14/08/2025
कभी-कभी, चुप रहना गुनाह बन जाता है।
हमारे लिए ये पोस्ट करना ‘चॉइस’ नहीं… मजबूरी है।
क्योंकि अगर हम चुप रहे, तो ये सवाल कौन पूछेगा?
तिरंगे और सेना का सम्मान शब्दों से नहीं, कर्मों से साबित होता है।
और जो लोग उस सम्मान को ठेस पहुँचाते हैं… क्या उन्हें आज़ादी के दिन देश का प्रतीक थमाना सही है?
ये तो एक खुला और साफ़ मामला है।
21वीं सदी में, इतनी मज़बूत सरकार होते हुए भी अगर वोट गणित सम्मान से बड़ा हो जाए, तो ये सोचने वाली बात है।
पहले दिन ही सख़्त कदम उठता, तो तस्वीर कुछ और होती।
हमारा मक़सद किसी पार्टी या विचारधारा को गिराना नहीं — बस इतना याद दिलाना है कि देश और सेना का सम्मान किसी भी राजनीति से ऊपर है।
अगर हमारे द्वारा साझा की गई जानकारी किसी भी भारतीय क़ानून के विरुद्ध पाई जाती है,
तो हम बिना किसी आपत्ति के इसे तुरंत हटा देंगे।
सवाल ज़रूरी है। जवाब आपको तय करना है।
🇮🇳 Jai Hind | Jai Hind Ki Sena 🇮🇳