Er Shahrukh Rahman

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31/07/2025

Only Muslim Can Understand This Images

28/07/2025

गोस्त का सड़ना और खाना खराब होना कब से शुरू हुआ

मुंबई की एक वीडियो देखी, एक 4 साल की बच्ची 12वीं मंजिल से गिर गई। ऊंचाई ज्यादा थी, मौत निश्चित हुई। पलभर की गलती, गलती भ...
26/07/2025

मुंबई की एक वीडियो देखी, एक 4 साल की बच्ची 12वीं मंजिल से गिर गई। ऊंचाई ज्यादा थी, मौत निश्चित हुई। पलभर की गलती, गलती भी नहीं कह सकते क्योंकि इंसान घर को बहुत सेफ मानकर चलता है। हुआ यह कि फ्लैट के दरवाजे के बाई ओर एक शू रैक था। महिला ने बच्ची की shoe rack पर यह सोच कर बिठा दिया कि इसको चप्पल पहनाएंगी, इतनी देर में महिला ने अपनी चप्पल पहनने के लिए सर घुमाया, लड़की उसी रैक पर खड़ी हो गई। लड़की के ठीक पीछे एक खिड़की थी जहां न जाली थी न सरिए, बच्ची उसपर बैठ गई और पीछे की तरफ वजन बढ़ने से 12वीं मंजिल से गिर गई। यह सब कोई 2 सेकंड के अंदर हो गया।

एक पल की चूक, और एक मासूम की ज़िंदगी चली गई। घर को हम अक्सर सबसे सुरक्षित जगह मानते हैं, लेकिन बच्चों के नज़रिए से देखें तो घर में बहुत सारे “hazard zones” यानी खतरे के इलाके होते हैं जिनका हमें अंदाज़ा तक नहीं होता। कुछ नीचे है जैसे

बालकनी और खिड़कियाँ

खुली खिड़कियाँ जिनमें जाली या ग्रिल नहीं होती
बालकनी की रेलिंग पर चढ़ने लायक फर्नीचर या स्टूल
खिड़कियों के पास रखा हुआ फर्नीचर या शू रैक

सीढ़ियाँ

घर के अंदर या बाहर की सीढ़ियाँ जहाँ बेबी गेट नहीं लगे हैं
बिना हैंडल या रेलिंग वाली सीढ़ियाँ

रसोईघर

गैस, गर्म तवे, उबलता पानी या चाय
चाकू, काँच के बर्तन, मसालों की शीशियाँ
नीचले दराजों में रखे खतरनाक सामान (सिरका, केमिकल्स, ब्लेंडर आदि)

बाथरूम

फिसलन वाली गीली फर्श
बाल्टी, टब में भरा पानी ( डूबने का खतरा)
शेविंग ब्लेड, साबुन, शैम्पू, टॉयलेट क्लीनर

बिजली के उपकरण और प्लग प्वाइंट्स

खुले स्विच बोर्ड
लगे हुए चार्जर
ज़मीन पर रखे वायर, एक्सटेंशन बोर्ड्स
हीटर, आयरन

फर्नीचर और किनारे

नुकीले टेबल के कोने
गिरने योग्य अलमारियाँ, टीवी स्टैंड या बुक शेल्फ
भारी सामान ऊपर के शेल्फ में रखा हो

छोटे खिलौने और चीजें

बटन बैटरी, सिक्के, पिन, छोटे लेगो टुकड़े जो बच्चा निगल सकता है
पॉलिथीन, प्लास्टिक बैग,जिससे दम घुट सकता है

माता-पिता क्या करें

1. सभी खिड़कियों और बालकनी में ग्रिल या सेफ्टी नेट लगवाएँ।बालकनी के पास कोई भी फर्नीचर, रैक या चेयर न रखें जिससे चढ़ाई की जा सके

2. हर सीढ़ी पर बेबी सेफ्टी गेट लगाएँ

3. रसोईघर बच्चों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र बनाएं

किचन में आने से रोकें, या गैस वाले समय पर किसी सुरक्षित जगह बैठाएँ

4. शू रैक, स्टूल, चेयर, किसी भी ओपन विंडो के पास न रखें

5. सभी इलेक्ट्रिक सॉकेट्स पर प्लग कवर लगाएं

ज़मीन पर वायर न छोड़ें

6. हर बाथरूम में बाल्टी-टब में पानी न रखें जब उपयोग में न हो

7. नुकीले कोनों पर कोने के गार्ड लगाएँ

भारी फर्नीचर को दीवार से फिक्स करें

8. छोटे सामान, बैटरी, पिन, सिक्के बच्चे की पहुँच से बाहर रखें

9. CCTV कैमरा या बेबी मॉनिटर का उपयोग करें, खासकर अगर बच्चा अकेले खेल रहा हो

10. हर कमरे को "लो-एंगल" से देखें

खुद नीचे बैठकर देखें कि बच्चे को क्या-क्या दिखाई देता है और क्या खतरा बन सकता है

ज़िंदगी है तो हादसे है, हम 100% हादसे नहीं रोक सकते लेकिन 90 से 99% तक रोक सकते है।

15/07/2025

और सुन पुलिस ही कह दे, कदी बहम मैं हो

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले का रहने वाला ये शख्स छह साल पहले अपने 15 साथियों के साथ बंगाल की खाड़ी में हल्दिया...
15/07/2025

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले का रहने वाला ये शख्स छह साल पहले अपने 15 साथियों के साथ बंगाल की खाड़ी में हल्दिया के पास मछली पकड़ने गया था। तभी अचानक समुद्र का रुख बदल गया तेज़ तूफान उठा, लहरें बेकाबू हो गईं और देखते ही देखते ट्रॉलर पलट गया।

हर कोई समंदर की विशाल लहरों में बह गया... रवीन्द्रनाथ भी।

लेकिन वो डरने वाला नहीं था। पेशे से मछुआरा होने के कारण पानी उसका दुश्मन नहीं, साथी था। उसने हार नहीं मानी।
वो तैरता रहा… तैरता रहा… ऊपर बस आसमान, नीचे अथाह पानी।घंटे बीते, दिन बीत गए।

5 दिन तक रवीन्द्रनाथ समंदर में अकेले तैरता रहा, न खाना, न पीने का पानी, सिर्फ़ ज़िंदा रहने की जिद। जब बारिश होती, वो वर्षा जल पीकर खुद को जीवित रखता। हर पल मौत नज़दीक थी, लेकिन हिम्मत उससे ज़्यादा मज़बूत थी।

5वें दिन… क़रीब 600 किलोमीटर दूर, बांग्लादेश के कुतुबदिया द्वीप के पास, एक जहाज़ 'एमवी जवाद' गुजर रहा था। जहाज़ के कप्तान ने दूर से समंदर में कुछ हिलता देखा। ध्यान से देखा… कोई इंसान तैर रहा था!

कप्तान ने फ़ौरन एक लाइफ जैकेट फेंकी, लेकिन रवीन्द्रनाथ तक वो नहीं पहुंची। फिर भी कप्तान रुके नहीं… उन्होंने सीमाओं, धर्मों, जातियों की रेखाओं को भुलाकर सिर्फ़ एक चीज़ देखी --- इंसान।

कुछ दूरी पर रवीन्द्रनाथ फिर नज़र आए, और इस बार कप्तान ने जहाज़ घुमा दिया। लाइफ जैकेट फेंकी, और इस बार रवीन्द्रनाथ पकड़ने में कामयाब रहे।

एक क्रेन से उसे ऊपर खींचा गया थका हुआ, अधमरा, लेकिन ज़िंदा। जब वो जहाज़ पर चढ़ा, तो पूरे जहाज़ के नाविक खुशी से चिल्ला उठे।वो सिर्फ़ एक इंसान को नहीं, इंसानियत को ज़िंदा देख रहे थे।

उस लम्हे का वीडियो जहाज़ के एक नाविक ने रिकॉर्ड किया और वो दृश्य आज भी देखने वालों की रूह तक को हिला देता है।

❤️ धन्यवाद, उस जहाज़ के हर नाविक को।

आपने सिर्फ़ एक जान नहीं बचाई आपने हमें याद दिलाया कि इंसानियत अब भी ज़िंदा है।

कभी-कभी एक इंसान की जिद, और दूसरे इंसान की करुणा , पूरी दुनिया को बेहतर बना सकती है - कॉपी पोस्ट # ErShahrukhRahman

Alerts ⚠️:-"इस समय मानसून का मौसम चल रहा है, और ऐसे में अगर आप अपने परिवार के साथ किसी नदी, झरने या नाले जैसे प्राकृतिक ...
30/06/2025

Alerts ⚠️:-
"इस समय मानसून का मौसम चल रहा है, और ऐसे में अगर आप अपने परिवार के साथ किसी नदी, झरने या नाले जैसे प्राकृतिक स्थानों पर घूमने जा रहे हैं, तो कृपया पूरी सतर्कता और सावधानी बरतें। बारिश के कारण पानी का बहाव कभी भी अचानक तेज़ हो सकता है, जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। फिसलन वाली जगहों से बचें, बच्चों को अकेले पानी के पास न जाने दें और मौसम की जानकारी लेकर ही बाहर निकलें। प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ज़रूर लें, लेकिन सुरक्षा को कभी न भूलें।"
Er Shahrukh Rahman

■ इससे बड़ा दानी नहीं कोई.🔴 गत्ते बटोरकर 600 रुपये रोज कमाने वाले इस 'फकीरचंद' के आगे बौने हैं दुनिया के बड़े से बड़े दानवी...
30/06/2025

■ इससे बड़ा दानी नहीं कोई.
🔴 गत्ते बटोरकर 600 रुपये रोज कमाने वाले इस 'फकीरचंद' के आगे बौने हैं दुनिया के बड़े से बड़े दानवीर...!

● हर रोज जो कमाता हूं उसे बैंक में जमा करा देता हूं. जब ज्यादा पैसे जुड़ जाते हैं तो उन्हें इकट्ठा करके किसी भी सामाजिक संस्था को दान कर देता हूं. मैं अकेला ही हूं. भाई-बहनों की मौत हो चुकी है. शादी नहीं की है.

कैथल,
''नाम फकीरचंद... काम कबाड़ बीनना.. हर रोज की कमाई 600 से 700 रुपये, लेकिन 90 फीसदी कमाई को फकीरचंद दान कर देते हैं. अब तक 35 लाख रुपये का दान कर चुके हैं. खुद शादी नहीं की लेकिन कई लड़कियों की शादी करा चुके हैं जो गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थीं. फकीरचंद के चर्चे अब हर जगह हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि उनका नाम जरूर फकीरचंद हैं, लेकिन वह दिल से अमीर हैं. ''

दरअसल, कैथल के फकीरचंद अपनी कमाई का 90 प्रतिशत हिस्सा दान में दे देते हैं. शहर के अर्जुन नगर खनौरी रोड बाईपास गली नंबर-1 में रहने वाले फकीरचंद की उम्र 53 साल है. अकेले जीवन बिताने वाले फकीरचंद के घर की बात की जाए तो 200 गज की जमीन पर बने घर में केवल एक कमरा बना हुआ है.
फकीरचंद कीपैड वाला फोन चलाते हैं. कमरे में लोहे का गेट लगा हुआ है. कमरे में कबाड़ रखा रहता है. एक सीलिंग फैन लगा है, पुराना संदूक है, कुछ बर्तन हैं, दीवारों पर कई सारे देवी-देवताओं की तस्वीरें मौजूद हैं.

फकीरचंद कहते हैं कि वे 5 भाई-बहन थे. 4 का देहांत हो चुका है और हम में से किसी की भी शादी नहीं हुई. वह घर में अकेले ही रहते हैं. फकीरचंद कहते हैं कि मरने से पहले इस मकान को भी दान करके जाऊंगा.

*मैं चाहता तो आराम से जिंदगी काट सकता था- फकीरचंद*
फकीरचंद कहते हैं कि भाई-बहनों के गुजर जाने के बाद पारिवारिक जायदाद मुझे ही मिली. मैं चाहता तो जिंदगी भर आराम से बैठकर खा सकता था. सारी सुख-सुविधाओं का आनंद ले सकता था, लेकिन मेरा विश्वास मेहनत करके कमाने-खाने पर है. जब तक मेहनत करता रहूंगा, शरीर भी ठीक रहेगा और शायद इस जन्म में किए गए पुण्य का फल मुझे अगले जन्म में मिले.

कबाड़ और गत्ता बेचते हैं फकीरचंद
बैंक में जमा करता हूं कमाई, फिर दान कर देता हूं - फकीरचंद
फकीरचंद बताते हैं कि वे पिछले 25 साल से कबाड़ बीनने का काम कर रहे हैं. पैदल ही दुकानों से गत्ता खरीदते हैं और फिर उसे कबाड़ी को बेच देता है. इससे 600-700 रुपये की हर रोज कमाई हो जाती है. कमाई की रकम को बैंक अकाउंट में जमा करा देते हैं. जब ज्यादा रकम इकठ्ठा हो जाती है तो उसे विभिन्न सामाजिक संस्थाओं को दान दे देते हैं या फिर सामाजिक कार्यों में लगा देते हैं.

5 लड़कियों की कराई शादी, हर किसी को 75 हजार का सामान
फकीरचंद अब तक गरीब परिवार से आने वालीं 5 लड़कियों की शादी करा चुके हैं. उन्होंने हर एक लड़की को 75 हजार रुपये का सामान भी दिया.
फकीरचंद के दान की लिस्ट

कैथल गोपाल धर्मशाला में गायों के लिए शेड बनवाया, जिस पर 3 लाख रुपए खर्च किए.

नंदीशाला गौशाला में शेड के लिए 4 लाख रुपये का दान.

कैथल की नई अनाज मंडी के नजदीक बनी गौशाला को 4 लाख रुपए का दान.

अरुणाय मंदिर पिहोवा में बनी कैथलवालों की धर्मशाला में भी 1 लाख 70 हजार रुपए की लागत से बनवाया शेड.

निर्माणाधीन नीलकंठ मंदिर में भी फकीरचंद अब तक 12 से 13 लाख रुपए दान दे चुके हैं.

वृद्ध आश्रम कमेटी चौक में 2 लाख 30 हजार रुपये की लागत से कमरा बनवाया.

कैथल में मौजूद खाटू श्याम मंदिर में 3 लाख 60 हजार रुपये से शेड बनवाया.

28/06/2025

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28/06/2025

28/06/2025

ज़िंदगी, एक अनमोल तोहफा, जो हर पल हमें कुछ सिखाता है। ख़बर सुन कर बेहद दुख हुआ कि शेफाली जरीवाला (काँटा गर्ल) एक चमकता सितारा, जो इतनी जल्दी हम सबको अलविदा कह गया।

उनकी हंसी, उनका बेबाक अंदाज़, और उनकी जिंदादिली आज भी हमारे दिलों में गूंज रही है। पर ये खबर एक बार फिर याद दिलाती है कि ज़िंदगी कितनी नाज़ुक, कितनी अनिश्चित है।

कौन जानता है, कल का सूरज क्या लाएगा? हमें आज को जी लेना चाहिए

उन नाराज़गियों को छोड़ दो, जो दिल को भारी करती हैं।

उन झगड़ों को भूल जाओ, जो वक़्त चुराते हैं।

अपनों के साथ वक़्त बिताओ, उनके साथ हंसी बांटो, उनकी बातें सुनो, और प्यार लुटाओ।

ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं, हर सांस एक मौका है—हंसने का, जीने का, सपने पूरे करने का।

किसी पुरानी दोस्ती को फिर से जगाएं, मम्मी-पापा से दिल की बात करें, या बस एक लंबी सैर पर निकलकर ज़िंदगी को गले लगाएं।

खुलकर जियो, खुलकर हंसो, और प्यार बांटो। क्योंकि ये पल, ये हंसी, यही ज़िंदगी है।


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