08/11/2024
#दिव्या_मदेरणा शुरुआत करते समय ध्यान रखना चाहिए कि किससे पंगा ले रही हूं ?
जी के चुनाव चिन्ह बोतल को भाखरी के कुएं में डालने का बोल रही थी ? वो उचित था क्या ?
खींवसर जाकर राजनीतिक टेम्परेचर माप रही थी उसकी कहां जरुरत थी ?
सबको अपना अपना निशान और झंडा प्यारा होता है उसका अपमान कोई सहन नहीं करेगा ?
अब कुछ जाकर मामला शांत हुआ तो दिव्या मदेरणा ने हालत टाइट और रात को 4-5 बजे वोट मांगने और पैर पकड़ने का बयान देकर बॉस को फिर उकसा दिया !
लोकतंत्र में जनता माई बाप है और वोटों के लिए जनता के पैर पकड़ने में कैसी शर्म ? खींवसर हनुमान बेनीवाल जी का क्षेत्र है उसमे वो 4 बजे घूमे या 12 बजे दिव्या मदेरणा को तकलीफ़ क्यों हो रही है ?
पहले शेरनी बनकर उलजलूल बयान दे देती है फिर काउंटर अटैक आता है तो बिलबिलाने लग जाती है और जाट की बेटी - किसान की बेटी और महिला कार्ड खेलकर अपने पापों को छुपाने का प्रयास कर रही है !
क्या हनुमान बेनीवाल जी पर बयान बाजी करने और गलत बोलने के लिए जाट समाज या किसानों ने कहा था ?
जब सहन करने की शक्ति नहीं है तो पहले शुरुवात नहीं करनी चाहिए और राजनीतिक अखाड़े में आने के बाद बेचारे और बापड़ी शब्द का कोई मतलब नहीं है ।
इस जंग की शुरुआत दिव्या मदेरणा ने की थी और हनुमान बेनीवाल जी ने पहले ही कह दिया कि कोई छेड़ेगा तो छोड़ूंगा नहीं और एक रुपए का सवा रुपया डालूंगा तो अब दिव्या को बिलबिलाना नहीं चाहिए ।
सोते शेर को क्यों छेड़ा ?
एक कहावत है कि " ताडूके क्यों है ? क्योंकि मैं सांड हूं , तो पोठा क्यों करें ? क्यों कि डर लग रहा है "
पहले सांड बनो मत या फिर डरो मत
#खींवसर_उपचुनाव