26/03/2025
"तुम हो कौन?"
पिछली पहचान से पूछते हो, मैं कौन हूँ,
हर लम्हे में बसा हूँ, फिर भी अनजान हूँ।
न नाम से बंधा, न शक्ल से तय,
मैं वो एहसास हूँ, जो दिल में रह जाए सदा।
मैं बीते लम्हों की खामोश सदा हूँ,
वो भूला हुआ सपना, जो अधूरा जगा हूँ।
पिछली पहचान में ढूँढोगे तो खो जाओगे,
मैं नया सवेरा हूँ, जो हर रोज़ मुस्कुराता है।
तुम्हारी हर सोच में, हर सवाल में हूँ,
पहचान से परे, एक ख्याल में हूँ।
कौन हूँ, ये सवाल ही अधूरा रहेगा,
क्योंकि मैं सिर्फ मैं नहीं, तुम्हारा एक हिस्सा भी हूँ।