। 💔

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