10/12/2025
📌 इस्लाम में पक्की क़बर बनाने का हुक्म — हदीस की रौशनी में
(सही रेफरेंस के साथ)
अक्सर लोग अपने रिश्तेदारों की क़बर को टाइल, मार्बल, सीमेंट से पक्का बना देते हैं,
लेकिन क्या इस्लाम में ऐसा करना जायज़ है?
इसका जवाब हदीस में बहुत साफ़ मिलता है:
🔴 1. रसूलुल्लाह ﷺ ने पक्की क़बर बनाने से मना किया
हदीस:
नबी ﷺ ने क़ब्रों को चूना-गारा (plaster) करने,
उन्हें ऊँचा बनाने,
और उनके ऊपर इमारत खड़ी करने से मना फरमाया।
— सहीह मुस्लिम, किताबुल जना’इज़, हदीस 970
📌 इससे साफ़ होता है कि
सीमेंट,
टाइल्स,
मार्बल,
पत्थर का चबूतरा
➡️ सब इस्लाम में मना है।
🔴 2. क़बर को ज़मीन से ज़्यादा ऊँचा करना भी मना
हदीस:
“क़ब्र को बस एक बलीष्ट (लगभग एक हाथ) जितना ऊँचा रखो ताकि पहचान हो सके।”
— सुन्नन अबू दाऊद, हदीस 3225
📌 यानी क़बर सिर्फ पहचान लायक होनी चाहिए,
उसे दीवारें या पक्का निर्माण बनाना जायज़ नहीं।
🔴 3. क़ब्रों पर इमारतें बनाना — सख़्त मनाही
हदीस:
“अल्लाह ने यहूदियों-नसरानियों पर लानत की, जिन्होंने अपने नबियों की क़ब्रों को मस्जिद बना लिया।”
— सहीह बुखारी, हदीस 1330
— सहीह मुस्लिम, हदीस 529
📌 यानी क़ब्र पर कमरा, गुम्बद, मज़ार, चबूतरा आदि बनाना इस्लाम में सख़्त नाजायज़ है।
🟢 इस्लाम में क्या जायज है?
क़बर सिर्फ मिट्टी की हो
ऊपर बस सादा मिट्टी का टीला
सरहाने एक सादा पत्थर सिर्फ पहचान के लिए
कोई लिखावट, आयत, डिज़ाइन, सजावट नहीं
इस्लाम में पक्की क़बर बनाना —
सीमेंट, टाइल, मार्बल, चबूतरा, कमरा, गुम्बद —
➡️ सभी चीज़ें हदीस के खिलाफ़ और नाजायज़ हैं।
क़बर में सोने वाला सिर्फ सादगी और दुआ का मुहताज है, न कि निर्माण और सजावट का।