14/07/2025
#पुण्यतिथि
11 मार्च, 1994 का दिन था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई—अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा—की एक बैठक इसके रेशम बाग, नागपुर स्थित मुख्यालय के अंदर डॉ. हेडगेवार सभागार में चल रही थी।सुबह के दस बजे थे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह एच.वी. शेषाद्रि ने देश भर से आए लगभग एक हजार प्रतिनिधियों का स्वागत किया, जो चर्चा में भाग लेने के लिए आए थे। शेषाद्रि ने फिर कुछ प्रमुख व्यक्तियों को श्रद्धा-सुमन भेंट किए, जो हाल ही में स्वर्गवासी हुए थे और फिर उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों की एक समेकित समीक्षा प्रस्तुत की।
तभी बाईं दिशा की ओर से कुछ हलचल हुई और सबने देखा कि लगभग आधा दर्जन स्वयंसेवक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस को मंच पर ला रहे हैं।देवरस पहिएदार कुर्सी पर बैठे हुए थे। स्वयंसेवकों की मदद से वे मंच पर पहुँचे। उनके सामने एक माइक रखा गया और उन्होंने धीमी आवाज में स्वयंसेवकों को संबोधित करना शुरू किया, “पूजनीय गुरुजी ने मुझे यह जिम्मेदारी वर्ष 1973 में दी थी। आप सबके सहयोग और समर्थन से मैं अब तक उस जिम्मेदारी को अपने कंधों पर उठा पाया, मगर गिरते स्वास्थ्य के कारण मेरे लिए अब यात्रा करना संभव नहीं रह गया है। इस कारण से सभी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ मशविरे के बाद मैंने यह निर्णय लिया है कि यह जिम्मेदारी अब प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (आमतौर पर ‘रज्जू भैया’ के नाम से जाने जानेवाले) अपने कंधों पर लें। मुझे पूरा भरोसा है कि रज्जू भैया को भी इसी प्रकार का सहयोग और समर्थन मिलता रहेगा। मैं भी एक स्वयंसेवक की भाँति अपना सवश्रेष्ठ योगदान देने के लिए हमेशा प्रत्यनशील रहूँगा।” जब उन्होंने घोषणा समाप्त की, उस समय सुबह के 10.40 बजे थे। सभागार में वातावरण शांत था और थोड़ा सा भावनात्मक भी। बालासाहब ने फूलों का एक गुच्छा और एक नारियल रज्जू भैया की शुभ शुरुआत के चिह्न के रूप में भेंट किया। फिर समय आ गया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे और नवनियुक्त सरसंघचालक द्वारा स्वयंसेवकों के संबोधन का।रज्जू भैया ने एक संक्षिप्त उद्बोधन दिया, जिसमें उन्होंने सबको शुभकामनाएँ दीं और संघ में अपनी नई भूमिका एवं जिम्मेदारी के लिए लोगों से समर्थन की अपेक्षा की।
आज आदरणीय रज्जू भैया की पुण्यतिथि पर उनको सादर नमन् और विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🕉️