18/02/2025
मृत्युभोज : एक निरर्थक परंपरा
हमारे समाज में मृत्यु से जुड़ी कई परंपराएँ हैं, जिनमें से एक है मृत्युभोज। इसे किसी प्रियजन की मृत्यु के बाद सामूहिक भोजन के रूप में आयोजित किया जाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में जरूरी है, या सिर्फ अंधविश्वास के चलते हम इसे ढो रहे हैं?
मृत्युभोज का मूल उद्देश्य शोकग्रस्त परिवार को सामाजिक समर्थन देना था, लेकिन आज यह महज एक दिखावे की रस्म बन गया है। कई बार आर्थिक रूप से कमजोर परिवार सिर्फ समाज के दबाव में कर्ज लेकर भी इसे पूरा करने को मजबूर हो जाते हैं। यह न सिर्फ आर्थिक बोझ बढ़ाता है बल्कि दुख की घड़ी में अनावश्यक तनाव भी देता है।
समाज में यह धारणा बनी हुई है कि मृतक की आत्मा की शांति के लिए मृत्यु भोज आवश्यक है। लेकिन क्या किसी की आत्मा को शांति देने के लिए खर्चीला भोज आवश्यक है? अगर हम वास्तव में मृतक की आत्मा की शांति चाहते हैं, तो जरूरतमंदों की मदद करें, गरीबों को भोजन कराएँ, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में योगदान दें।
हमें पुरानी परंपराओं पर सवाल उठाने की जरूरत है—जो समाज के लिए उपयोगी हों, उन्हें अपनाएँ, और जो अंधविश्वास पर आधारित हों, उन्हें त्यागें। मृत्युभोज सिर्फ एक दिखावा है, जिसे छोड़कर हम एक स्वस्थ और प्रगतिशील समाज की ओर बढ़ सकते हैं।