Dr. Mukesh Kumar

Dr. Mukesh Kumar I am a Homeopathic physician.

07/01/2025

एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस Human Metapneumovirus)

यह कोई नया वायरस नहीं है. इससे संक्रमण के लक्षण प्रायः वही रहते हैं जो सर्दी-खांसी यानी फ़्लू के वायरस से संक्रमण के रहते हैं. एक अनुमान के अनुसार पाँच की उम्र तक अधिकतर लोग इससे संक्रमित हो चुके रहते हैं. कुछ में इससे कठिन बीमारी हो सकती है - न्यूमोनिआ भी. ऐसा तभी होता है जब शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र किसी कारण से कुछ कमजोर रहे. छोटे बच्चों में और 65 की उम्र से अधिक उम्र वालों को इससे कठिन बीमारी का खतरा अधिक रहता है.

पहली बार इस वायरस से संक्रमण पर कठिन स्थिति आने की आशंका अधिक रहती है. एक बार हो जाने पर संक्रमण से प्रतिरक्षा तंत्र वायरस को पहचानने लगता है. अधिक उम्र होने पर या किसी और कारण से प्रतिरक्षा तंत्र के दुर्बल हो जाने पर भी कठिन स्थिति आने की आशंका बढ़ जाती है.

फैलता कैसे है?
खांसी, छींक से. स्पर्श से भी. हाथ मिलाना कम कर सकते हैं. ऐसी जगह को छूना जिसे किसी संक्रमित ने छू रखा हो- फोन, कंप्यूटर के की बोर्ड, दरवाजों के हत्थे, खिलौने आदि.

लक्षण:
खाँसी, बुखार, बहती (या भरी) नाक, गले में खराश, साँस लेने में दिक्कत, दाने / चकत्ते (rash)

कठिन / जटिल स्थितियाँ:
ब्रॉन्कोटाइटिस
न्यूमोनिआ
ब्रोंकिओलिटिस
अस्थमा के कठिन दौरे
कान के संक्रमण

उपचार:
कोई ऐंटीवायरस दवा नहीं है. अधिकतर मामले घर पर ही सुलझ जाते हैं. कठिन स्थिति में अस्पताल जाना जरूरी हो सकता है. वहां लाक्षणिक उपचार दिए जाते हैं - ऑक्सीजन, शिराओं में पानी चढ़ाना, और कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स

ऐंटीबायोटिक्स से एचएमपीवी से संक्रमण में कोई लाभ नहीं होता क्योंकि संक्रामक बैक्टीरिया नहीं बल्कि वायरस है. किन्तु कभी कभी साथ में बैक्टीरिया से भी संक्रमण हो सकता है - सेकेंडरी इन्फेक्शन - और उससे निपटने के लिए डॉक्टर ऐंटीबायोटिक्स दे सकते हैं. बिना चिकित्सक की सलाह के ऐंटीबायोटिक्स लेना बहुत समझदारी का काम नहीं है.

रोकथाम और बचाव
(कोविड को याद करें)
हाथ धोना
छींकते समय नाक और मुँह ढकना- हाथ से नहीं, केहुनी से
रुग्ण व्यक्ति के साथ नहीं रहना
मास्क के प्रयोग
खाने के बर्तन - कप इत्यादि - अलग रखना

अस्पताल कब जाएं
103 डिग्री बुखार
साँस लेने में दिक्क्त
नख के नीचे नीला दिखना
जब भी लगे कि तबीयत अधिक खराब हो रही है.

अंत में फिर, कोई चिंताजनक बीमारी नहीं है. कोई नया वायरस नहीं है.
HMPV से संक्रमित व्यक्ति लक्ष्णानुसार होम्योपैथी दवा का उपयोग कर सकते हैं जो नीचे वर्णित है
Aconite napelus-200
Allium cepa-30
Brayonia alba -200
Arsenic album -30
Spongia-30
Ferrum phos-3x
इन दावों से HMPV के खतरों को काम किया जा सकता है, और ठीक भी किया जा सकता है।

27/06/2024
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत......."सेंधा नमक के साथ इन अंग्रेजो ने कैसे किया था खिलवाड़ " भारत से कैसे गायब कर दिया गया... ...
26/06/2024

पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......

"सेंधा नमक के साथ इन अंग्रेजो ने कैसे किया था खिलवाड़ "
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt"सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः: आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों अन्नपूर्णा,कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ , आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था । उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया अमेरिका में नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस में नहीं ,डेन्मार्क में नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।
सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं, ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बडा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में ही बहुत खतरनाक है! क्योंकि कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक में होता है । दूसरा होता है “industrial iodine” ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों में निर्मित है।

आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है, एक ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है, इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक में होता है सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक में प्रकृति के द्वारा बनाया आयोडीन होता है इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।

अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है!बाकी तो मौत को enjoy ही करता है इंसान ...मौत के स्वाद का चटखारे लेता मनुष्...
23/04/2024

अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है!
बाकी तो मौत को enjoy ही करता है इंसान ...

मौत के स्वाद का
चटखारे लेता मनुष्य ...

थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है,
मौत से प्यार नहीं, मौत तो हमारा स्वाद है,

बकरे का,
गाय का,
भेंस का,
ऊँट का,
सुअर,
हिरण का,
तीतर का,
मुर्गे का,
हलाल का,
बिना हलाल का,
ताजा बकरे का,
भुना हुआ,
छोटी मछली,
बड़ी मछली,
हल्की आंच पर सिका हुआ।
न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....

स्वाद से कारोबार बन गई मौत।
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
नाम "पालन" और मक़सद "हत्या"❗

स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल।

गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।

जो हमारी तरह बोल नही सकते,
अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं,
उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?
कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ?
या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?

डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना !
किसी की आहें मत लेना !
किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए !

बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??
जिसे काटा गया होगा ?
जो कराहा होगा ?
जो तड़पा होगा ?
जिसकी आहें निकली होंगी ?
जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?

कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो
भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..❓

क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓
क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ..❓
धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो।
कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो।

कभी सोचा ...??
क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?

किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ?

मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!
आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!

नवरात्रि में तो सवाल ही

18/04/2024
Celebrating my 5th year on Facebook. Thank you for your continuing support. I could never have made it without you. 🙏🤗🎉
16/04/2024

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20/01/2024

English rhymes ko classical music me achhi parstuti.

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Samastipur
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