20/07/2023
#कुड़मि की नासमझी (बेवकुफी की हद)-:भारत में कानुन दो तरह के हैं। फौजदारी (क्रिमिनल) व दीवानी (सिविल)! फौजदारी कानून सभी पर समान रूप से लागू हैं।दीवानी कानुन(1865 का भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम,व 1956 हिन्दू विवाह अधिनियम) के अनुसार शादी,तलाक,गोद, अभिभावक, उत्तराधिकार,जमिन व संपत्ति का बंटवारा आदि तय होते हैं।1885-1891के सर्वे में H.H RISLEY ने कुड़मि को जनजाति पाया और सरकार को बताया कि उत्तराधिकार के मामले में इसके अपने पुरखैनि नियम हैं।साथ ही सरकार ने पाया कि कुड़मि के उत्तराधिकार व विरासत के नियम सरकार के उत्तराधिकार अधिनियम 1865 से मेल नहीं खाते । अतः सरकार ने कुड़मि को भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1865 से13 मई 1913 से मुक्त कर दिया। उक्त अधिनियम वस्तुत: हिन्दू, सिक्ख बौद्ध जैन पर लागू है।बेवकुफ कुड़मि किस मुंह से कहता है वह हिन्दू है।यदि है तो क्या सिविल मामलों में वह भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम से चलना चाहेगा?
#दिपक_पुनरिआर