
25/08/2025
डमरू केवल एक वाद्य यंत्र नहीं है, बल्कि यह सृजन (Creation), विनाश (Destruction) और संतुलन (Balance) का प्रतीक है।
बाईं ओर – सृजन (Creation) का प्रतीक है।
दाईं ओर – विनाश (Destruction) का प्रतीक है।
बीच का भाग – संतुलन (Balance) दर्शाता है।
यह भगवान शिव का विशेष प्रतीक माना जाता है। उनके हाथ में डमरू अक्सर तांडव मुद्रा में दिखाया जाता है। तांडव में यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा (Cosmic Energy) के प्रवाह का द्योतक है।
अंत में एक गहरी बात कही गई है:
"जहाँ समय आरंभ होता है, अंत भी वहीं होता है।"
👉 इसका अर्थ है कि सृष्टि का हर चक्र (Creation–Balance–Destruction) उसी बिंदु पर वापस आता है जहाँ से शुरू हुआ था — यह ब्रह्मांडीय चक्र अनंत है।