उपाय शून्य - Upaya Shunya

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सत्य के खोजी को कभी रुकना नहीं चाहिए। मैंने सुना है कि जब सत्य मिल जाता है तो यात्रा पूरी हो जाती है, लेकिन अनुभव ये कहत...
18/05/2025

सत्य के खोजी को कभी रुकना नहीं चाहिए। मैंने सुना है कि जब सत्य मिल जाता है तो यात्रा पूरी हो जाती है, लेकिन अनुभव ये कहता है कि यात्रा तो अब शुरू हुई है।
अब सत्य का खोजी हर संभव माध्यम से उस सत्य पर बार बार पहुंचेगा। कहते हैं भगवान शिव ने माता पार्वती को 108 या 112 तरीकों की जानकारी दी ओर संभवतः गुरु गोरख नाथ जी ने अनेकों माध्यम ऐसे ही तो नहीं सुझाए होंगे?

सत्य तक पहुंचने का एक ओर आसान मार्ग है ज्योतिष।
ज्योतिष में नवग्रहों को लिया गया है: सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र, मंगल, बुध, शनि, राहु और केतु। यहां हम पौराणिक कथाओं पर चर्चा नहीं करेंगे बल्कि एक नए तरीके से इन्हें समझेंगे जो मुझे गुरु जी के सानिध्य में समझने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

सूर्य हमारी आत्मा है तो चंद्र हमारा मन
केतु पृथ्वी के नीचे के खनिज हैं तो राहु पृथ्वी के ऊपर का वातावरण
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि केतु हमारे शरीर के भीतरी अंग हैं तो राहु हमारा रंग रूप और दिखावा।

बाकी के 5 ग्रह पंच तत्व हैं।

अब अगर हम इस हिसाब से अपनी कुंडली देखना सीख लें ( पारंपरिक तरीके से नहीं) तो हम जान सकते हैं कि पंच तत्वों में से हमारा कौन सा तत्व पहले से ठीक है और किस तत्व पर काम करने की जरूरत है।

मान लो किसी का पृथ्वी तत्व कमजोर है और बाकी बैलेंस हैं तो उसे हर बार लगेगा कि वो सत्य के करीब है, कभी किन्हीं क्षणों में वो तत्व बैलेंस हो जाता है तो घटना घट जाती है। फिर कुछ समय बाद वो तत्व पुनः अपनी स्थिति में लौट जाता है तो इंसान उस क्षण की तलाश में दर दर भटकता है।

अपने पंच तत्वों को समझ कर उन पर काम करके गरीब से गरीब आदमी भी परम आनंद की राह पकड़ सकता है।

बस पूरी तरह पारंपरिक ज्योतिष के चक्कर में मत पड़ना, भले ही आप ज्योतिष का काम करते हों। पारंपरिक ज्योतिष इस दिशा में बहुत सहायक है, लेकिन इसमें नए दृष्टिकोण की जरूरत है।
सामान्य ज्योतिष में आप यही पढ़ेंगे कि 12th house से मोक्ष या मुक्ति देखी जाती है या इसके साथ दूसरे भावों ओर उनके स्वामियों को देखना होता है। उनकी गणना के हिसाब से जिस कुंडली में मोक्ष का योग होता है, उसे कोई अनुभव घटा हो ऐसा कोई उदाहरण मुझे तो नहीं मिला। ओर बाकियों की कुंडली में ऐसा योग होता नहीं।

फिर भी असंख्य लोगों ने उन क्षणों का स्वाद चखा है, ओर पुनः उस स्थिति को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं। ओर सच जानिए कोई गुरु, तांत्रिक, प्रवचनकर्ता आपको हमेशा के लिए उस स्थिति में नहीं पहुंचा सकता।

ये घटित होता है आपके भीतर के संतुलन से, पंच महाभूत (पंच तत्व) के साथ जब आपका चन्द्र स्वरूप मन संतुलित हो जाता है। तभी तो पीर फकीरों ने कहा है कि इसे सम्हालना बड़ा मुश्किल है।

आशा है आप समझ गए होंगे।

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15/05/2025

इस अनूठी रिसर्च के लिए शेयर तो बनता है, अगर आपकी जानकारी में कोई है तो उसे जरूर बताएं। ये सबसे आसान और कारगर समाधान है।
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मुलाधार चक्र संतुलित होने पर मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।

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ना या नहीं, ये एक ऐसा शब्द है जिसने मेरे जीवन को लगभग पूरी तरह ढक लिया है। दिन में कम से कम 10 बार मैं किसी ना किसी बात पर ना कर देता हूं। इतनी ना ना के बाद भी जीवन चल रहा है ।
मजे की बात ये है कि मैं मौत के विचार को ना नहीं कर पाता हूं।
ज्यादा कुछ है नहीं लिखने को, इतना भी इसलिए लिखा की कहीं दिमाग बिलकुल काम करना बंद ना कर दे 😀
ये भी अजीब भय है, ना तो पैदा होने पर मेरा कोई वश था, ना मृत्यु पर कोई वश दिखाई देता, बस बीच की चीजों को अपने वश में करने की लालसा सी रहती है।
हालांकि ये लालसा भी हर बार बेबस ही नजर आती है।

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