
10/08/2025
यह तस्वीर अप्रैल 2025 में धराली की है।
जो विशाल पंखे जैसी आकृति आपको दिखाई दे रही है, वह दरअसल "खीर गाड़" नामक नदी द्वारा सदियों से बहते हुए जमा की गई गाद और बजरी से बनी एक प्राकृतिक एलुवियल फैन (नदी द्वारा बनाई गई समतल भूमि) है, जो आगे जाकर भागीरथी नदी में मिलती है।
स्थानीय लोगों ने भागीरथी की मुख्य धारा के भीतर गहराई तक पत्थरों की एक मजबूत दीवार (रेटेनिंग वॉल) खड़ी कर दी, और खीर गाड़ के प्राकृतिक बहाव को मोड़ने के लिए उसकी घुमावदार धारा के किनारे-किनारे पुश्ते बना दिए। इन कृत्रिम संरचनाओं के सहारे इस जगह को ‘सुरक्षित’ मानकर यहाँ मकान, होटल और बग़ीचे बना दिए गए — मानो अब इस नदी पर पूरा नियंत्रण पा लिया हो।
शायद बीते 10, 20 या 50 साल में यहाँ कोई बड़ा सैलाब नहीं आया, या आज की पीढ़ी ने कभी उसे देखा ही न हो। लेकिन अतीत में कई बार ऐसा हुआ होगा — तभी तो यह प्राकृतिक भू-आकृति बनी है। जब भी कोई बड़ा सैलाब फिर आता है, नदी हमेशा अपने पुराने प्राकृतिक रास्ते की ओर ही लौटती है। इस बार भी तेज बहाव के साथ आया कीचड़ और मलबा उन पुश्तों को तोड़ते हुए उसी समतल भूमि में फैल गया, जिसे प्रकृति ने अपने बहाव के लिए ही सुरक्षित रखा था।
असल में, इस तरह के इलाकों में कभी भी स्थायी निर्माण नहीं होना चाहिए।
दुर्भाग्य से, यही गलती पहाड़ों में कई जगहों पर और देहरादून के आसपास भी बार-बार दोहराई जा रही है।
साभार 🙏
#धराली