02/06/2023
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साथियों, मन कभी कभी मेरे कंट्रोल से बाहर हो जाता है। जब जब इन तमाम मीडिया वालों को किसी तरह से साफ़-साफ़ एजेंडा चलाते देखता हूँ तो ऐसा लगता है कि ये लोग कर क्या रहे हैं।
आने वाली नस्लों को हम क्या देने वाले हैं.. क्या हमारे बच्चे भविष्य में केवल नफ़रत की दीवार को और पुख़्ता करने का काम करेंगें। यानी आज हम जिसे सींच रहे हैं न, आगे के बच्चे इस ज़हरीले पौधे के बीज ख़ाकर आगे की दुनिया को सम्हलाने वाले हैं।
शायद इसलिए ही मैं बीते तीन -चार साल से पेपर नहीं पढ़ता हूँ । अब तो कई महीनों से न्यूज़ चैनल न के बराबर देखता हूं, अब तो ग़लती से भी नहीं देखता हूँ। अब यूट्यूब पर भी ढेर सारे न्यूज़ एंकर्स को mute कर दिया हूँ। क्योंकि जितनी बार ये ग़लत बोलेंगें उतनी बार मन में ग़लत विचार आते हैं इनके ख़िलाफ़, कई बार इनके वीडियो पर कमेंट भी घटिया स्तर के करना पड़ जाता है, सो बुरा बनने से अच्छा है दूर रहिये।
आपको नहीं लगता है कि ये मीडिया वाले हम लोगों को चलता फिरता जॉम्बी बना रहे हैं। कभी - कभी कोई अच्छे विचार वाले दोस्त भी बातचीत कर लेते हैं तो मन और खुश हो जाता है कि दुनिया अभी ख़ूबसूरत और प्यारी है, तमाम लड़के बड़ों का और लड़कियों का सम्मान करना जानते हैं.. तमाम लड़कियाँ अभी भी लड़कों की भावनाओं को समझती हैं।
लेकिन फिर अचानक से कोई मुद्दा समाज में उठता है और उसे चुनिंदा मुद्दे को लाश बनाकर ये गिद्ध मीडिया चीथड़े में नोचता है, फिर मन एकदम से दुःखी हो जाता है। दुखी मन से कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता है। हर एक मामले में जाति, धर्म आदि का मसअला बनाकर उसे इतना बड़ा बना देते हैं कि हल करने लायक नहीं बचता है। रोज़ बलात्कार, हत्या, धोखेबाज़ी, महापुरुषों की शान में गुस्ताखी, वादाख़िलाफ़ी या फिर एजेंडा आदि देखकर लगता है कि हम कहाँ जी रहे हैं, क्या कर रहे हैं.. डर लगता है।
लड़कों से डर लगता है कि कौन कब आकर धमकी देते हुए गाली न बकने लगे, लड़कियों से डर लगता है कि कौन आकर ठरकी होने का तमगा न दे दे, बड़ों से डर लगता है कि कोई अपनी ओछी सोच न थोप दें, गोदी मीडिया के पत्रकारों से डर लगता है कि फिर कोई नफ़रत के कारोबार में हमें न मोहरा बना लें, नेताओं से डर लगता है कि दुश्मन न मान बैठें, पुलिस से डर लगता है कि कहीं बिना बात के ही किसी केस पर अपनी भावना आहत मानकर घर न आ धमके।
कुल मिलाकर हर जगह डर ही डर है मोहब्बत नहीं है कहीं पर। बस इसलिए ही मैं अल्लाह की रजा में राज़ी हूँ, कभी- कभी थोड़ी शायरी अपनी ख़ुशी के लिए करता हूँ। अब कुछ और बदलाव करने में प्रयासरत हूँ कि फ़र्ज़ी वाहियात लोगों को रिप्लाई करने से बचा करूँ, आर्गुमेंट से दूर रहूँ और मूर्खों से उलझने में वक़्त न ख़राब करूँ।
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जाने-अनजाने में आपका दिल दुखा हो तो मुआफ़ी।
शुक्रिया साथियों।🙏🏻 💕
~ राव अशरफ अली
(9412186704)