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उत्तर प्रदेश में गांव गांव में एक दहशत फैलाई जा रही है कि समाजवादी पार्टी के बहुत सांसद हो गए हैं और अब वक्फ बोर्ड किसी ...
10/06/2024

उत्तर प्रदेश में गांव गांव में एक दहशत फैलाई जा रही है कि समाजवादी पार्टी के बहुत सांसद हो गए हैं और अब वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन पर दावे कर देगा तो वह उसकी हो जाएगी। अगर कोई ऐसी अफवाह है तो यह सरकार का दायित्व है कि अधिकारी उससे जनता को उबारते। लेकिन दहशत में वोट की फसल कटती हो तो भला ऐसा क्यों किया जाएगा? यह करने का कोई मतलब नहीं है।
हकीकत यह है कि वक्फ बोर्ड एक सरकारी संस्था है, जिसके पदाधिकारी केंद्र या राज्य सरकारें नियुक्त करती है। यह संस्था किसी की जमीन पर दावा नहीं कर सकती है न उसे किसी से छीन सकती है। संविधान से परे शक्तियां तो छोड़िए, इसकी शक्ति किसी स्थानीय प्रशासन से भी इतर नहीं है।
गोरखपुर के एक मित्र ने अनुरोध किया कि इस पर आप कुछ सोशल मीडिया पर लिखें! पहले तो समझ में न आया कि इस बेवकूफी पर क्या लिखें? फिर अपनी समझ के मुताबिक लिखने की कोशिश की। हालांकि आरएसएस भाजपा के लोग वक्फ को लेकर तमाम दहशत पहले भी फैलाते रहे हैं कि बोर्ड को असीमित पावर है, यह संविधान विरुद्ध है आदि आदि। मित्र Diwakar Gupt के लिए यह मेहनत की, वरना अब इन दुनियाबी चीजों में मन नहीं लगता।
वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है रोकना। अगर कोई व्यक्ति सम्पत्ति अल्ला के नाम पर कोई सम्पत्ति दान कर देता है तो वह वक्फ में चला जाता है। अगर आपके पास कोई जमीन है और आप वयस्क हैं, उसे दान करते हैं कि वह सार्वजनिक हित मे काम आए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाती है। यह मौखिक नहीं है, लिखत पढ़त में जमीन दान की जाती है कि वक्फ के लिए मैंने दिया। उस पर कब्रिस्तान, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल या कोई भी ऐसी चीज बनाई जा सकती है जो सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल की जा सके और हर नागरिक उसका लाभ उठा सके।
वक्फ की जमीन बेची नहीं जा सकती। इसे विरासत में नहीं दिया जा सकता। कोई व्यक्ति दान देकर उसे वापस नहीं ले सकता कि यह हमारे बाप दादा की प्रॉपर्टी है इसे वापस दीजिए।
इस सम्पदा को बेचा नहीं जा सकता, लेकिन पट्टे पर दिया जा सकता है। इसमें दुकान बनाकर किराए पर लगाया जा सकता है। यह किसी भी मजहब तक सीमित नहीं है, स्कूल अस्पताल का लाभ सभी उठा सकते हैं। दिल्ली में वक्फ बोर्ड ने सैंकड़ों दुकानें बनवाकर किराए पर लगाई हैं जिनमे 80% दुकानें हिंदुओ की हैं जो मामूली किराए पर रोजी रोटी चला रहे हैं।
भारत मे 1954 में पहली बार वक्फ एक्ट पारित किया गया। बाद में 1995 में बने एक कानून में वक्फ बोर्ड को अतिरिक्त शक्तियां दी गईं। इसकी वजह यह है कि इस समय रक्षा और रेल मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। इसकी जमीन पर दबंग, गुंडे मवाली कब्जा कर लेते हैं और उसे अपने मुताबिक निजी इस्तेमाल करते हैं।
वक्फ बोर्ड भारत सरकार द्वारा बनाया गया संगठन है। इसमें सरकार यह तय करती है कि कौन कौन सदस्य रहेगा। बोर्ड में सर्वे कमिश्नर होता है, जो संपत्तियों का लेखा-जोखा रखता है. इसके अलावा इसमें विधायक, सांसद, आइएएस अधिकारी, टाउन प्लानर, अधिवक्ता और बुद्धिजीवी जैसे लोग शामिल होते हैं। वक्फ ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं। ट्रिब्यूनल में कौन शामिल होंगे, इसका फैसला राज्य सरकार करती है। वक्फ और दान मुस्लिम करते हैं इसलिए ज्यादातर पदाधिकारी मुस्लिम ही रखे जाते हैं।
मुस्लिम संगठन इस बात का प्रबल विरोध करते हैं कि अधिकार देने के नाम पर सरकार ने वक्फ बोर्ड पर अपना कब्जा कर लिया है और सरकार से जुड़े पालतू मुस्लिम नेता इसका भरपूर दुरुपयोग करते हैं। मुस्लिम संगठन चाहते हैं कि इसमें सरकार का दखल बंद होना चाहिए।
अब सवाल उठता है कि क्या वक्फ बोर्ड किसी की जमीन पर कब्जा कर सकता है? यह सोचना भी मूर्खतापूर्ण है।
पहली बात तो यह कि वक्फ बोर्ड को अपनी जमीन संभालना ही आफत है जिस पर गुंडों ने कब्जा कर रखा है। हर साल दानदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है जो चैरिटी में जमीन दान कर देते हैं कि उनकी सम्पदा का इस्तेमाल गरीबों, मजलूमो और जरूरतमंदों के लिए हो। ऐसे में वक्फ बोर्ड को किसी की जमीन पर कब्जा करने की जरूरत नहीं है।
दूसरी बात, यह बोर्ड पूरी तरह सरकारी है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि योगी सरकार या शिवराज सरकार या मोदी सरकार है तो वक्फ बोर्ड में किनके लोग बैठे होंगे और वक्फ की प्रॉपर्टी पर कौन लोग रांद काट रहे हैं।
तीसरी बात, वक्फ बोर्ड हिन्दू तो छोड़िए किसी मुस्लिम की जमीन पर भी दावे नहीं कर सकता कि वह उसकी जमीन है। वह केवल उस जमीन पर दावे कर सकता है जो उसकी अपनी जमीन है और किसी ने उस पर कब्जा कर रखा है।
अब तमाम सरकारों ने लैंड रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया है। यह बहुत महान काम है, खासकर यूपी सरकार का। योगी आदित्यनाथ की कवायद है कि जमीन के नाम पर गांवों में चलने वाला खूनी संघर्ष रोका जाए, मुकदमे में बर्बाद हो रहे ग्रामीणों को बचाया जाए। ऐसा काम अगर वह कर ले गए तो यह मानवता के लिए बहुत महान होगा।
इस डिजिटलीकरण में तमाम जमीनें सामने आ रही हैं जो किसी दूसरे की है और कब्जा किसी और की है। इसका उदाहरण खुद मैं हूँ। बड़हलगंज में पिताजी के नाम एक जमीन है और हम लोगों को पता ही नहीं था, पापा बताते जरूर थे कि वहां हम लोगों का एक खेत था। जब डिजिटल हुआ तो रिकॉर्ड से पता चला कि वहां हमारी जमीन है। समस्या है कि हम लोग इतने भी गुंडे नहीं हैं कि अपनी जमीन कब्जेदारों से छुड़ा सकें!
इसी तरह डिजिटलीकरण के साथ वक्फ की बहुत सारी जमीनें निकली हैं जिन पर लोगों ने कब्जा जमा रखा है और उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। ज्यादातर कब्जेदार स्वाभाविक रूप से मुस्लिम हैं, हिन्दू का उसमें कोई मसला ही नहीं है।
तो चिल मारिये, अगर आपने वक्फ की जमीन नहीं कब्जियाया है, आपकी जमीन योगी जी या मोदीजी द्वारा नियुक्त कोई वक्फ बोर्ड छीन नहीं सकता। चाहे आप हिन्दू हों या मुसलमान😊

#भवतु_सब्ब_मंगलम

यह धीरेंद्र राघव है । इसने बहुत ही आपत्तिजनक एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की जिसमें हिंदू समाज को भद्दी भद्दी गालियाँ ...
07/06/2024

यह धीरेंद्र राघव है ।

इसने बहुत ही आपत्तिजनक एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की जिसमें हिंदू समाज को भद्दी भद्दी गालियाँ दी गयी । इसने यह पोस्ट मुस्लिम हुलिये के साथ और ख़ुद को मुस्लिम दिखाते हुए की । वीडियो वायरल हुआ । बाद में पता चला कि यह कोई मुस्लिम नहीं हिंदू है और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार के कारण हिंदुओ को उकसाने के लिए इसने वीडियो पोस्ट किया था ।

अगर इसकी पहचान ना खुलती तो प्रदेश में कई जगह दंगा भी हो सकता था । इसके बावजूद पुलिस ने इसे मामूली सी शांति भंग की धाराओ में गिरफ़्तार किया और हाथों हाथ मजिस्ट्रेट ने ज़मानत दे दी । सोशल मीडिया पर जब कुछ लोगों ने uppolice को टैग करके लगातार ट्वीट किए तो इसे दोबारा गिरफ़्तार किया गया और अब इसे जेल भेज दिया गया । इसे अब भी ज़मानत मिल जाएगी ।

जब दो समुदायों में नफ़रत फेलाने पर देशद्रोह या UAPA लगाया जाता है और ऐसी धाराए लगाने में उत्तर प्रदेश सरकार तो निपुण है फिर धीरेंद्र राघव पर हिंदुओ की भावनाओ को भड़काने के लिए UAPA क्यों नहीं लगायी जा रही है ।

एक बार UAPA ऐसे लोगों पर लगाकर तो देखिए , अगली बार कोई ऐसी वीडियो पोस्ट करने की हिमाक़त कभी नहीं करेगा ।

29/05/2024

★ इन चुनावों में नीचता की हर हद पार कर जाना ही स्ट्रेटेजी है..यही बीजेपी की USP है..

● नवीन पट्टनायक के कांपते हाथों की तस्वीर दिखा कर उन्हें कमज़ोर,नाकारा साबित करने का काम चल रहा है..इससे बड़ी नीचता और क्या हो सकती है?

● मैं 99% यक़ीन के साथ कह सकता हूँ कि इस वक़्त नवीन बाबू "सीवियर पार्किंसन्स" के शिकार हैं..इसका 'इलाज लंबा है और काफ़ी सब्र की ज़रूरत है..

◆ मेरे स्वर्गीय पिताजी को भी पार्किंसन्स था..15 सालों तक मैं उनके 'इलाज को देखता रहा..नवीन बाबू को देखते ही मेरे पिताजी का मर्ज़ याद आ गया..

● इस सीवियर तौर पर हाथ कांपना दिमाग़ में टेंशन की वजह से बढ़ता है..नवीन बाबू को देख कर एक बात कह सकता हूँ कि चुनाव ख़त्म होते ही उनका यह कांपना 50%-80% घट जाएगा..बग़ैर दवा के घटेगा..

◆ मेरे पिताजी का भी "मूवमेंट डिसऑर्डर" मेरी माताजी के स्वर्गवास के बा'द बढ़ गया था..पर 3 महीने बा'द क़ाबू में आ गया था..दवा का डोज़ बढ़ाया नहीं गया था..

★ मैं राजनैतिक तौर पर नवीन बाबू का विरोधी हूँ..मैं चाहता हूँ कि ओडिसा में कांग्रेस को जीत मिले..

★ पर इसका क़त्त'ई यह मतलब नहीं है कि हम कांग्रेसी नवीन बाबू की तबी'अत को मुद्दा' बना कर उनका मज़ाक़ उड़ाएं..कांग्रेस कभी ऐसा नहीं करती..

👉 मोदी कह रहे हैं कि नवीन बाबू की तबी'अत पर जांच करवाएंगे..फ़र्ज़ी बात करते हैं..मोदी के लिए कोई मरे या जीए उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता..

👉 कुछ सालों पहले मोदी की क़ानूनन पत्नी श्रीमती जशोदाबेन मोदी का राजस्थान में एक्सीडेंट हुआ था..कांग्रेस के नेता तक उनसे मिलने हॉस्पिटल गए थे..पर मोदी अपनी पत्नी से मिलने नहीं आए थे..

👉 मोदी को अपनी पत्नी की फ़िक्र नहीं और चले नवीन बाबू की फ़िक्र करने? अगर श्रीमती जशोदाबेन मोदी का ज़ाती मा'मला है तो नवीन बाबू की तबी'अत भी उनका ज़ाती मा'मला है..

✋ मैं इसीलिए कांग्रेस के साथ हूँ क्योंकि कांग्रेस ने हमें भारतीय संस्कृति के अस्ल मा'ने बताए..यही उम्मीद है कि नवीन बाबू की सेहत में सुधार हो और वो सेहतमंद रहें..

कृष्णन अय्यर #भारतजोड़ोन्याययात्रा #भारतजोड़ोयात्रा

29/05/2024

गांधी ।

गांधी से वो आज भी डरते हैं ।

जब किसान गांधी के रास्ते पर चलते हैं तो उन्हें कृषि बिल वापस लेने पड़ते हैं ।

जब शाहीन बाग की महिलायें गांधी के रास्ते पर चलती हैं तो वो दिल्ली को दंगे की आग में झोंक कर इस आंदोलन को ख़त्म करते हैं ।

जब छात्र अपने हक़ के लिए गांधी के रास्ते पर चलते हैं तो वो पुलिस की सहायता लेकर इस आंदोलन को कुचलते हैं ।

देश में जो भी आंदोलन गांधी के रास्ते से होता है , उस आंदोलन से इन्हें डर लगता है ।

यह गांधी से डरते हैं इसलिए गांधी को झाड़ू ( स्वच्छता अभियान ) में समेटने की कोशिश करते हैं ।

यह गांधी से डरते हैं इसलिए गांधी को चतुर बनिया या मोहनलाल बोलकर मज़ाक़ उड़ाने की कोशिश करते हैं ।

यह गांधी से डरते हैं इसलिए कभी भगत सिंह तो कभी बोस तो कभी पटेल को उनके सामने रखते हैं ।

यह गांधी से डरते हैं क्योंकि गांधी गोली खाने के बाद भी ज़िंदा है ।

यह गांधी से डरते हैं इसलिए गांधी को ख़त्म करना चाहते हैं ।

लेकिन गांधी भारत की आत्मा है और आत्मा मरती नहीं है ।

जब तक भारत है तब तक गांधी है ।

बृजभूषण शरण सिंह पर देश की बहादुर बेटियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया । कोर्ट में साबित हो चुका है कि केस चलाने के लिए पर्...
21/05/2024

बृजभूषण शरण सिंह पर देश की बहादुर बेटियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया । कोर्ट में साबित हो चुका है कि केस चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं , उसके बावजूद उनके बेटे के चुनाव तक उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया । आज उनकी कोर्ट में पेशी थी , गिरफ़्तार शायद अभी भी नहीं होंगे क्योंकि पूर्वांचल में चुनाव चल रहे हैं और बीजेपी को उनकी ज़रूरत है ।

हेमंत सोरेन के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, वो मुख्यमंत्री थे और अपनी पार्टी के मुख्या थे , चुनाव से दुर रखने के लिए उन्हें ED ने तुरंत गिरफ़्तार कर लिया । हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ज़मानत के लिए भटक रहे हैं , कोई राहत नहीं ।

अगर देखा जाये तो बृजभूषण शरण सिंह पर ज़्यादा गंभीर आरोप है , उनके दबदबे को देखते हुए यह भी बोला जा सकता है कि उनके ऊपर आरोप लगाने वालों को उनसे ख़तरा हो सकता है , फिर भी उन्हें राहत मिली हुई है और हेमंत सोरेन जेल में है ।

आप ही बताइए कि राहुल गांधी जब बोलते हैं कि हमारे देश में पैदा होने से पहले ही आपका भविष्य तय कर दिया जाता है , तो क्या ग़लत बोलते हैं ??

इसके बाद भी यदि तुम अन्याय के पक्ष में हो तो तुम भी अन्यायी हो।

जबसे ये पहली तस्वीर देखी तबसे एक शक था मन में कि क्या नीतीश कुमार की लंबाई नरेंद्र मोदी से कम है इसलिए नीतीश कुमार छोटे ...
15/05/2024

जबसे ये पहली तस्वीर देखी तबसे एक शक था मन में कि क्या नीतीश कुमार की लंबाई नरेंद्र मोदी से कम है इसलिए नीतीश कुमार छोटे लग रहे हैं?

एक दो लोगों से पूछा भी जो बिहार के ही रहने वाले थे पत्रकार भी थे लेकिन उन्होंने कहा कि हां मोदी की लंबाई नीतीश कुमार से ज्यादा है, हमने विश्वास कर लिया सोचा ये तो बिहार के ही हैं इन्हें ज्यादा पता होगा।

फिर भी शक मन से गया नहीं क्योंकि इस पार्टी और इसके नेताओं के हर काम पर शक होता है इसलिए आज खुद ही पता लगाने की कोशिश की तो ये तस्वीर सामने आई जिसमें नीतीश कुमार मुस्कराते हुए मोदी जी को गुलदस्ता देते हुए नजर आ रहे हैं जिसमें रखे फूल पूरी तरह से खिले हुए हैं और उन्हीं फूलों की तरह खिले हुए दिख रहे हैं नीतीश कुमार जिनका कद कहीं से भी मोदी जी से कम नहीं लग रहा है।

अब आते हैं पहली तस्वीर पर जिसमें मोदी जी नीतीश कुमार से कहीं ज्यादा ऊंचे दिख रहे हैं वैसे ऐसा क्यों किया होगा बीजेपी ने?

नीतीश कुमार का ऊंचा कद कम करने की कोशिश क्यों की गई है और नीतीश कुमार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि अपना अच्छा-भला ऊंचा कद छोटा करने पर तुले हैं?

05/05/2024
28/04/2024

एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना के हजारों अश्लील वीडियो सामने आए हैं।

अश्लील वीडियो से भरी हुई पेनड्राइव से पता चला है कि सांसद और NDA उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना ने हजारों महिलाओं का यौन उत्पीड़न कर उनके आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड किए।

यह घटना बेहद हैरान करने वाली है और सभ्य समाज के लिए धब्बा है।

अब महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने वाले सांसद और NDA उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना के मामले की जांच SIT करेगी।

सबसे चौंकाने वाली बात ये कि- BJP को इस यौन उत्पीड़न और अश्लील वीडियो की जानकारी पहले से थी।

लेकिन सत्ता के लालच में डूब चुकी BJP ने आंखें बंदकर महिलाओं की इज्जत को तार-तार करने वाले बलात्कारी को टिकट दे दिया।

आज एक बार फिर महिला सम्मान का ढोंग करने वाले नरेंद्र मोदी और BJP की सच्चाई देश के सामने आ चुकी है।

यही BJP का असली 'चाल, चरित्र और चेहरा' है।

27/04/2024

सैम पित्रोदा ने कितनी बढ़िया बात कही थी। जिस बात पर कांग्रेस को आक्रामक होना चाहिए था, उस पर वह बचाव की मुद्रा में आ गई है।

अन्ना हजारे के तथाकथित आंदोलन के दौर से ही हम इस बात नजर रखे हुए हैं कि कांग्रेस में रणनीतिकारों की कमी है।

हालांकि, मठाधीश संस्कृति सभी राजनीतिक दलों में है। कम्युनिस्ट और आरएसएस इसके अपवाद हैं लेकिन कांग्रेस में तो मठों से भी ज्यादा मठाधीश संस्कृति है। लिहाजा, नए लोगों की कांग्रेस में एंट्री बंद है।

इसीलिए कांग्रेस में रणनीतिकारों का अभाव नहीं, भयंकर टाइप का अकाल पड़ गया है।

आइए, जानते हैं कि मठाधीश संस्कृति किसे कहते हैं?

हर मठ का एक मठाधीश होता है। दो-चार चमचे उसे घेर लेते हैं। ये चमचे दो काम करते हैं।

पहला, ये किसी नए व्यक्ति को मठ में घुसने नहीं देते हैं, ताकि 'प्रसाद' का कोई नया हिस्सेदार खड़ा न हो।

आम लोगों का मठ में इतना ही काम होता है कि जाओ, दर्शन करो, चरण स्पर्श करो, प्रसाद चढ़ाओ, आरती उतारो, आगे बढ़ जाओ।

ये चमचे दूसरा काम ये करते हैं कि मठाधीश को आम लोगों से काट देते हैं। उसका काम लोगों को दर्शन देना मात्र रह जाता है।

इस स्थिति में मठाधीश जनता के बारे में कुछ नहीं जान पाता, जनता मठ और मठाधीश के बारे में कुछ नहीं जान पाती।

ये इसी का अंतिम नतीजा है कि दो शंकराचार्य जब कहते हैं कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा विधि विधान से नहीं हो रही है, अधबने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा शास्त्र सम्मत नहीं है, तो लोग उन शंकराचार्य को अपशब्द कहने लगते हैं, उन्हें ट्रोल करने लगते हैं।

इसमें लोगों की गलती नहीं है।

वे बेचारे न मठ के बारे में कुछ जानते हैं, न मठाधीश के बारे में। और अगर मठ और मठाधीश के बारे में कुछ जानते भी हैं तो उतना ही जितना शाखा, शिशु मंदिर या विद्या मंदिर में बताया गया था, या वाट्सएप यूनिवर्सिटी ने सिखाया था।

इसी मठाधीश संस्कृति के चलते कांग्रेस, गांधी, नेहरू, अम्बेडकर, सुभाष, पटेल आदि के बारे में आम लोग, खासतौर पर नई पीढ़ी उतना ही जानती है, जितना और जैसा वाट्सएप यूनिवर्सिटी उन्हें बताती है।

उधर, जो मठ के अंदर हैं, उनकी कुछ जानने में रुचि नहीं है। नए लोगों की एंट्री बंद कर रखी है। इसका नतीजा ये कि सैम पित्रोदा की अच्छी बात पर बचाव की मुद्रा में आना पड़ गया है।

जिस बात को लपककर मुद्दा बना दिया जाना चाहिए था, उस पर बचाव की मुद्रा अख्तियार करना हास्यास्पद है।

सैम पित्रोदा ने यही तो कहा है कि जिस तरह अमेरिका में उत्तराधिकार टैक्स लगता है, वैसे टैक्स पर भारत में भी चर्चा होनी चाहिए।

क्या गलत कहा?

दुनिया में कई देशों में विरासत टैक्स लगता है जो 20 से 45 प्रतिशत तक होता है।

ऐसा हमारे देश में भी होना चाहिए।

क्या होता है विरासत टैक्स?

जो पिता एक सीमा से ज्यादा दौलत कमा लेता है, उसकी दौलत जब उसके उत्तराधिकारियों को मिलती है तो उसके उत्तराधिकारी से एक हिस्सा सरकार टैक्स के रूप में वसूल लेती है।

याद रखिए कि विरासत टैक्स सब पर नहीं लगता, एक सीमा से ज्यादा कमाई करने वालों पर लगता है।

ये सीमा स्पेन में सबसे कम है, लगभग 10 करोड़ रुपए।

यानी स्पेन में अगर किसी ने 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की दौलत कमाई है, तो उस ज्यादा पर एक निश्चित दर से टैक्स लगता है।

कब?

जब उसकी दौलत उसके उत्तराधिकारियों को ट्रांसफर होगी।

ये बहुत शानदार व्यवस्था है। भारत जैसे भयानक आर्थिक असमानता वाले देश में यह व्यवस्था लागू होनी ही चाहिए।

इस मुद्दे पर कांग्रेस को फ्रंटफुट पर खेलना चाहिए।

अगर ये लम्बी पोस्ट आप विद्वान मित्रों ने पढ़ ली है तो आभार...।

नोट-कॉपी करने के लिए इजाजत की जरूरत नहीं है।

Rajendra Chaturvedi

25/04/2024

आपका *एक वोट* भारत के भविष्य को बचा सकता है 🇮🇳

जैसा कि हम सभी देख रहे हैं, हमारा प्यारा देश तानाशाही बनने के गंभीर खतरे में है -

❌ मीडिया बिक चुका है
❌ मणिपुर जल रहा है
❌ चंडीगढ़ और सूरत में चुनावी धोखाधड़ी से लाखों लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए
❌ बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को बदलने कि घोषणा की जा रही है
❌ किसानों पर रबड़ की गोलियां और आंसू गैस चलाई गई
❌ हमारे ओलंपिक पहलवानों को एक बलात्कारी के खिलाफ प्रदर्शन करने पर पीटा गया
❌ विपक्षी नेता जैसे कि अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन को बिना किसी सबूत के जेल में डाल दिया गया
❌ केजरीवाल को इन्सुलिन समय पर नहीं दिया, जान से मारने की कोशिश है
❌ सुप्रीम कोर्ट के जजों पर दबाव है
❌ ईडी और सीबीआई बीजेपी के वाशिंग मशीन के कठपुतली बन गए हैं
❌ बलात्कारियों का मालाओं से स्वागत किया जा रहा है
❌ भारत के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला - इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाला जनता से छिपाया गया

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं लेकिन अब विश्व की सबसे बड़ी तानाशाही बनने के कगार पर है । ज़रा सोचिए *भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहेब अंबेडकर और गांधीजी क्या सोचेंगे आज देश की यह हालत देख कर? क्या इसी दिन के लिए उन्होंने अपनी क़ुर्बानी दी थी?* एक सत्ता के भूके राजनेता के लिए हम ये विरासत नहीं खो सकते। बहुत महत्वपूर्ण है कि हम भारत के लोग जागें इससे पहले कि देर हो जाए। आप:

✅ शिक्षा के लिए वोट दें
✅ किसानों के लिए वोट दें
✅ महिलाओं के अधिकारों के लिए वोट दें
✅ पहलवानों के लिए वोट दें
✅ नौकरियों के लिए वोट दें
✅ स्कूलों के लिए वोट दें
✅ मणिपुर के लिए वोट दें
✅ लद्दाख के लिए वोट दें

✅ ऐसे नेता के लिए वोट दें जिनमें प्रेस कॉन्फ्रेंस देने की हिम्मत हो
✅ ऐसे नेता के लिए वोट दें जो झूठी गारंटियाँ न देता हो
✅ ऐसे नेता के लिए वोट दें जो पढ़ा लिखा और विनम्र हों

और सबसे महत्वपूर्ण:

✅ लोकतंत्र के लिए वोट दें
✅ इंडिया के लिए वोट दें 🇮🇳

*याद रखें*: अगर भारत पूरी तरह से तानाशाही बन जाता है,

☠️ आपकी आवाज हमेशा के लिए दबा दी जाएगी
☠️ सोशल मीडिया पूरी तरह से सरकार द्वारा नियंत्रित होगा
☠️ किसी भी मुद्दे पर कभी भी प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी
☠️ आप क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, क्या देखते हैं, यह सब सरकार द्वारा नियंत्रित होगा
☠️ जो सूरत और चंडीगढ़ में हुआ, वो पूरे हिंदुस्तान में होगा - 'एक राष्ट्र शून्य चुनाव'
☠️ जो कोई भी अपनी आवाज उठाएगा उसे जेल होगी
☠️ भारत उत्तर कोरिया की तरह बन जाएगा

लेकिन आपका एक वोट ☝️ यह सब बदल सकता है

☑️ इस संदेश को 100 लोगों को फॉरवर्ड करें। आइए जनता की ताक़त दिखाए, हम अपने संविधान को नहीं बदलने देंगे, हम अपने प्यारे देश को बचाएँगे । हम यह संदेश सभी 100 करोड़ मतदाताओं तक पहुँचाएंगे।

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳

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