17/07/2025
इस बार बिहार में वोट सिर्फ "जन सुराज" को क्यों देना चाहिए?
बिहार एक ऐसा राज्य है जिसकी पहचान कभी शिक्षा, संस्कृति और नेतृत्व के लिए होती थी। लेकिन आज बिहार का युवा रोजगार के लिए पलायन करता है, किसान संकट में है, शिक्षा व्यवस्था बदहाल है और भ्रष्टाचार आम जनजीवन को निगल रहा है। अब समय आ गया है कि बदलाव के लिए हम एक ऐसा नेतृत्व चुनें, जो सिर्फ वादे नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने का जज़्बा रखता हो। और यही वजह है कि इस बार बिहार में वोट सिर्फ जन सुराज को देना चाहिए।
जन सुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर जी ने बिहार के कोने-कोने में पदयात्रा कर, आम लोगों से सीधा संवाद किया है। उन्होंने ना तो हेलीकॉप्टर से रैलियां कीं, ना ही नेताओं की तरह वादों की झड़ी लगाई, बल्कि गाँव-गाँव जाकर जनता की समस्याओं को सुना और उसके समाधान की स्पष्ट योजना दी। ये एकमात्र ऐसा आंदोलन है, जो जमीनी सच्चाई पर आधारित है और बिहार के लोगों को विकल्प नहीं बल्कि विकास देना चाहता है।
शिक्षा और रोजगार पर जन सुराज का फोकस सबसे मजबूत पक्ष है।
आज बिहार का युवा सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी को लेकर जूझ रहा है। सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता नहीं है, और प्राइवेट सेक्टर की संभावना नगण्य है। जन सुराज का लक्ष्य है – एक ऐसा बिहार जहां हर हाथ को काम मिले और हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाए।
प्रशांत किशोर जी का यह स्पष्ट मानना है कि अगर शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त कर दिया जाए, तो बिहार अपने आप विकास की राह पर लौट सकता है। वे सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के स्तर पर लाने की योजना लेकर चल रहे हैं, जिसमें हर स्कूल में अच्छी बिल्डिंग, प्रशिक्षित शिक्षक और डिजिटल संसाधन मौजूद होंगे।
रोजगार के लिए जन सुराज छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना चाहता है, जिससे गाँवों में ही रोजगार के अवसर पैदा हों। वह भ्रष्टाचार पर भी जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाना चाहता है, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे जनता तक पहुँचे।
जन सुराज किसी जाति या धर्म की राजनीति नहीं करता, वह सिर्फ काम और विकास की बात करता है। आज जब राजनीति में सिर्फ वंशवाद, नफरत और लालच रह गया है, वहीं जन सुराज एक नई राजनीति की उम्मीद बन कर उभरा है – जनता की राजनीति, जनता के लिए।
इसलिए आइए, इस बार अपने बच्चों के बेहतर भविष्य, अपने गाँव के विकास और बिहार के सुनहरे कल के लिए एक मौका दें –
वोट दें “जन सुराज” को, साथ दें प्रशांत किशोर जी का।
बिहार बदलेगा, जब सोच बदलेगी।