Hamara Manch

Hamara Manch Kavi Sammelan Organizer
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27/10/2025

क्या तबियत से धुलाई करता है धुलने वाला भी हँसता है 🤣 Laturi Latth | Hamara Manch Hasya Kavi Sammelan

वो जानता है उस की दलीलों में दम नहींफिर भी मुबाहिसों का उसे शौक़ कम नहींपूछो ज़रा ये कौन सी दुनिया से आए हैंकुछ लोग कह र...
27/10/2025

वो जानता है उस की दलीलों में दम नहीं
फिर भी मुबाहिसों का उसे शौक़ कम नहीं

पूछो ज़रा ये कौन सी दुनिया से आए हैं
कुछ लोग कह रहे हैं हमें कोई ग़म नहीं

किस किस के एहतिराम में सर को झुकाऊँ मैं
मेरे अलावा कौन यहाँ मोहतरम नहीं

मिलता है जिन से राह-नवर्दों को हौसला
मेरे लिए वो लोग भी मंज़िल से कम नहीं

हम कारोबार-ए-दिल को कहें किस तरह ग़लत
होंगे बहुत से लोग ख़सारे में हम नहीं

अक़ील नोमानी

26/10/2025

किसी ने सोचा नहीं था कि इस गीत पर इतना बड़ा हंगामा हो जायेगा 🔥⚡ Dr Nayab Balyavi | Hamara Manch Kavi Sammelan

ज़रा मोहतात होना चाहिए थाबग़ैर अश्कों के रोना चाहिए थाअब उन को याद कर के रो रहे हैंबिछड़ते वक़्त रोना चाहिए थामिरी वादा-...
26/10/2025

ज़रा मोहतात होना चाहिए था
बग़ैर अश्कों के रोना चाहिए था

अब उन को याद कर के रो रहे हैं
बिछड़ते वक़्त रोना चाहिए था

मिरी वादा-ख़िलाफ़ी पर वो चुप है
उसे नाराज़ होना चाहिए था

चला आता यक़ीनन ख़्वाब में वो
हमें कल रात सोना चाहिए था

सुई धागा मोहब्बत ने दिया था
तो कुछ सीना पिरोना चाहिए था

हमारा हाल तुम भी पूछते हो
तुम्हें मालूम होना चाहिए था

वफ़ा मजबूर तुम को कर रही थी
तो फिर मजबूर होना चाहिए था

फ़हमी बदायूनी

25/10/2025

जिस कवि का नाम ही है नरकंकाल हँसा हँसा कर देगा बेहाल 🤣 Narkankal | Hamara Manch Hasya Kavi Sammelan

दुनिया में वही लोग बुरे हैं जो भले हैंढूँडोगे अंधेरे तो चराग़ों के तले हैंछोड़ा न गया धूप में जिस पेड़ का सायाआँधी में उ...
25/10/2025

दुनिया में वही लोग बुरे हैं जो भले हैं
ढूँडोगे अंधेरे तो चराग़ों के तले हैं

छोड़ा न गया धूप में जिस पेड़ का साया
आँधी में उसी पेड़ से हम बच के चले हैं

ये देखिए फिर भी न बदल पाई ये दुनिया
लोगों ने तो भूलों पे बहुत हाथ मले हैं

वो भी तो हमें छोड़ के रुख़्सत हुए कब के
हम जिन के अँधेरों में चराग़ों से जले हैं

ऊँचाइयाँ हासिल हुईं तक़दीर से जिन को
इक रोज़ वो सब लोग भी सूरज से ढले हैं

तक़दीर ने उन को भी सितारों पे बिठाया
'पर्वाज़' जो इंसान ग़रीबी में पले हैं

विजेंद्र सिंह परवाज़

24/10/2025

दुनिया हैरान है हमारी विरासत और इतिहास देख कर पर हमें उसी पर गर्व नहीं है | Dharmesh Avichal | Hamara Manch Kavi Sammelan 2025

अब न आएगा कभी रूठ के जाने वालाउम्र भर ख़त वही पढ़िएगा सिरहाने वालावो मरासिम भी निभाता है तो रस्मों की तरहआ गया उस को भी ...
24/10/2025

अब न आएगा कभी रूठ के जाने वाला
उम्र भर ख़त वही पढ़िएगा सिरहाने वाला

वो मरासिम भी निभाता है तो रस्मों की तरह
आ गया उस को भी दस्तूर ज़माने वाला

ये जुदा होने की रुत है न दिखाओ जी को
ज़िक्र छेड़ो न कोई अगले ज़माने वाला

मैं ने यादों को कफ़न दे के सुला रक्खा है
कौन आएगा यहाँ मिलने मिलाने वाला

शिद्दत-ए-ग़म से पिघल जाओगे इक दिन तुम भी
सीख लो हम से हुनर हँसने हँसाने वाला

ख़ूब उजाड़ा है कई बार दयार-ए-दिल को
जा बसा दूर कहीं घर को बसाने वाला

अब तो रस्मन भी मुलाक़ात न होगी उस से
बस ख़यालों में चला आएगा जाने वाला

सुरेन्द्र पंडित सोज़

23/10/2025

पहली चार पंक्तियों पर ही हंगामा हो गया 🔥⚡ Das Aaruhi Anand | Hamara Manch Kavi Sammelan

जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती हैयादों के दरीचों में चिलमन सी सरकती हैलोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाएयूँ याद तिरी श...
23/10/2025

जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती है
यादों के दरीचों में चिलमन सी सरकती है

लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है

यूँ प्यार नहीं छुपता पलकों के झुकाने से
आँखों के लिफ़ाफ़ों में तहरीर चमकती है

ख़ुश-रंग परिंदों के लौट आने के दिन आए
बिछड़े हुए मिलते हैं जब बर्फ़ पिघलती है

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है

बशीर बद्र

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैंहम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैंशम्अ' जिस आग में जलती है नुमाइश के लिएहम उसी आग म...
22/10/2025

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं

शम्अ' जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए
हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं

बच निकलते हैं अगर आतिश-ए-सय्याल से हम
शोला-ए-आरिज़-ए-गुलफ़ाम से जल जाते हैं

ख़ुद-नुमाई तो नहीं शेवा-ए-अरबाब-ए-वफ़ा
जिन को जलना हो वो आराम से जल जाते हैं

रब्त-ए-बाहम पे हमें क्या न कहेंगे दुश्मन
आश्ना जब तिरे पैग़ाम से जल जाते हैं

जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं

क़तील शिफ़ाई

21/10/2025

सिर्फ दिखावे के लिए जबरदस्ती भारत माता की जय बोलने से क्या होगा 🇮🇳 Yashpal Yash | Hamara Manch Kavi Sammelan

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नमस्कार। This is Official Facebook profile of renowned Haryanvi Poet Yashdeep Kaushik “Yash” - कवि यशदीप कौशिक 'यश'। Kavi Yashdeep Kaushik "Yash" is a Versatile Poet (All genres of Poetry), Lyricist, Storyteller and Motivational Speaker. By Qualification and Profession he is a Computer Engineer and Certified ITIL and Project Management Professional (PMP) with keen focus on Information Technology Service Management.

Kavi Yashdeep Kaushik “Yash” has been on various reality shows on several popular national channels from time to time. Since past many years, he has been performing as a Hasya Kavi and Manch Sanchalak all over the country and has made a unique identity as “YO YO Haryanvi”, among his poetry friends and fans. He turned to his love for poetry and literature into his passion and a mission when he started reciting poems and stories at various events and also over various digital platforms. Besides having performed in hundreds of Kavi Sammelans across various state geographies of India, Kavi Yashdeep Kaushik “Yash” has been specially recognized for the foundation of “Hamara Manch” a globally recognized Poetry Platform dedicated to preserve and enrich Indian Literature, Education and Culture.

कवि यशदीप कौशिक 'यश' हास्य व्यंगय रस के कवि व सिद्ध मंच संचालक हैं | बाल्यकाल कक्षा 6 से ही यशदीप के हृदय में काव्य के बीज अंकुरित होने लगे थे और 12वीं कक्षा तक पहुँचते पहुँचते यशदीप स्थानीय गोष्ठियों व सम्मेलन मंचों पर काफी सक्रिय हो चूका था। 12वीं के बाद इंजीनियरिंग में दाखिले के बाद यशदीप काव्य लेखन से धीरे धीरे दूर होता चला गया और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के बाद नौकरी पेशे व गृहस्थी की व्यस्तता ने इस दूरी को और भी बढ़ा दिया था। परन्तु दो दशक के बाद नियति ने एक बार फिर से यशदीप को कविता लेखन की तरफ आकर्षित किया तो हिंदी कवि सम्मेलन मंचों को यशदीप कौशिक 'यश' के रूप में एक नया कवि मिल गया।

माँ शारदे की असीम अनुकम्पा एवं बड़ों के आशीर्वाद से इसके बाद फिर कवि यशदीप कौशिक 'यश' ने पीछे मुद कर नहीं देखा। आज यशदीप कौशिक 'यश' एक ऐसे ऊर्जावान कवि हैं जो हिंदी कवि सम्मेलन की दुनिया में हास्य व्यंग्य कवि एवं सफल मंच संचालक के रूप में स्थापित है व कवि सम्मेलन एवं मुशायरों के अदबी माहौल में किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं। कवि सम्मेलन की दुनियां का एक सीधा, सच्चा एवं सरल, मंच और कविता के प्रति ईमानदार नाम है कवि यशदीप कौशिक 'यश', जिनकी काव्य प्रस्तुति आज भी लोगो के ह्रदय पटल पर अपनी छाप छोड़ देती है। कवि यशदीप कौशिक 'यश' की सरस वाणी व सहज व्यवहार युवाओं को बहुत ही प्रेरित करती हैं, व सोशल मीडिया पर लाखों लोग कवि यशदीप कौशिक 'यश' को बेहद पसंद करते हैं!