
09/08/2025
रक्षाबंधन-अटूट प्रेम और रक्षा का पवित्र पर्व
रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, परंपरा और भाई-बहन के रिश्ते में निहित विश्वास, प्रेम और त्याग का अद्भुत प्रतीक है। इसका इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और इसमें धर्म, इतिहास और लोककथाएँ एक साथ जुड़ी हुई हैं।
पुराणों में उल्लेख
भागवत पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब विष्णु जी ने असुरों से अमृत कलश की रक्षा का वचन दिया, तब लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बाँधकर विष्णु को अपने साथ ले जाने का आग्रह किया। तभी से रक्षासूत्र बाँधने की परंपरा का आरंभ माना जाता है।
महाभारत में, द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की उंगली कटने पर अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बाँध दिया। बदले में कृष्ण ने आजीवन उनकी रक्षा का वचन दिया।
ऐतिहासिक प्रसंग...
मुगल काल में, चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने अपनी रक्षा के लिए मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी। हुमायूँ ने इस बंधन की लाज रखते हुए चित्तौड़ की रक्षा की।
राजपूत वीरांगनाओं के लिए राखी केवल प्रेम नहीं, बल्कि सम्मान और सुरक्षा का वचन भी थी।
आध्यात्मिक महत्व...
रक्षाबंधन में बाँधी जाने वाली राखी (रक्षा सूत्र) केवल धागा नहीं, बल्कि संस्कारों, आशीर्वाद और प्रार्थना का प्रतीक है। यह धागा भाई को केवल बहन से नहीं, बल्कि धर्म और कर्तव्य से भी बाँधता है।
आज का महत्व...
आज के समय में रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते के साथ-साथ परिवार और समाज में प्रेम, एकता और सुरक्षा का संदेश देता है।
यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सच्चा रिश्ता केवल खून से नहीं, बल्कि विश्वास और जिम्मेदारी से बनता है।
#रक्षाबंधन