महायोगी गुरु गोरखनाथ जी

  • Home
  • India
  • Rupnagar
  • महायोगी गुरु गोरखनाथ जी

महायोगी गुरु गोरखनाथ जी * सावधान !*

कुएं ठण्डा जल पीने के लिए बनाए जाते हैं यदि कोई मन्द मति कुएं में डूबकर आत्म-हत्या करले तो इसमें कुआं बनवाने वाले का क्या दोष !

ज्योतिष संजीवनी 7आप लोगो ने अक्सर एक शब्द सुना होगा काल सर्पयोग!इस काल सर्पयोग ने उजड़े हुए पंडितो कोकरोड़पति बना दिया!पं...
23/09/2025

ज्योतिष संजीवनी 7

आप लोगो ने अक्सर एक शब्द सुना होगा काल सर्पयोग!इस काल सर्पयोग ने उजड़े हुए पंडितो को
करोड़पति बना दिया!पंडितजी हर किसी को डरा देते है आपकी कुंडली में तो काल सर्पयोग है!इस योग
का नाम सुनते ही अच्छे भले व्यक्ति का जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है!इस पर पंडितजी कह देते है
भाई इसके उपाय पर तो २५००० रुपये का खर्चा होगा!यह सुनकर तो व्यक्ति के होश उड़ जाते है!जो
समर्थ होता है वो इसका उपाय करवा लेता है पर जो असमर्थ होता है वो अंदर ही अंदर मन मसोस कर
रह जाता है!काल सर्पयोग से जितना लोग डरते है उतना डरने की कोई बात नहीं क्योंकि काल सर्पयोग
सदैव बुरा फल नहीं देता!सबसे पहले यह जानते है की काल सर्पयोग है क्या?काल सर्पयोग 12 प्रकार का होता है!

1.अनंत कालसर्पयोग :- यदि राहू प्रथम भाव में हो और केतु सातवे भाव में और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो
अनंत काल सर्पयोग होता है!
2.कूलिक काल सर्पयोग:-यदि राहू दुसरे भाव में हो और केतु अष्टम भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो कूलिक काल सर्पयोग होता है!
3.वासुकी काल सर्पयोग:-यदि राहू तीसरे भाव में हो और केतु नवम भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो वासुकी काल सर्पयोग होता है!
4.शंखपाल काल सर्पयोग:-यदि राहू चौथे और केतु अष्टम भाव में हो हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो शंखपाल काल सर्पयोग होता है!
5.पदम् काल सर्पयोग:-यदि पंचम स्थान में राहू और एकादश भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो पदम् काल सर्प योग होता है!
6.महापद्म काल सर्पयोग:-यदि छठे भाव में राहू और बारवे भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो महापद्म काल सर्पयोग होता है!
7.तक्षक काल सर्पयोग:-यदि सातवे भाव में राहू और लगन में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो तक्षक काल सर्पयोग होता है!
8.कर्कोटक काल सर्पयोग:-यदि अष्टम भाव में राहू और दुसरे भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो कर्कोटक काल सर्पयोग होता है!
9.शंखचूड़ काल सर्पयोग:-यदि राहू नवम भाव में और केतु तीसरे भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो शंखचूड़ काल सर्पयोग होता है!
10.घातक काल सर्पयोग:-यदि राहू दशम भाव में हो और केतु चौथे भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो घातक काल सर्पयोग होता है!
11.विषधर काल सर्पयोग:-यदि एकादश भाव में राहू और पंचम भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो विषधर काल सर्पयोग होता है!
12.शेषनाग काल सर्पयोग:-यदि बारवे भाव में राहू और छठे भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो शेषनाग काल सर्पयोग होता है!

प्रत्येक काल सर्पयोग के अपने लाभ और नुकसान है!यहाँ पर पूरा विवरण देना बात को लम्बा खींचना होगा,सीधी बात यह है कि काल सर्पयोग का प्रयोग करके अनपढ़ पंडित भी प्रसिद्द हो गए है!काल सर्पयोग से किसी का भला हो या न हो पर पाखंडी ब्राह्मणों के आलिशान मकान जरूर खड़े हो गए है!काल सर्पयोग का उपाय बहुत सरल है!मान लीजिये पहले घर में राहू और सातवे घर में केतु है और बाकि सभी ग्रह दुसरे से लेकर पंचम भाव में बैठे है तो यह अनंत काल सर्पयोग है!अब यदि किसी ग्रह जैसे मंगल या शनि की स्थापना दशम भाव में कर दी जाये तो काल सर्पयोग खंडित हो जाता है,पर यह उपाय बहुत लम्बा है
इसलिए आपको सरल उपाय बता रहा हूँ!

उपाय:-
एक कांसे की कटोरी ले उसमे देसी घी में बना हलवा डाल दे और दो चांदी के सांप डाल दे और सरसों का तेल भी डाल दे और अपने सिर से सात बार उसार ले और किसी शनि मंदिर में रख आये!यह उपाय आपको तीन महीने में तीन बार करना है! मतलब महीने में एक बार इससे किसी भी प्रकार का काल सर्पयोग हो शांत हो जाता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है! मैंने इस उपाय को कई बार आजमाया है!आप भी इसका लाभ उठाये!उपाय करते वक़्त एक ध्यान रखे शनिदेव के चरणों की तरफ देखे आँखों की तरफ भूल कर भी न देखे!

जय सदगुरुदेव!

23/09/2025

ज्योतिष संजीवनी 6
क्या यह Valentines day आपका अच्छा नहीं गुजरा?क्या आप किसी प्रेमिका की तलाश में है?
क्या बार-बार आपके प्रेम सम्बन्ध ख़राब हो जाते है?अगर आप इन समस्याओं से पीड़ित है तो
कीजिये ज्योतिष के यह उपाय और पाएं एक अच्छा प्रियतम!
प्रेम का सम्बन्ध शुक्र ग्रह से होता है!ज्योतिष ने शुक्र को चौथे और सातवें घर का कारक माना है!
शुक्र कन्या राशि में नीच और मीन राशि में उच्च का होता है,यदि आप प्रेम संबंधों में बार बार असफल
हो रहे है तो निश्चित तौर पर आपका शुक्र ख़राब है!शुक्र ग्रह भोग का कारक है!

यदि किसी तरह शुक्र की स्थापना पांचवे,छठे,आठवे और बारवें घर में कर दी जाये तो आपको प्रेम
सम्बन्धी सुख मिलना संभव है क्योंकि

१.पंचम भाव प्रेम संबंधों का होता है और प्रेम के कारक शुक्र पंचम भाव में बैठ गए!
२.छठे भाव में बैठ कर शुक्र दवादश भाव को देखता है दवादश भाव रति सुख का होता है!
३.अष्टम भाव गुप्त अंगो और गुप्त संबंधों का होता है!
४.दवादश भाव में शुक्र रति के कारक होकर रति स्थान में ही बैठ जाते है!

उपाय:-
१.यदि आप शुक्र को पांचवें भाव में पहुचाना चाहते है तो पांचवें भाव का सम्बन्ध उच्च शिक्षा से होता है!
यदि पचास ग्राम मिश्री को लगातार ४३ दिन किसी कॉलेज या उच्च शिक्षा संस्थान में फेंक दिया जाये
तो शुक्र पंचम भाव में चले जाते है!
२.यदि आप शुक्र को छठे भाव में पहुचाना चाहते है तो शुक्र पोटली बनाकर उस पोटली को कुएं में डाल
दे ऐसा लगातार ४३ दिन करे शुक्र छठे भाव में पहुच जायेगा!
३.अष्टम भाव का सम्बन्ध शमशान घाट से होता है यदि ४३ दिन लगातार शुक्र पोटली बनाकर शमशान
घाट में फेंक दी जाये तो शुक्र अष्टम स्थान में पहुँच जाते है!
४.बारवें भाव का सम्बन्ध मकान की छत से होता है जन्मकुंडली में बारवें भाव में जो ग्रह बैठा होता है
उस ग्रह से सम्बंधित सामान छत पर पड़ा होता है यदि थोडा सा पनीर छोटे छोटे टुकड़े कर के ४३ दिन
तक लगातार छत पर डाल दिया जाये तो शुक्र बारवें भाव में पहुँच जाते है!

कुछ विशेष तथ्य :-
१.जिस भाव में आप शुक्र को भेज रहे है वो भाव खाली होना चाहिए वरना उस स्थान पर बैठे हुए ग्रह के साथ
शुक्र का मिश्रित फल मिलेगा!
२.छठे भाव और अष्टम भाव में शुक्र पहुंचाते हुए इस बात का ख्याल रखें कि लगन खाली होना चाहिए नहीं तो
शुक्र के साथ लगन में बैठे हुए ग्रह का ६ और ८ का योग बन जायेगा!

शुक्र पोटली :-
एक सफ़ेद कपडा ले छोटा सा उसमे सफ़ेद चन्दन डाले थोडा सा,सात सफ़ेद फूल डाले,सात दाने मिश्री के डालें
एक सफ़ेद कागज़ पर शुक्र यन्त्र केसर से लिखकर रख दे और सफ़ेद कपडे को रेशमी सफ़ेद धागे से अच्छी तरह
बांध दे!

गौ माता को शुक्र कि कारक माना जाता है,गौ माता की पूजा करने से भी शुक्र अच्छा होता है!
दही से नहाने से भी शुक्र अच्छा होता है!
हररोज नाभि जुबान और मस्तक पर सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाने से भी शुक्र ग्रह अच्छा होता है!
जय सदगुरुदेव

ज्योतिष संजीवनी 5महापंडित रावण जैसे ज्ञानी कौन हो सकते है ? यहाँ उन्हें चार वेदों का ज्ञान था वहीँ उन्हें ज्योतिष का भी ...
22/09/2025

ज्योतिष संजीवनी 5

महापंडित रावण जैसे ज्ञानी कौन हो सकते है ? यहाँ उन्हें चार वेदों का ज्ञान था वहीँ उन्हें ज्योतिष का भी बहुत अच्छा ज्ञान था!उनकी विद्या महान थी,उनकी महान विद्या से ही लाल किताब की रचना हुयी!हवाई ज्योतिष और नाड़ी ज्योतिष उनकी विद्या का एक अंश मात्र है!मै यह मान सकता हूँ कि उन्होंने जीवन भर साधू संतो और ब्राह्मणों को तंग किया,किन्तु महापंडित रावण जी के बैकुण्ठ जाने के बाद उनकी यह विद्या इन सबका कल्याण कर रही है!यहाँ वैदिक ज्योतिष में बड़े बड़े हवन आदि करने पड़ते है वहीँ रावण जी के तांत्रिक टोटके उस समस्या को कुछ ही दिनों में नष्ट कर देते है!हमारे ज्योतिष शास्त्रों ने चंद्रमा को चौथे घर का कारक माना है!यह कर्क राशी का स्वामी है!चन्द्र ग्रह से वाहन का सुख सम्पति का सुख विशेष रूप से माता और दादी का सुख और घर का रूपया पैसा और मकान आदि सुख देखा जाता है!चंद्रमा दुसरे भाव में शुभ फल देता है और अष्टम भाव में अशुभ फल देता है!चन्द्र ग्रह वृषव राशी में उच्च और वृश्चक राशी में नीच का होता है!जन्म कुंडली में यदि चन्द्र राहू या केतु के साथ आ जाये तो वे शुभ फल नहीं देता! ज्योतिष ने इसे चन्द्र ग्रहण माना है,यदि जन्म कुंडली में ऐसा योग हो तो चंद्रमा से सम्बंधित सभी फल नष्ट हो जाते है माता को कष्ट मिलता है घर में शांति का वातावरण नहीं रहता जमीन और मकान सम्बन्धी समस्या आती है!मै यहाँ चन्द्र ग्रहण का एक आसान उपाय बता रहा हूँ इसे ग्रहण काल के मध्य में करे!

उपाय :::- 1 किलो जौ दूध में धोकर और एक सुखा नारियल चलते पानी में वहाये और 1 किलो चावल मंदिर में चढ़ादे! अगर चन्द्र राहू के साथ है और यदि चन्द्र केतु के साथ है तो चूना पत्थर ले उसे एक भूरे कपडे में बांध कर पानी में वहादे और एक लाल तिकोना झंडा किसी मंदिर में चढ़ादे!

ईश्वर कि कृपा से यह दोष नष्ट हो जायेगा!

जय सदगुरुदेव!

ज्योतिष संजीवनी 4ज्योतिष कोई जादू की छड़ी नहीं है!ज्योतिष एक विज्ञानं है!ज्योतिष में जो ग्रह आपको नुकसान करते है, उनके प्...
21/09/2025

ज्योतिष संजीवनी 4

ज्योतिष कोई जादू की छड़ी नहीं है!ज्योतिष एक विज्ञानं है!ज्योतिष में जो ग्रह आपको नुकसान करते है, उनके प्रभाव को कम कर दिया जाता है और जो ग्रह शुभ फल देता है,उनके प्रभाव को बढ़ा दिया जाता है! आज के इस युग में हर मोड़ पर ज्योतिष की दूकान मिल जाएगी पर दुःख की बात यह है आजकल ज्योतिष किताबी ज्ञान रखते है वास्तविकता से कोसो दूर है!किसी ज़माने में ज्योतिष का काम बहुत पवित्र होता था पर आज के ज्योतिष तो बस यजमान को ठगने में लगे है!हमारे ज्योतिष आचार्यो ने शनि को छेवे आठवे दशवे और बारवे भाव का पक्का कारक माना है जबकि राहु एक छाया ग्रह है!एक मान्यता के अनुसार राहु और केतु का फल देखने के लिए पहले शनि को देखा जाता है क्योंकि यदि शनि शुभ फल दे रहे हो तो राहु और केतु अशुभ फल नहीं दे सकते और यह भी माना जाता है कि शनि का शुभ फल देखने के लिए चंद्रमा को देखा जाता है!कहने का भाव यह है कि प्रत्येक ग्रह एक दुसरे पर निर्भर है!इन सभी ग्रहों में शनि का विशेष स्थान है!शनि से मकान और वाहन का सुख देखा जाता है साथ ही इसे कर्म स्थान का कारक भी माना जाता है,यह चाचा और ताऊ का भी कारक है!राहु को आकस्मिक लाभ का कारक माना गया है!राहु से कबाड़ का और बिजली द्वारा किये जाने वाले काम को देखा जाता है!राहु का सम्बन्ध ससुराल से होता है अगर ससुराल से दुखी है तो राहु ख़राब चल रहा है!
ज्योतिष का मानना है कि राहु और केतु जिस भी ग्रह के साथ आ जाते है वो ग्रह दुषित हो जाता है और शुभ फल छोड़ देता है!ऐसे कई योग है आज हम राहु और शनि की बात करेगे माना जाता है यदि शनि और राहु एक साथ एक ही भाव में आ जाये तो व्यक्ति को प्रेत बाधा आदि टोने टोटके बहुत जल्दी असर करते है क्योंकि शनि को प्रेत भी माना जाता है और राहु छाया है!इसे प्रेत छाया योग भी कहा जाता है पर सामान्य व्यक्ति इसे पितृदोष कहता है!एक कथा के अनुसार जब हनुमान जी ने राहु और केतु को हाथो में पकड़ लिया था और शनि को पूँछ में तब शनि महाराज ने कहा था आज जो हमें इस बालक से छुड़ा देगा उसे हम जीवन में कभी परेशान नहीं करेगे यदि किसी की कुंडली में यह तीनो ग्रह परेशान कर रहे हो तो एक साबर विधि से इन्हें हनुमान जी से छूडवा दिया जाता है!फिर यह जीवन भर परेशान नहीं करते आने वाले समय में इस विधि पर भी चर्चा करेगे,यदि राहु की बात की जाये तो राहु जब भी मुशकिल में होता है तो शनि के पास भागता है!राहु सांप को माना गया है और शनि पाताल मतलब धरती के नीचे सांप धरती के नीचे ही अधीक निवास करता है!इसका एक उदहारण यह भी है कि यदि किसी चोर या मुजरिम राजनेता रुपी राहु पर मंगल रुपी पुलीस या सूर्य रुपी सरकार का पंजा पड़ता है तो वे अपने वकील रुपी शनि के पास भागते है!सीधी बात है राहु सदैव शनि पर निर्भर करता है पर जब शनि के साथ बैठ जाता है तो शनि के फल का नाश कर देता है!यह सब पुलीस वकील आदि किसी न किसी ग्रह के कारक है!शनि उस व्यक्ति को कभी बुरा फल नहीं देते जो मजदूरों और फोर्थ क्लास लोगो का सम्मान करता है क्योंकि मजदूर शनि के कारक है!जो छोटे दर्जे के लोगो का सम्मान नहीं करता उसे शनि सदैव बुरा फल ही देते है!आप अपनी कुंडली ध्यान से देखे अगर आपकी कुंडली में भी राहु और शनि एक साथ बैठे है तो यह उपाय करे!हररोज मजदूरों को तम्बाकु की पुडिया दान दे!ऐसा ४३ दिन करे आपको कभी यह योग बुरा फल नहीं देगा क्योंकि मजदूर रुपी शनि है और तम्बाकु राहु है,जब मजदूर रुपी शनि तम्बाकु को खायेगा तो अच्छा तम्बाकु ग्रहण कर लेगा और बुरा राहु बाहर थुक देगा! सीधी बात है शनि अच्छा राहु ग्रहण कर लेगा और बुरा राहु बाहर थुक देगा!आप यह उपाय जरूर कीजिये मैने हजारो लोगो पर इस उपाय को आजमाया है आगे गुरुकृपा!

जय सदगुरुदेव!

20/09/2025

ज्योतिष संजीवनी 3
1.यदि लग्न में राहू हो या लग्न में सूर्य और राहू एक साथ बैठे हो तो 100 ग्राम बादाम गिरी और एक सुखा नारीयल
बहते पानी में बहाए!
2.यदि दुसरे भाव में सूर्य और राहू एक साथ बैठे हो तो 200 ग्राम बादाम और दो सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
3.यदि तीसरे भाव में सूर्य और राहू एक साथ बैठे हो तो 300 ग्राम बादाम गिरी और तीन सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
4.यदि चौथे भाव में सूर्य और राहू एक साथ बैठे हो तो 400 ग्राम बादाम गिरी और चार सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
5.यदि पांचवे घर में सूर्य और राहू एक साथ बैठे हो तो 500 ग्राम बादाम गिरी और पांच सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
6.यदि छटे भाव में सूर्य और राहू एक साथ बैठे हो तो 600 ग्राम बादाम गिरी और ६ सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
7.यदि सातवे भाव में सूर्य और राहू एक साथ बैठे हो तो 700 ग्राम बादाम गिरी और ७ सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
8.यदि आठवे भाव में राहू और सूर्य एक साथ बैठे हो तो 800 ग्राम बादाम गिरी और ८ सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
9.यदि नौवे भाव में सूर्य और राहू एक साथ हो तो 900 ग्राम बादाम गिरी और ९ सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
10.यदि दशवे घर में सूर्य और राहू एक साथ हो तो 1 किलो बादाम गिरी और १० सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
11.यदि एकादश भाव में सूर्य और राहू एक साथ हो तो 1100 ग्राम बादाम गिरी और ११ सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!
12.यदि द्वादश भाव में सूर्य और राहू एक साथ हो तो 1200 ग्राम बादाम गिरी और १२ सूखे नारीयल बहते पानी में बहाए!

यह सभी उपाय सूर्य ग्रहण के मध्य काल में करे!ऐसा करने से सूर्य ग्रहण का बुरा प्रभाव जन्म कुंडली में समाप्त हो जायेगा!
इस उपाय को करते हुए एक ध्यान रखे भूलकर भी सूर्य को ना देखे और साबुत बादाम ना ले केवल बादाम की गिरी इस्तेमाल
करे और पानी बहता हुआ होना चाहिए!
जय सदगुरुदेव!

20/09/2025

ज्योतिष संजीवनी 3

आज के युग में पैसा ही प्रमुख है भले ही पैसा कमाने के लिए व्यक्ति को कोई घटिया काम करना पड़े! आज के समय के ज्योतिष और पंडित भी ऐसे ही है,कुछ लोग तो पैसा लेकर काम कर देते है!जो लोग
पैसा लेकर काम कर देते है ऐसे लोगो को दिया हुआ धन कभी दुःख नहीं देता पर कुछ लोग तो ऐसे है जिन्हें ज्योतिष का ज्ञान भी नहीं है और न ही किसी से ज्योतिष सीखे है बस दो चार ज्योतिष की किताबे
पढ़ ली और बन गए ज्योतिष जबकि शास्त्रों में साफ़ साफ़ लिखा है गुरु के बिना ज्ञान हो ही नहीं सकता!गुरु ग्रन्थ साहिब में भी लिखा है ""गुरु बिन ज्ञान हराम है पूछे वेद कुरान"" बिना गुरु के जो ज्ञान मिलता है वो हराम की कमाई के समान है!थोड़े दिन पहले की बात है हिमाचल प्रदेश से किसी का फ़ोन आया और कहने लगा रवि भाई इस बात में कोई शक नहीं है कि आपके गुरुदेव ने आपको श्रेष्ठ ज्ञान दिया है पर आप ज्योतिष पर इतने आसान उपाय मत बताये कि ज्योतिष चलाने वालो को समस्या आये!मैंने कहा भाई मै तो जनकल्याण के लिए लिख रहा हूँ!उन्होंने कहा भाई लोग हमसे भी ऐसे ही उपाय मांगते है यदि आप लिखना नहीं छोड़ सकते तो मै आपको अपने ग्रुप से निकाल दूंगा!मैंने कहा ग्रुप में रहने से कौनसा मुझे पैन्शन लग जाएगी जब मर्जी निकाल दो!भाई यह कहानी आप लोगो की सहानूभूति लेने के लिए नहीं लिखी है इसलिए लिखी है ताकि आपको ज्ञान हो जाये कि ज्यादातर लोग फेसबुक पर अपना व्यापर चला रहे है पर मै उनमे से नहीं हूँ!एक बार मेरे गुरुदेव ने मुझसे कहा तुम मेरे लिए क्या कर सकते हो!मैंने कहा गुरुदेव जो आप कहे उन्होंने कहा मुझे यदि गुरु मानते हो तो उस ब्राह्मन कि तरह ज्ञानी बनो जो बिना भेद भाव के ज्ञान बांटता है! उस योद्धा की तरह बनो जो धर्म के लिए मरने को तयार रहता है!वैश्य की तरह बनो जिस प्रकार वैश्य धन जुटाने में लगा रहता है!उसी प्रकार तुम पुण्य जुटाने में लगे रहो!एक शुद्र की तरह सबकी सेवा के लिए तयार रहो!
राजा जनक की तरह सबको एक सामान समझो!मेरे गुरुदेव की बताई एक एक बात मुझे याद है और मै फेसबुक के माध्यम से प्रचार नहीं केवल और केवल सेवा करना चाहता हूँ!मेरी लड़ाई वैदिक ज्योतिष या ज्योतिष की किसी पद्दति से नहीं है!मेरी लड़ाई उन पाखंडी पंडितो से है जो ज्योतिष के नाम पर दूकान चला रहे है और ज्योतिष जैसी महान विद्या को बदनाम कर रहे है!मुझे भी कसम है मेरे गुरुदेव की लोगो को ज्योतिष का इतना ज्ञान दूंगा के लोग इन पाखंडियो को देखते ही पहचान लेंगे!ग्रहण दोष ज्योतिष का ऐसा दोष है जिसका नाम लेकर पंडित किसी से भी हजारो रुपये लूट लेते है!मै आपको ग्रहण का एक सरल उपाय बताता हूँ पर पहले
आप लोग यह जान ले कि ग्रहण दोष होता क्या है!यदि सूर्य या चंद्रमा राहू या केतु के साथ आ जाये तो उसे ग्रहण योग कहा जाता है!इसके इलावा यदि लगन में राहू आ जाये तो भी सूर्य ग्रहण बन जाता है!यदि लगन में राहू आ जाये तो सूर्य कहीं पर भी बैठा हो शुभ फल नहीं देगा!पर ज्योतिष का एक नियम है यदि किसी ग्रह के सामने उसका शत्रु बैठ जाये तो वो ग्रह ना बुरा फल देता है ना अच्छा!इसी प्रकार ज्योतिष में गुप्त राजयोग होता है!यह राजयोग कुंडली देखने पर नज़र नहीं आता पर व्यक्ति की कुंडली में राजयोग होता है!उदहारण के लिए कुछ लोग आई.ऐ .एस नहीं होते पर आई.ऐ .एस उनके पास पढने आते है!इसी प्रकार यदि सूर्य और शनि जन्म कुंडली में आमने सामने हो और लग्न में राहू आ जाये तो गुप्त राजयोग का निर्माण हो जाता है!ऐसी कुंडली में लग्न में बैठा हुआ राहू शुभ फल देता है और उस व्यक्ति के शत्रुओ का नाश कर देता है!ऐसे व्यक्ति की राजनीतिक पहुच बहुत ज्यादा होती है और वे अपने मित्रो के सहयोग से बड़े से बड़े काम बड़ी आसानी से कर लेता है!पर ऐसी कुंडली में भी लग्न में बैठा हुआ राहू ग्रहण योग का निर्माण करता है!ग्रहण दोष दो प्रकार के होते है सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण!सूर्य ग्रहण का उपाय उस समय किया जाता है जब सूर्य ग्रहण का मध्य काल हो और चन्द्र ग्रहण का उपाय चन्द्र ग्रहण में किया जाता है!यहाँ मै सूर्य ग्रहण का उपाय बता रहा हूँ जो आप सूर्य ग्रहण के मध्य काल में कर सकते है!इस उपाय से राहू चन्द्र के घर में चला जाता है और शांत हो जाता है और पिता के सुख और मान सम्मान में वृद्धि करता है!सरकार की तरफ से लाभ मिलता है और सूर्य का शुभ फल प्राप्त होता है!

19/09/2025

ज्योतिष संजीवनी 2

ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह दुसरे भाव का, पांचवे भाव का, नौवे भाव का, ग्यारवे भाव का पक्का कारक है!गुरु ग्रह से अध्यातम,धर्म,लाभ,पुत्र,दादा,गु रु,भाग्य,आकस्मिक लाभ आदि को देखा जाता है!कुटुम्ब के सुख का विचार भी गुरु ग्रह से किया जाता है!ज्योतिष के अनुसार गुरु स्त्री की कुंडली में पति का कारक होता है इसलिए यदि गुरु अस्त हो जाये तो विवाह आदि शुभ कर्म तब तक नहीं किये जाते जब तक गुरु महाराज का उदय न हो जाये!गुरु ग्रह को ज्ञान का कारक माना जाता है और गुरु महाराज देवताओ के गुरु है उनसे ज्ञानी नवग्रहों में कोई भी नहीं है!एक बार ब्रह्मा जी ने गुरु ग्रह और शुक्र ग्रह को बुलाया और कहा आप दोनों ही महाज्ञानी है मै जानना चाहता हूँ आप दोनों में अधिक ज्ञानी कौन है? उसी समय एक स्त्री कुए में पानी भर रही थी!उस पानी भरती हुई स्त्री को देखकर शुक्र ग्रह ने अपना ज्योतिष लगा दिया!

उसी समय उस स्त्री के हाथ से बाल्टी नीचे कुए में गिर गयी!गुरु महाराज ने उस बाल्टी के गिरने से अपना ज्योतिष लगा दिया!यह देख ब्रह्मा जी ने कहा हे गुरु महाराज आप सर्वज्ञानी है आप ही श्रेष्ठ है!गुरु ग्रह कभी किसी से शत्रुता नहीं रखते पर राहु, बुध और शुक्र इन्हें अपना शत्रु मानते है!गुरु ग्रह यदि राहु के साथ आ जाये तो जन्म कुंडली में गुरु चंडाल योग का निर्माण हो जाता है!गुरु यदि बुध ग्रह के साथ आ जाये तो व्यक्ति को खाली घड़ा बना देते है ऐसी कुंडली वाला व्यक्ति बिना मांगे राय दे देता है!उसकी राय से अनेको लोगो का भला होता है पर जब वे स्वयं कोई कार्य करता है तो उसे कोई लाभ नहीं होता!गुरु ग्रह के साथ यदि शुक्र आ जाये या शुक्र किसी प्रकार गुरु के सामने आ जाये तो शुक्र काणा हो जाता है!इस विषय में एक पौराणिक कथा है,एक बार राजा बलि ने यज्ञ का आयोजन किया!
यज्ञ में राजा बलि ने याचको को मुह माँगा दान दिया!उस यज्ञ में भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर एक याचक के रूप में आए और दान के लिए याचना की, राजा बलि ने उनसे दान मांगने के लिए कहा तो भगवान वामन ने तीन पग धरती मांगी और जब राजा बलि दान देने के लिए संकल्प ले रहे थे तभी दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें पहचान लिया और राजा बलि को दान देने से रोकने लगे, परन्तु राजा बलि नहीं माने और संकल्प लेने के लिए जलपात्र हाथ में लिया तो शुक्राचार्य जी एक कीड़े का रूप बनाकर उस जलपात्र की नली में बैठ गए!इस कारण पात्र में से जल नहीं निकल पाया पर भगवान विष्णु तो सब जानते थे उन्होंने कुशा को पात्र की नली में घुसा दिया, कुशा कीड़े का रूप धारकर बैठे शुक्राचार्य की आँख में जा लगी और मृत संजीवनी के जानकर आचार्य शुक्र काणे हो गए!इस कारण जब भी शुक्र गुरु ग्रह के साथ आये तो वे काणे हो जाते है और यदि गुरु शुक्र जन्म कुंडली में एक साथ हो या शुक्र बुरा फल दे रहे हो तो किसी काणे ब्राह्मण की सेवा करे शुक्र बुरा फल त्याग देंगे!
गुरु यदि जन्म कुंडली में मजबूत हो तो उन घरो के फल में वृद्धि करते है जिनके वे कारक है! केतु को गुरु का सेवक माना जाता है और केतु मोक्ष का कारक है!केतु का निशान झंडे को माना जाता है यदि केतु शुभ हो तो व्यक्ति को बहुत उच्चाई पर लेकर जाता है! गुरु ग्रह यदि जन्म कुंडली में अच्छे हो तो केतु के बुरे फल में कमी आती है पर यदि गुरु ग्रह स्वयं केतु के साथ बैठ जाये तो गुरु दुषित हो जाते है!इस योग के कारण गुरु और केतु दोनों अपना शुभ फल त्याग देते है!ऐसे में हमारे विद्वान पंडित हमें डराते है पर इस योग से डरने की कोई जरूरत नहीं, यदि आपकी कुंडली में भी ऐसा ही योग है तो आप इस उपाय को करे! एक पीला बेदाग़ निम्बू ले और उसे थोडा काट दे यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि निम्बू के दो टुकड़े न हो और इस निम्बू को चलते पानी में बहा दे! आप ऐसा 43 दिन लगातार करे आपका योग भंग हो जायेगा!
आप कहेगे निम्बू को पानी में बहाने से यह योग कैसे भंग हो जायेगा!आइये इस उपाय के पीछे छिपे सिद्धांत को समझे!पीले रंग को गुरु ग्रह का सूचक माना जाता है और खट्टा स्वाद केतु का सूचक है!निम्बू का रंग पीला होता है और स्वाद खट्टा जब निम्बू को थोडा सा काटकर पानी में बहा दिया जाता है तो खट्टा स्वाद अलग हो जाता है और पीला भाग अलग इस प्रकार चन्द्र अर्थात पानी की मदद से गुरु और केतु को अलग कर दिया जाता है!इस उपाय का प्रयोग मैंने कई बार किया है आप भी आजमाए और इस उपाय से जनकल्याण करे!
जय सदगुरुदेव!

19/09/2025

ज्योतिष संजीवनी 1
ज्योतिष के नाम पर बहुत से पंडित आम जनता को मूरख बनाते है मतलब उन्हें ग्रहों से इतना डरा देते है कि व्यक्ति कुछ भी करने को तयार हो जाता है!ज्योतिष हमें जीना सिखाता है न कि ग्रहों से डरना!हम लोगो का मानना है कि ज्योतिष भविष्य जानने कि कला है पर सदगुरुदेव सिद्ध रक्खा रामजी का मानना था कि ज्योतिष भविष्य जानने की कला नहीं है,ज्योतिष भविष्य सवारने
की कला है पर हम लोग इन धूर्त पण्डितो के द्वारा इतने डर जाते है कि हमें हर समय ग्रहों की चिंता लगी रहती है!हमारे द्वारा बड़े बड़े अनुष्ठान करवाने से हमारा भला हो चाहे न हो पर इन ज्योतिष का धंधा चलाने वाले लोगो का भला अवश्य हो जाता है!ज्योतिष विद्या वेद का तीसरा नेत्र कही जाती है!एक बात जान लीजिये कुंडली में कैसा भी योग क्यों न हो?हमें उस योग से डरना नहीं

है क्योंकि ग्रह सदैव कर्मो के आधार पर फल देते है!हम लोग ज्योतिषी को हजारो रुपये देकर अनुष्ठान करवाते है

पर लाभ नहीं होता क्योंकि ज्यादातर ज्योतिषी तो नियम से गुरुमंत्र और गायत्री का जप भी नहीं करते!एक बार हिमाचल प्रदेश में मै एक संत से मिलने गया वे संत ज्योतिष का बहुत अच्छा ज्ञान रखते थे!संतजी से मैंने कहा संत जी मुझे भी थोडा ज्योतिष सिखा दीजिये!संत बोले थोडा क्यों सारा ज्योतिष सिखा दूंगा यह तो एक गणित है पर तुम्हारी कही भविष्यवाणी तभी सत्य होगी जब ईश्वर की तुम पर कृपा होगी!मै समझ गया संत जी क्या कहना चाहते थे!मैंने दोबारा कभी संत जी से ज्योतिष सिखाने के लिए नहीं कहा और जितना ज्योतिष गुरुदेव से सिखा था उसी के आधार पर कुंडली देखने लगा,कहने का मतलब है गुरुदेव का दिया हुआ गुरुमंत्र ही ज्योतिष का आधार है! ज्योतिष जैसे ही कुंडली खोलता है कह देता है आपकी कुंडली में तो गण्डमूल है और कह देता है पांच हज़ार लगेगे!ज्योतिष पैसे लेकर उपाय नहीं करते और जो करते है उनमे से अधिकतर ज्योतिषियो का उच्चारण सही नहीं होता इसलिए हमें लाभ नहीं होता और हम ज्योतिष विद्या को दोष देते है! आज मै आपको एक सरल उपाय बता रहा हूँ इस उपाय से कैसा भी गण्डमूल क्यों न हो शांत हो जाता है!मुझे इस बात का पता है कि इस उपाय को लिखने के बाद बहुत से ज्योतिषी मुझे बुरा भला कहेंगे और यह भी कहेंगे कि हमारे पेट पर लात मारने वाले तू कभी चैन से न बैठे पर मुझे इस बात कि कोई चिंता नहीं है!पहले आप यह जान लीजिये कि गण्डमूल क्या है?ज्योतिष के अनुसार २७ नक्षत्र है!इन २७ नक्षत्रो में से ६ नक्षत्र ऐसे है जिनमे यदि किसी का जन्म हो जाये तो उसे गण्डमूल कहा जाता है!इनमे से तीन नक्षत्र केतु के प्रभाव में आते है और तीन नक्षत्र बुध के प्रभाव में आते है!मघा,मूल,ज्येष्ठा,अश्वनी,अश् लेशा,रेवती इन नक्षत्रो में जन्म लेने वाला गण्डमूल से पीड़ित होता है!जैसे ही गण्डमूल में बच्चा पैदा हो आप बच्चे के पिता को उसका मुख न देखने दे और पिता कि जेब में फिटकड़ी का टुकड़ा रखवा दे!अब २७ दिन तक प्रतिदिन २७ मूली पत्तो वाली बच्चे के सिर कि तरफ रख दे और दुसरे दिन चलते पानी में वहा दे!इस प्रयोग से कैसा भी गण्डमूल हो शांत हो जायेगा पर बच्चे के पिता को २७ दिन मुख न देखने दे!एक बात समझ ले मूली के पत्ते बुध होते है क्योंकि उनका रंग हरा होता है और मूली का स्वाद कसैला होता है जो केतु का प्रतीक है!इस उपाय को लगातार २७ दिन कीजिये आशा करता हूँ इस उपाय से आप सबको लाभ होगा!मैंने यह उपाय बहुत बार आजमाया है यदि गुरुदेव ने चाहा तो भविष्य में कालसर्प योग और पितृ दोष के उपाय भी आपके सामने रखूंगा!

जय सदगुरुदेव !

16/09/2025

धन प्राप्ति के लिए हम सब लक्ष्मी साधना करते है पर हम अक्सर एक बात भूल जाते है लक्ष्मी आती तो अपनी मर्जी से है पर जाती कुबेर जी की मर्जी से है इसलिए धन के स्वामी कुबेर को कहा जाता है ! यक्षराज कुबेर देवताओ के कोषाध्यक्ष है ! धन की देवी माँ लक्ष्मी के धरती पर आने से पहले धरती पर धन के स्वामी कुबेर आ जाते है , उस दिन को हम लोग धन तेरस के नाम से जानते है ! इस दिन सोना चांदी के गहने खरीदना बहुत शुभ माना जाता है ! इस रात्रि यदि कुबेर जी को प्रसन्न कर लिया जाये तो स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ! कुबेर जी को प्रसन्न करने के लिए हमारे आचार्यो ने बहुत सी साधनाओ का वर्णन किया है यहाँ मैं एक साधना देने जा रहा हूँ जो मैं हर वर्ष करता हूँ और अक्सर ऐसा देखा गया है कि इस साधना को करने के बाद धन के रास्ते खुल जाते है ! यह साधना बहुत सरल है और कोई भी व्यक्ति इस साधना को कर सकता है !

धन तेरस पर एक बिना जोड़ का चांदी का छल्ला खरीद लाये अपनी अनामिका उंगली के नाप का , उस रात उस चांदी के छल्ले का पूजन उसे कुबेर जी मानकर करे और २१ माला इस मन्त्र की जपे ! घी का दीपक जलाये और केसर तथा मिठाई उस छल्ले पर चढ़ाये !

|| मन्त्र ||

ॐ कुबेराये नमः !

मन्त्र जाप के बाद उस छल्ले को किसी शहद की बोतल में डोबू कर रख दे ! अब दिवाली वाले दिन उस छल्ले को शहद में से निकल ले और उसका पूजन करे और दोबारा २१ माला इस मन्त्र की जपे ! मन्त्र जप पूर्ण होने के बाद उस छल्ले को किसी घी के दीपक में डालकर लक्ष्मी जी का उस दीपक से पूजन करे और इस मन्त्र का ११ माला जाप करे !

|| मन्त्र ||

श्रीम श्रीयये नमः

अगले दिन नहाकर लक्ष्मी पूजन करे और उस दीपक में से छल्ला निकलकर धारण कर ले ! ऐसा करने से माँ लक्ष्मी और कुबेर जी की कृपा आप पर बनी रहेगी ! ऐसा हर साल करते रहे !

जय सदगुरुदेव !

नवरात्री साधनानवरात्रे शुरू होने वाले है और नवरात्रों के साथ ही हो जायेगा नववर्ष का आगमन आइये नववर्ष की शुरुआत करते है म...
16/09/2025

नवरात्री साधना

नवरात्रे शुरू होने वाले है और नवरात्रों के साथ ही हो जायेगा नववर्ष का आगमन आइये नववर्ष की शुरुआत करते है माँ भगवती की अराधना से ! माँ भगवती का यह पूजन हमें नारी की शक्ति से अवगत करवाता है पर पता नहीं कैसे लोग भूल जाते है की नारी ही शक्ति है और शिव भी कहते है यदि शक्ति मुझसे निकल जाये तो मैं एक शव हूँ ! फिर भी हमारा यह घटिया समाज नारी को अवला कहता है, यहाँ तक की हमारे बड़े बड़े संत जिनकी वाणी का घर घर पाठ होता है उन्होंने भी नारी को ढोल और पशु से जोड़ दिया, जबकि हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार नारी जगत जननी है ! जिन असुरो को देवता भी पराजित नहीं कर पाए उन असुरो को भी देवी ने क्षण में परास्त कर दिया ! शाक्तो ने माँ का गुणगान कर माँ को प्रसन्न कर लिया और इच्छित फल पाया ! जगतगुरु शंकराचार्य बलि प्रथा रोकने के लिए एक बार कामख्या गए तो उन्हें दस्त लग गयी ! तब एक छोटी सी लड़की उनके पास आई और उनसे कहा क्या आप शाक्तो को इस समय ज्ञान गोष्टी में पराजित कर सकते हो ? इस पर शंकराचार्य जी ने कहा में पराजित तो कर सकता हूँ पर इस समय मुझ में शक्ति नहीं है ! यह सुनकर माँ भगवती ने कहा जिस शक्ति के बिना तुम सीधे खड़े नहीं हो पा रहे हो उस शक्ति के पराजित करना चाहते हो ! माँ के इतना समझाने पर भी शंकराचार्य नहीं माने और मंदिर के पुजारी से कहा मुझसे शास्त्रार्थ करो यदि मैंने तुम्हे पराजित कर दिया तो बलि प्रथा बंद करनी पड़ेगी ! पुजारी ने कहा मैं सोचकर बताता हूँ, रात को पुजारी ने माँ से प्रार्थना की कि माँ मैं तो तेरी पूजा के बिना कुछ जनता ही नहीं शास्त्रों का मुझे कोई ज्ञान नहीं है, मैं पराजित हो जाऊंगा ! इस पर माँ ने कहा तुम शास्त्रार्थ के लिए हाँ कह दो पर यह शर्त रखना कि हम दोनों के बीच एक लाल रंग का पर्दा होगा जो माँ का प्रतीक है ! शंकराचार्य मान गए और परदे के दूसरी तरफ माँ भगवती स्वयं शास्त्रार्थ करने लगी ! अपने भक्त की रक्षा के लिए माँ स्वयं ढाल बनकर कड़ी हो गयी और शंकराचार्य पराजित हो गए ! आज भी कामख्या में माँ को बलि चढ़ाई जाती है !

इस साधना को करने के बाद आप अपने शत्रुओं का स्तम्भन कर सकते है ! यह साधना बहुत सरल है इस साधना से शत्रु की गतिविधिया रुक जाती है और वह पराजित हो जाता है !

|| मन्त्र ||
ॐ नमो नमो नमो चामुण्डा माई
कालिया भैरूआ सुकिया समुकिया
इन्ही वैरी बला को बांध,
बांध याकु मुख बांध चित बांध
बुद्धि बांध हाथ बांध पांव बांध
चिरा चिरमिरी बांध,
आँख नाक कांख अंग अंग बांध
जो न बांधे तो चमार को चमरोद
चंडाली की कुण्डी में गिर,
लोना चमारी की अरज
सौ सौ महाकाल की आन,
अलख निरंजन फु फु करे
मेरो वैरी को वैर जरे,
मन्त्र सांचा पिंड काचा गुरु की शक्ति !

|| विधि ||
इस मन्त्र को नवरात्रों में शुरू करे रात्रि 10 बजे के बाद माँ का पूजन करे और फिर गुरुमंत्र की एक माला जाप करे और फिर इस मन्त्र की एक माला जपे अंत में दोबारा गुरुमंत्र की एक माला जपे ! ऐसा नवरात्रों में नवमी तिथि तक करे और माँ को नारीयल और श्रृंगार का सामान भेंट करे और कम से कम एक कन्या का पूजन कर उसे भोजन और दक्षिणा दे !

|| प्रयोग ||
जब प्रयोग करना हो तो इस मन्त्र को जपकर शत्रु की तरफ फूक मार दे, शत्रु सम्बंधित हो जायेगा !
माँ जगदम्बा आप सबकी मनोकामना पूर्ण करे..................... !

लक्ष्मी देवी का मन्त्र ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये । वरवरद सर्वजनम्मे वशमानय स्वाहा॥विधि-इस मन्त्र का पांच लाख जाप करने से...
15/09/2025

लक्ष्मी देवी का मन्त्र
ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये ।
वरवरद सर्वजनम्मे वशमानय स्वाहा॥

विधि-इस मन्त्र का पांच लाख जाप करने से यह मन्त्र सिद्ध होता है। इसके सिद्ध होने से लक्ष्मी जी की कृपा रहती है।

दुर्गा सप्तशती द्वारा वशीकरणशुभ दिन या नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ धूप दीप स्वीकृत करें।  प्रत्येक श्लोक का त्श्...
12/09/2025

दुर्गा सप्तशती द्वारा वशीकरण

शुभ दिन या नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ धूप दीप स्वीकृत करें। प्रत्येक श्लोक का त्श्रद्धा अंंक नौ दिन तक पाठ पूर्ण करें। पूजन करके कुमारियों को भोजन करावें और लाल वस्त्र दान दे। नव दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें। जमीन पर कब्जा करना चाहिए। इस मंत्र से 108 आहुति छोड़ें। घर में अष्ट गंध की सामग्री का प्रयोग लवें में।

मंत्र-: ज्ञानिनामपि चेतनसि देवी भगवती हिसा। बलादकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥

(वशीकरण तिलक)

1.लाल चंदन-1 भाग

2.कपूर-1 भाग

3.गोरोचन-4 भाग

4.केशर-7 भाग

5.कचूर-1 भाग

6.अगर-1 भाग

7.सफ़ेद चंदन-10 भाग

8.जता माँसी-4 भाग

विधि-इन साँचे में मिलाकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात ग्वारपाठे के रस में पिसकर तिलक करें, तिलक करने से पहले वशीकरण के लिए ध्यान देना चाहिए। तिलक समय (घिसते समय) किसी वशीकरण का मंत्र या क्लीं काम बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।

Address

Rupnagar

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when महायोगी गुरु गोरखनाथ जी posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Category