महायोगी गुरु गोरखनाथ जी

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महायोगी गुरु गोरखनाथ जी * सावधान !*

कुएं ठण्डा जल पीने के लिए बनाए जाते हैं यदि कोई मन्द मति कुएं में डूबकर आत्म-हत्या करले तो इसमें कुआं बनवाने वाले का क्या दोष !
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(भक्ति भावना बढ़ाने का मन्त्र)॥ मन्त्र ॥"सीताराम चरन रति मोरे। अनुदिन बढ़उ अनुग्रह तोरे ॥"-: मन्त्र की प्रयोग विधि और ला...
05/05/2025

(भक्ति भावना बढ़ाने का मन्त्र)

॥ मन्त्र ॥

"सीताराम चरन रति मोरे।
अनुदिन बढ़उ अनुग्रह तोरे ॥"

-: मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभ
इस मन्त्र को प्रतिदिन निद्रा त्यागते ही १०८ बार पढ़ना चाहिए। इस मन्त्र के प्रयोग से श्रीराम-जानकी के प्रति भक्ति भावना सुदृढ़ हो जाती है।

*हमजाद या छाया पुरुष साधना मंत्र*|| मंत्र ||ॐ तत्सत, राजीव(आपका नाम) प्रकट हो जाओ, परमात्मने नमः।साधना का समय और नियम - ...
16/03/2025

*हमजाद या छाया पुरुष साधना मंत्र*

|| मंत्र ||

ॐ तत्सत, राजीव(आपका नाम) प्रकट हो जाओ, परमात्मने नमः।

साधना का समय और नियम - रात या दिन किसी भी समय आप ये साधना कर सकते है, पर जब भी करेंगे एकांत में और शुद्ध वातावरण में जहां कोई डिस्टर्ब न करे।

- ३ घंटे तक त्राटक करते हुए जप करना है अपनी परछाई देखते हुए। (40 Days Ritual)

- दिन है तो सूर्य या आईने में त्राटक करना है, अगर परछाई का त्राटक कर रहे हो तो गले पर नजरें जमनी है और आईने में कर रहे हो तो अपनी आँखों में आँखें डालनी है।

- अगर रात को कर रहे हो तो ११ बजे से २ बजे तक या १२ से ३ बजे तक का समय उपयुक्त है। और दिन में भी यही टाइम है १२ से ३ बजे तक। सरसों का दिया जलाकर पीठ के पीछे, दिवार पर जो परछाई हो उस की गर्दन पर त्राटक करते हुए मंत्र जप करना है।

(सावधानियां - ब्रह्मचर्य का पालन करना है।)

- किसी के गलत या बुरे के लिए इसका प्रयोग नहीं करना है या हमजाद को बुरा के लिए नहीं आदेश देना है।

- साधना के बीच में हंजाद बोलेगा तो उस से बात नहीं करनी है बस अपनी साधना में ध्यान देना है।

- अगर हमजाद कुछ शर्तें रखे तो ध्यान रखना है की उसकी किसी भी शर्त को तुम नहीं सवीकार करोगे ये सब साधना के अंत में होता है।

सिद्धि की निशानी -

साधना में जब सिद्धि होने लगेगी, तब पहले तो आपकी परछाई हिलती हुई महसूस होगी आपको, फिर कुछ दिन बाद वो उठ कर चलने लगेगी लेकिन आप बैठे बैठे जप कर रहे होंगे। और बाद में वो आपसे बात करना शरू कर देगा लेकिन अनुष्ठान पूर्ण होने से पहले, आपको उस पर ध्यान नहीं देना है, इसका विशेष ध्यान रखना है।

हर इंसान के दो वजूद होते हैं.एक जिसे हम हर पल महसूस करते है जो हमारे साथ ही चलता फिरता है , हमारे साथ हमारे समान ही जीवन की सुख सुविधाओं का उपभोग करता है, लेकिन दूसरा वो जो हमारे साथ जन्म लेता है रहता है पर हमारे मरने पर भी उसका अंत नहीं होता है .पर शक्ति सामर्थ्य में वो हमसे कही कही कही बहुत ज्यादा होता है , असंभव को भी संभव कर सकता है.

जो. मनुष्य के शरीर से जो भी जुडा हुआ है, वो अपने आपमें ताकत से भरा हुआ है पर हम जब अपने उस अंग का उस भाग का प्रयोग सही तरीके से नहीं कर पाते तो ऐसे हालत में वो शक्तिहीन होकर मृतप्रायः ही हो जाता है.

उसकी समुचित क्षमता का प्रयोग न कर पाने से हम हमारी ताकत को ही कम करते चले जाते हैं. जैसे हमारी परछाई अपने आपमें शक्ति शाली होती है और ये हमारा ही वजूद होता है . चाहे प्रकाश हो या न हो इसका अस्तित्व खत्म नहीं होता हाँ ये अलग बात है की ये तब आँखों से ओझल ही रहता है. इसके द्वारा ही अपने हमजाद को वश में किया जा सकता है .
इस साधना के फायदे या हमजाद की शक्तियां

इसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है, आप जो भी असंभव कार्य कहेंगे वो ये करेगा आसानी से।

- उड़ कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुच सकता है .

- आकाश से लेकर पाताल तक की किसी भी जानकारी को लाकर दे सकता है .

- पहाड़ों को उठाकर पल भर में ला सकता है.

- असाध्य बिमारियों को साध्य कर सकता है.

- भविष्यगत घटनाओं को बता सकता है .

- किसी को भी वश में कर सकता है .

पर एक बात याद रखो की कोई भी बुरा काम करवाने पर ये खुद तुम्हारे लिए ही मुसीबत खड़ी कर देता है और तब उस मुसीबत से तुम चाह कर भी दूर नहीं हो पाओगे. सच्चे कामो में ही इसकी मदद लेनी चाहिए. आपकी जिंदगी को आप आसान बनाओ ये गलत नहीं है पर उसके लिए दूसरों का बुरा करके तो कभी नहीं.

बिंदु त्राटक
15/12/2024

बिंदु त्राटक

30/10/2024

गोरख वाणी

बसती न सुन्यम , सुन्यम न बसती अगम अगोचर ऐसा !
गगन सिषर महिं बालक बोलै ताका नाँव धरहुगे कैसा !! १ !!

परमतत्व तक किसी की पहुँच नहीं है वह अगम है ! वह इन्द्रियों का विषय नहीं , वह तो अगोचर है ! वह ऐसा है कि उसे हम न बस्ती कह सकते हैं और न ही शुन्य ! न यह कह सकते हैं की वह कुछ है और न यह की वह कुछ नहीं है ! वह भाव और अभाव, सत और असत दोनों से परे है ! वह तो आकाश मंडल में बोलने वाला बालक है , आकाश मंडल में बोलने वाला इसलिए कहा गया है क्यूंकि आकाशमंडल को शुन्य , आकाश या ब्रह्मरंध्र कहा गया है और यही ब्रह्म का निवास माना जाता है , वही पहुँचने पर ब्रह्म का साक्षात्कार हो सकता है ! बालक इसलिए कहा गया है क्यूंकि जिस प्रकार बालक पाप और पुण्य से रहता है ठीक उसकी प्रकार परमात्मा भी निर्लेप है !

अदेषी देषिबा देषि बिचारिबा अदि सिटि राषिबा चीया !
पाताल की गंगा ब्रह्मंड चढ़ाइबा , तहां बिमल बिमल जल पीया !!२ !!

न देखे जा सकने वाले परब्रम्ह को देखना चाहिए और देखकर उस पर विचार करना चाहिए ! जो आँखों से देखा नहीं जा सकता उसे चित्त में रखना चाहिए ! पाताल जो मूलाधार चक्र हैं वहाँ की गंगा अर्थात कुण्डलिनी शक्ति को ब्रम्हाण्ड ( सहस्त्रार ) में प्रेरित करना चाहिए , वहीँ पहुँच कर योगी साक्षात्कार करता है अर्थात अमृत पान करता है !

इहाँ ही आछै इहाँ ही आलोप ! इहाँ ही रचिलै तीनि त्रिलोक !
आछै संगै रहै जू वा ! ता कारणी अनन्त सिधा जोगेस्वर हूवा !!३!!

परब्रम्ह सहस्त्रार या ब्रम्हरन्ध्र में ही है , यही वह अलोप है ! तीनो लोको की रचना यहीं से हुई ! यह ब्रम्हाण्ड ब्रह्म का ही व्यक्त स्वरुप है , ब्रम्हरंध्र से ही उसने अपना सर्वाधिक पसारा किया है , ऐसा अक्षय परब्रहम जो सर्वदा हमारे साथ रहता है , उसी के कारण उसी को प्राप्त करने के लिए अनंत सिद्ध योग मार्ग में प्रवेश कर योगेश्वर हो जाते हैं !

वेद कतेब न षानी बाणी ! सब ढंकी तलि आणी !
गगनि सिषर महि सबद प्रकास्या ! तहं बूझै अलष बिनाणी !!४!!

वेद आदि भी परब्रम्ह का ठीक ठीक निर्वचन नहीं कर पाए हैं, न किताबी धर्मो की पुस्तकें और न ही चार खानि की वाणी , बल्कि इन्होने तो सत्य को प्रकट करने के बदले उसके ऊपर आवरण डाल दिया ! यदि ब्रम्ह स्वरुप का यथार्थ ज्ञान अभीष्ट हो तो ब्रम्ह्रंध्र यानी गगन शिखर में समाधि द्वारा जो शब्द प्रकाश में आता है, उसमे विज्ञान रूप अलक्ष्य का ज्ञान प्राप्त करो!

अलश बिनाणी दोई दीपक रचिलै तीन भवन इक जोती !
तास बिचारत त्रिभवन सूझै चूनिल्यो माणिक मोती !!५!!

उस अलक्ष्यपुरुष परब्रम्ह ने ही दो दीपकों की रचन की है जो सविकल्प और निर्विकल्प समाधि है , उन दोनों दीपकों में उस अलक्ष्य का ही प्रकाश है ! उसी एक ज्योति से तीनो लोक व्याप्त हैं ! उस ज्योति पर विचार करने से तीनो लोक सूझने लगते हैं अर्थात त्रिलोकदर्शिता आती है और हंस स्वरूपी आत्मा ज्ञान रुपी मोतियों को चुगने लगता है तथा उसे माणिक्य रूप कैवल्य की अनुभूति प्राप्त करता है !

30/10/2024

चिंतामणि लक्ष्मी साधना

जीवन में धन का स्थान कोई नहीं नकार सकता और धन के अभाव में आज के समय में जीवन
मृत्यु से भी बुरा है!ज्योतिष के आधार पर देखा जाये तो दूसरा भाव धन से सम्बन्ध रखता है और
एकादश भाव लाभ का होता है!जिनका दूसरा और एकादश भाव या इन भावों का मालिक मजबूत
स्तिथि में बैठा होता है तो व्यक्ति को धन की कोई कमी नहीं होती पर कई बार ऐसी जन्म कुंडली
वाले जातक भी दुखी होते है क्योंकि उन पर किसी

प्रकार का बुरा प्रयोग हो जाता है या किसी द्वारा
करवा दिया जाता है!ऐसे में ज्योतिष तो कहता है कि आप धनवान होंगे पर आप पैसे पैसे के लिए मुहताज होते है!इसके फलस्वरूप आपका विश्वास ज्योतिष से उठ जाता है!हमारे समाज में एक से एक ऐसे तांत्रिक भरे पड़े है जो पैसा लेकर किसी का भी बुरा कर देते है और ऐसे ही तांत्रिक कई बार
धन के लालच में किसी के भी घर कि लक्ष्मी बांध देते है!जिसके फलस्वरूप धन कब आता है कब चला जाता है पता ही नहीं चलता सारी मेहनत की कमाई बीमारी के इलाज में लग जाती है!आज इसी समस्या के समाधान के लिए चिंतामणि लक्ष्मी साधना प्रस्तुत है!इस साधना को संम्पन करने के बाद आपको जीवन में कभी धन की कमी नहीं होगी!आपकी मदन के स्त्रोत खुल जायेगे और आपके व्यपार आदि में हो रहे घाटे लाभ में बदल जायेगे!यह साधना अपने आप में एक अनोखी साधना है!जो धन सम्बन्धी चिंता समाप्त ही करदे उसे चिंतामणि कहते है!

साधना मन्त्र::::-
ॐ ह्रीं श्रीम भगवती चिंतामणि सर्वार्थसिद्धिम देहि देहि स्वाहा!


८ १ ६
ॐ ३ ५ ७ ॐ
४ ९ २


साधना विधि ::-

किसी शुक्ल पक्ष के गुरुवार के दिन इस यन्त्र को रोली से कागज़ पर बनाये और विधि
से एक पीला कपडा बिछाकर स्थापित करे घी का दीपक जलाये और सबसे पहले गुरु पूजन फिर गणेश
पूजन फिर माँ लक्ष्मी और विष्णु जी का पूजन करे और प्राथना करे हे लक्ष्मी नारायण मेरी धन सम्बन्धी
सभी समस्यों का नाश कीजिये मै आपकी शरण में हूँ मेरी रक्षा कीजिये और ३१ माला इस मन्त्र की जपे!
यह जप आपको सुबह और शाम दोनों समय करना है अंतिम दिन १००८ आहुति साधारण हवन सामग्री में
कमलगट्टे और पञ्च मेवा मिलाकर दे!यह २१ दिन की साधना है अंतिम दिन सभी सामग्री को बहते पानी
में वहादे!गुरुकृपा से आपकी सभी समस्याओ का नाश हो जाये ऐसी मेरी कामना है!

30/10/2024

अष्टलक्ष्मी साधना

जीवन में धन के महत्व को कोई नहीं नकार सकता और धन से सम्बंधित साधनाओ को करने के लिए दिवाली से उत्तम कोई और त्योहार हो ही नहीं सकता क्योंकि इस दिन स्वयं महालक्ष्मी धरती पर आती है और सबकी मनोकामना पूर्ण करती है ! मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी समस्या हैं निर्धनता. धन के अभाव में मनुष्य मान सन्मान प्रतिष्ठा से भी वंचित रहता है , चाहे वह कितना भी बड़ा ज्ञानी क्यों ना हो..कही मैंने सुना था की पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं..आज के युग में यह बात शत प्रतिशत मुझे योग्य लगती हैं......जिनके जीवन में धन का अभाव हैं...जिनका व्यापार अच्छे से नहीं चल रहा हैं जो कर्जे के चक्रव्यूह में फस गए हैं...जो लोग धन के अभाव के कारण बार बार अच्छे मोके गवा देते हैं स्वयं भी दुखी होते हैं और परिवार भी दुखी रहता हैं ..यह साधना उन सब को तो समर्पित है ही , साथ मे हमारे प्रिय साधक भाईयो को भी समर्पित है, क्योंकि धन के अभाव में साधन उपलब्ध नहीं होता और बिना साधन, साधना नहीं होती...अब आगे मैं क्या कहूं ?? पर आप स्वयं यह साधना करे फिर आपका हृदय स्वयं बोलेगा...!

|| सामग्री ||

१. सिद्ध श्रीयंत्र , पीला वस्त्र ,ताम्बे की थाली, गौ घृत के ९(नौ) दीपक , गुलाब अगरबत्ती, पीले फूलो की माला
पीली बर्फी , शुद्ध अष्टगंध
२. माला : स्फटिक या कमलगट्टा
जप संख्या : १,२५०००
३. आसन : पीला,---- वस्त्र : पीले
समय : शुक्रवार रात नौ बजे के बाद या दिवाली की रात से भी कर सकते है !
४. दिशा : उतराभिमुख
५. २१ दिन में साधना पूर्ण करे !

|| मंत्र ||
ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीये ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा

|| विधान ||
बाजोट पर पीला वस्त्र बिछा कर उस पर सिद्ध श्री यन्त्र स्थापित करे, पीले वस्त्र धारण कर पीले आसन पर बैठे श्री यन्त्र पर अष्टगंध का छिडकाव कर खुद अष्टगंध का तिलक करे उसके बाद ताम्बे की थाली में गाय के घी से नौ दीपक जलाये,गुलाब अगरबत्ती लगाये,प्रस्साद में पीली बर्फी रखे श्री यन्त्र पर फूल माला चढ़ाये उसके बाद मन्त्र जप करे.और माँ की कृपा को प्राप्त करे .....संकल्प करना ना भूले...माँ भगवती आप सभी को सुख समृद्धि से पूर्ण करे......!

09/10/2024

ज्योतिष संजीवनी 7
आप लोगो ने अक्सर एक शब्द सुना होगा काल सर्पयोग!इस काल सर्पयोग ने उजड़े हुए पंडितो को
करोड़पति बना दिया!पंडितजी हर किसी को डरा देते है आपकी कुंडली में तो काल सर्पयोग है!इस योग
का नाम सुनते ही अच्छे भले व्यक्ति का जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है!इस पर पंडितजी कह देते है
भाई इसके उपाय पर तो २५००० रुपये का खर्चा होगा!यह सुनकर तो व्यक्ति के होश उड़ जाते है!जो
समर्थ होता है वो इसका उपाय करवा लेता है पर जो असमर्थ होता है वो अंदर ही अंदर मन मसोस कर
रह जाता है!काल सर्पयोग से जितना लोग डरते है उतना डरने की कोई बात नहीं क्योंकि काल सर्पयोग
सदैव बुरा फल नहीं देता!सबसे पहले यह जानते है की काल सर्पयोग है क्या?काल सर्पयोग 12 प्रकार का होता है!

1.अनंत कालसर्पयोग :- यदि राहू प्रथम भाव में हो और केतु सातवे भाव में और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो
अनंत काल सर्पयोग होता है!
2.कूलिक काल सर्पयोग:-यदि राहू दुसरे भाव में हो और केतु अष्टम भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो कूलिक काल सर्पयोग होता है!
3.वासुकी काल सर्पयोग:-यदि राहू तीसरे भाव में हो और केतु नवम भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो वासुकी काल सर्पयोग होता है!

4.शंखपाल काल सर्पयोग:-यदि राहू चौथे और केतु अष्टम भाव में हो हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो शंखपाल काल सर्पयोग होता है!
5.पदम् काल सर्पयोग:-यदि पंचम स्थान में राहू और एकादश भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो पदम् काल सर्प योग होता है!
6.महापद्म काल सर्पयोग:-यदि छठे भाव में राहू और बारवे भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो महापद्म काल सर्पयोग होता है!

7.तक्षक काल सर्पयोग:-यदि सातवे भाव में राहू और लगन में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो तक्षक काल सर्पयोग होता है!
8.कर्कोटक काल सर्पयोग:-यदि अष्टम भाव में राहू और दुसरे भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो कर्कोटक काल सर्पयोग होता है!
9.शंखचूड़ काल सर्पयोग:-यदि राहू नवम भाव में और केतु तीसरे भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो शंखचूड़ काल सर्पयोग होता है!

10.घातक काल सर्पयोग:-यदि राहू दशम भाव में हो और केतु चौथे भाव में हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो घातक काल सर्पयोग होता है!
11.विषधर काल सर्पयोग:-यदि एकादश भाव में राहू और पंचम भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो विषधर काल सर्पयोग होता है!
12.शेषनाग काल सर्पयोग:-यदि बारवे भाव में राहू और छठे भाव में केतु हो और सभी ग्रह उनके वीच में हो तो शेषनाग काल सर्पयोग होता है!

प्रत्येक काल सर्पयोग के अपने लाभ और नुकसान है!यहाँ पर पूरा विवरण देना बात को लम्बा खींचना होगा,सीधी बात यह है कि काल सर्पयोग का प्रयोग करके अनपढ़ पंडित भी प्रसिद्द हो गए है!काल सर्पयोग से किसी का भला हो या न हो पर पाखंडी ब्राह्मणों के आलिशान मकान जरूर खड़े हो गए है!काल सर्पयोग का उपाय बहुत सरल है!मान लीजिये पहले घर में राहू और सातवे घर में केतु है और बाकि सभी ग्रह दुसरे से लेकर पंचम भाव में बैठे है तो यह अनंत काल सर्पयोग है!अब यदि किसी ग्रह जैसे मंगल या शनि की स्थापना दशम भाव में कर दी जाये तो काल सर्पयोग खंडित हो जाता है,पर यह उपाय बहुत लम्बा है
इसलिए आपको सरल उपाय बता रहा हूँ!

उपाय:-
एक कांसे की कटोरी ले उसमे देसी घी में बना हलवा डाल दे और दो चांदी के सांप डाल दे और सरसों का तेल भी डाल दे और अपने सिर से सात बार उसार ले और किसी शनि मंदिर में रख आये!यह उपाय आपको तीन महीने में तीन बार करना है! मतलब महीने में एक बार इससे किसी भी प्रकार का काल सर्पयोग हो शांत हो जाता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है! मैंने इस उपाय को कई बार आजमाया है!आप भी इसका लाभ उठाये!उपाय करते वक़्त एक ध्यान रखे शनिदेव के चरणों की तरफ देखे आँखों की तरफ भूल कर भी न देखे!

09/10/2024

ज्योतिष संजीवनी 6
क्या यह Valentines day आपका अच्छा नहीं गुजरा?क्या आप किसी प्रेमिका की तलाश में है?
क्या बार-बार आपके प्रेम सम्बन्ध ख़राब हो जाते है?अगर आप इन समस्याओं से पीड़ित है तो
कीजिये ज्योतिष के यह उपाय और पाएं एक अच्छा प्रियतम!
प्रेम का सम्बन्ध शुक्र ग्रह से होता है!ज्योतिष ने शुक्र को चौथे और सातवें घर का कारक माना है!
शुक्र कन्या राशि में नीच और मीन राशि में उच्च का होता है,यदि आप प्रेम संबंधों में बार बार असफल
हो रहे है तो निश्चित तौर पर आपका शुक्र ख़राब है!शुक्र ग्रह भोग का कारक है!

यदि किसी तरह शुक्र की स्थापना पांचवे,छठे,आठवे और बारवें घर में कर दी जाये तो आपको प्रेम
सम्बन्धी सुख मिलना संभव है क्योंकि

१.पंचम भाव प्रेम संबंधों का होता है और प्रेम के कारक शुक्र पंचम भाव में बैठ गए!
२.छठे भाव में बैठ कर शुक्र दवादश भाव को देखता है दवादश भाव रति सुख का होता है!
३.अष्टम भाव गुप्त अंगो और गुप्त संबंधों का होता है!
४.दवादश भाव में शुक्र रति के कारक होकर रति स्थान में ही बैठ जाते है!

उपाय:-
१.यदि आप शुक्र को पांचवें भाव में पहुचाना चाहते है तो पांचवें भाव का सम्बन्ध उच्च शिक्षा से होता है!
यदि पचास ग्राम मिश्री को लगातार ४३ दिन किसी कॉलेज या उच्च शिक्षा संस्थान में फेंक दिया जाये
तो शुक्र पंचम भाव में चले जाते है!
२.यदि आप शुक्र को छठे भाव में पहुचाना चाहते है तो शुक्र पोटली बनाकर उस पोटली को कुएं में डाल
दे ऐसा लगातार ४३ दिन करे शुक्र छठे भाव में पहुच जायेगा!

३.अष्टम भाव का सम्बन्ध शमशान घाट से होता है यदि ४३ दिन लगातार शुक्र पोटली बनाकर शमशान
घाट में फेंक दी जाये तो शुक्र अष्टम स्थान में पहुँच जाते है!
४.बारवें भाव का सम्बन्ध मकान की छत से होता है जन्मकुंडली में बारवें भाव में जो ग्रह बैठा होता है
उस ग्रह से सम्बंधित सामान छत पर पड़ा होता है यदि थोडा सा पनीर छोटे छोटे टुकड़े कर के ४३ दिन

तक लगातार छत पर डाल दिया जाये तो शुक्र बारवें भाव में पहुँच जाते है!

कुछ विशेष तथ्य :-
१.जिस भाव में आप शुक्र को भेज रहे है वो भाव खाली होना चाहिए वरना उस स्थान पर बैठे हुए ग्रह के साथ
शुक्र का मिश्रित फल मिलेगा!
२.छठे भाव और अष्टम भाव में शुक्र पहुंचाते हुए इस बात का ख्याल रखें कि लगन खाली होना चाहिए नहीं तो
शुक्र के साथ लगन में बैठे हुए ग्रह का ६ और ८ का योग बन जायेगा!

शुक्र पोटली :-
एक सफ़ेद कपडा ले छोटा सा उसमे सफ़ेद चन्दन डाले थोडा सा,सात सफ़ेद फूल डाले,सात दाने मिश्री के डालें
एक सफ़ेद कागज़ पर शुक्र यन्त्र केसर से लिखकर रख दे और सफ़ेद कपडे को रेशमी सफ़ेद धागे से अच्छी तरह
बांध दे!

गौ माता को शुक्र कि कारक माना जाता है,गौ माता की पूजा करने से भी शुक्र अच्छा होता है!
दही से नहाने से भी शुक्र अच्छा होता है!
हररोज नाभि जुबान और मस्तक पर सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाने से भी शुक्र ग्रह अच्छा होता है!

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