प्रेम भक्ति प्रवाह Prem Bhakti Pravah

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23/09/2025
Jay Shri SiyaRam Bhakt Hanuman..ki jai jai 🚩🕉
23/09/2025

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23/09/2025

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Happy Blessed Sardiya Navratri 🚩🕉 2025
22/09/2025

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.        नवरात्रि का पहला दिन, माता का पहला स्वरूप                             माता शैलपुत्री          शैलपुत्री माता नव...
22/09/2025

. नवरात्रि का पहला दिन, माता का पहला स्वरूप

माता शैलपुत्री

शैलपुत्री माता नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। इन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है, इसलिए इनका नाम “शैलपुत्री” पड़ा। शैलपुत्री माता का स्वरूप अत्यन्त पवित्र और दिव्य है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल होता है तथा माता नन्दी बैल पर सवारी करती हैं इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री माता की पूजा करने से भक्त के जीवन में स्थिरता, सुख और समृद्धि का आगमन होता है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। ये ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी एक मार्मिक कहानी है।
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमन्त्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहाँ जाना उचित नहीं है। सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुँचीं तो सिर्फ माँ ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुँचा।
वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। ऐसी ही अनेकानेक पोस्ट पढ़ने के लिये हमारा फेसबुक पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ को लाईक एवं फॉलो करें। अब आप हमारी पोस्ट व्हाट्सएप चैनल पर भी देख सकते हैं। चैनल लिंक हमारी फेसबुक पोस्टों में देखें। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनन्त है।
शैलपुत्री माता को आद्य शक्ति और शक्ति स्वरूपा भी कहा गया है। यह कथा बताती है कि पिछले जन्म में ये सती थीं, जिन्होंने अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन न कर अपने शरीर का त्याग कर दिया था।
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है। पहले से लेकर आखिरी दिन तक नवरात्रि की पूजा में कपूर का इस्तेमाल बेहद शुभ माना गया है। कहते हैं कि माँ दुर्गा की पूजा में कपूर के इस्तेमाल से उनकी विशेष कृपा भक्तों को प्राप्त होती है।
माँ शैलपुत्री को सफेद वस्तुएँ प्रिय हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप को सफेद मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही उन्हें श्वेत पुष्प अर्पित करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

माता शैलपुत्री की आरती

शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार॥
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे॥
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो॥
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं॥
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो॥
मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता॥
० ० ०

॥जय जय श्री राधे॥
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