15/10/2025
रात के करीब 12 बजे थे।
रवि अपनी बाइक लेकर जंगल के रास्ते से गुजर रहा था। आसमान में बादल गरज रहे थे, और हवा में सन्नाटा घुला हुआ था।
गूगल मैप ने अचानक रास्ता बदल दिया — “1 किलोमीटर आगे बाएँ मुड़ें।”
रवि ने बिना सोचे बाएँ मोड़ लिया… और अब वो “भैरवपुर” नाम के गाँव में पहुँच चुका था।
गाँव सुनसान था। न कोई इंसान, न कोई कुत्ता भौंकने की आवाज़।
सिर्फ़ दूर एक टूटी हवेली में टिमटिमाती एक लालटेन जल रही थी।
रवि को अजीब-सा खिंचाव महसूस हुआ, जैसे कोई उसे उस हवेली की ओर बुला रहा हो।
वो बाइक रोककर अंदर चला गया…
हवा ठंडी हो गई, सांसें भारी लगने लगीं।
अचानक दीवार पर लगी एक पुरानी तस्वीर हिली —
और उसमें दिखने वाली औरत की आँखें रवि की आँखों में आकर टिक गईं।
उसके चेहरे से खून बह रहा था, और उसके होंठ हिले —
“क्यों लौट आया तू…?”
रवि चीख़ने ही वाला था कि उसके पीछे से किसी ने उसका कंधा पकड़ा।
वो पलटा —
पर वहाँ कोई नहीं था।
फिर हवेली के दरवाज़े अपने आप बंद हो गए…
और बाहर वही आवाज़ गूँजी —
“अब तू भी इस गाँव का हिस्सा है… हमेशा के लिए…”
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