03/08/2025
🌿History of Hajrat Aadam A.S.🌿
हजरत आदम अलैहिस्सलाम का वाक़िया ✨
1️⃣ इंसान की तख़्लीक़ का एलान
क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي جَاعِلٌ فِي الْأَرْضِ خَلِيفَةً (सूरह बक़रा: 30)
“और जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा: मैं ज़मीन पर एक ख़लीफ़ा बनाने वाला हूँ।”
फ़रिश्ते अर्ज़ करने लगे:
قَالُوا أَتَجْعَلُ فِيهَا مَن يُفْسِدُ فِيهَا وَيَسْفِكُ الدِّمَاءَ
“क्या तू ऐसे को बनाएगा जो फ़साद करेगा और ख़ून बहाएगा?”
अल्लाह ने फ़रमाया:
إِنِّي أَعْلَمُ مَا لَا تَعْلَمُونَ
“मैं वह जानता हूँ जो तुम नहीं जानते।”
📖 तफ़्सीर इब्ने कसीर के मुताबिक़, अल्लाह तआला इंसान को इल्म, अक़्ल और तौबा की क़ुव्वत देने वाला था जो फ़रिश्तों में नहीं थी।
2️⃣ मिट्टी से तख़्लीक़
क़ुरआन में फ़रमाया गया:
خَلَقَهُ مِن تُرَابٍ (आल-ए-इमरान: 59)
“अल्लाह ने आदम को मिट्टी से पैदा किया।”
इब्ने अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हु के मुताबिक़, अल्लाह तआला ने ज़मीन के अलग-अलग हिस्सों से मिट्टी ली – सफ़ेद, काली, लाल, और पीली – इसलिए इंसानों के रंग और मिज़ाज अलग-अलग हैं।
उस मिट्टी को पानी से गूँधा गया और कई सालों तक छोड़ दिया गया, यहाँ तक कि वह सूखकर "सुल्साल" यानी खनकती हुई मिट्टी बन गई।
3️⃣ रूह फूँकी गई
अल्लाह तआला ने आदम की सूरत मुकम्मल की, फिर अपने अम्र से रूह फूँकी:
فَإِذَا سَوَّيْتُهُ وَنَفَخْتُ فِيهِ مِن رُّوحِي فَقَعُوا لَهُ سَاجِدِينَ (सूरह साद: 72)
“जब मैं उसे मुकम्मल कर दूँ और उसमें अपनी तरफ़ से रूह फूँक दूँ, तो तुम उसके लिए सज्दा में गिर जाओ।”
जैसे ही रूह आदम के जिस्म में दाख़िल हुई, उन्होंने अल्लाह की तस्बीह की।
4️⃣ इल्म अता करना
अल्लाह तआला ने आदम अलैहिस्सलाम को इल्म दिया:
وَعَلَّمَ آدَمَ الأَسْمَاءَ كُلَّهَا (सूरह बक़रा: 31)
“अल्लाह ने आदम को तमाम चीज़ों के नाम सिखाए।”
ये इल्म इंसान की सबसे बड़ी फ़ज़ीलत बना, जिसने फ़रिश्तों को सज्दा करने पर मजबूर कर दिया।
5️⃣ सज्दा का हुक्म और इब्लीस की बग़ावत
अल्लाह ने फ़रिश्तों से कहा:
فَسَجَدَ الْمَلَائِكَةُ كُلُّهُمْ أَجْمَعُونَ إِلَّا إِبْلِيسَ (सूरह साद: 73-74)
“सब फ़रिश्तों ने सज्दा किया, मगर इब्लीस ने इनकार कर दिया।”
इब्लीस ने कहा:
أَنَا خَيْرٌ مِّنْهُ (सूरह साद: 76)
“मैं उससे बेहतर हूँ।”
इब्लीस को लानत दी गई और वह हमेशा के लिए अल्लाह की रहमत से दूर हो गया।
6️⃣ जन्नत में ज़िंदगी
अल्लाह ने आदम को जन्नत में बसाया और उनकी पसली से उनकी बीवी हज़रत हव्वा को पैदा किया।
يَا آدَمُ اسْكُنْ أَنتَ وَزَوْجُكَ الْجَنَّةَ (सूरह बक़रा: 35)
“ऐ आदम! तुम और तुम्हारी बीवी जन्नत में रहो।”
लेकिन अल्लाह ने एक हुक्म दिया:
وَلَا تَقْرَبَا هَٰذِهِ الشَّجَرَةَ
“इस दरख़्त के क़रीब मत जाना।”
7️⃣ इब्लीस का धोखा
इब्लीस ने आदम और हव्वा को बहकाया:
فَوَسْوَسَ لَهُمَا الشَّيْطَانُ (सूरह अ'राफ़: 20)
“शैतान ने दोनों के दिल में वसवसा डाला।”
वह कहने लगा:
هَلْ أَدُلُّكَ عَلَى شَجَرَةِ الْخُلْدِ (सूरह ताहा: 120)
“क्या मैं तुम्हें हमेशा जन्नत में रहने का रास्ता बताऊँ?”
उन्होंने फल खा लिया और उनका लिबास उतर गया। दोनों जन्नत के पत्तों से तन ढकने लगे।
8️⃣ तौबा
दोनों ने रोकर दुआ की:
رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ (सूरह अ'राफ़: 23)
“ऐ हमारे रब! हमने अपनी जानों पर ज़ुल्म किया। अगर तू हमें माफ़ न करेगा तो हम नुक़सान वालों में से होंगे।”
अल्लाह ने उनकी तौबा क़ुबूल कर ली।
9️⃣ ज़मीन पर उतारना
अल्लाह तआला ने फ़रमाया:
اهْبِطُوا بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ (सूरह बक़रा: 36)
“तुम सब ज़मीन पर उतर जाओ, तुममें आपस में दुश्मनी होगी।”
यहीं से इंसानियत का असली सफ़र शुरू हुआ।
🔟 औलाद और पहला क़त्ल
हज़रत आदम को कई बेटे-बेटियाँ हुए। उनमें से हाबील और क़ाबील मशहूर हैं।
अल्लाह ने दोनों से क़ुरबानी मांगी। हाबील ने अच्छे जानवर की क़ुरबानी दी, जबकि क़ाबील ने खराब चीज़ दी। अल्लाह ने हाबील की क़ुरबानी क़ुबूल की।
क़ाबील को ग़ुस्सा आया और उसने हाबील को क़त्ल कर दिया। यह दुनिया का पहला क़त्ल था।
क़ुरआन कहता है:
مَن قَتَلَ نَفْسًا بِغَيْرِ نَفْسٍ … فَكَأَنَّمَا قَتَلَ النَّاسَ جَمِيعًا (सूरह माईदा: 32)
“जिसने एक इंसान को नाहक़ क़त्ल किया, उसने सारी इंसानियत को क़त्ल कर दिया।”
11️⃣ नबूवत और इल्म
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने नबूवत दी। उन्होंने अपनी औलाद को तौहीद, इबादत और शिर्क से बचने की नसीहत की।
📖 तफ़्सीर ताबरी के मुताबिक़, आदम अलैहिस्सलाम ने अपनी औलाद को नमाज़ और हलाल-हराम के बारे में सिखाया।
12️⃣ वफ़ात
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की उम्र लगभग 960 साल थी। उनकी वफ़ात के वक़्त फ़रिश्ते जन्नत का कफ़न लेकर आए। उनकी औलाद ने उन्हें दफ़्न किया।
हदीस में आता है कि आदम अलैहिस्सलाम के क़ब्र का पहला जुम्ला यही था:
"इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैहि राजिऊन"
(हम अल्लाह के हैं और उसी की तरफ़ लौटने वाले हैं।)
✨ सबक
तकब्बुर करने वाला हमेशा इब्लीस की तरह रहमत से दूर होता है।
तौबा करने वाला अल्लाह का क़रीबी बन जाता है।
इल्म इंसान को अफ़ज़ल बनाता है।
अल्लाह की रहमत गुनाह से बड़ी है।
इंसान का असली मक़सद इबादत और फ़रमानबरदारी है।
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