04/05/2025
दुःख कैसा होता है? क्या वो हाथी के जितना बड़ा होता है? अगर वो इतना बड़ा होता है तो मेरे सीने में कैसे सरसराते हुए घुस जाता है? क्या वो चींटी के जैसे होता है?
अगर वो चींटी होता है तो मेरे सीने पर पहाड़ के बोझ सा क्यों लगता है।
मैं आसमान में देखता हूँ और पाता हूँ कि मेरा दुख आसमान से बड़ा है। मैं आसमान में तकना बंद करता हूँ। और धरती को देखता हूँ। तो धरती मेरे दुख से छोटी लगती है।
मुझे माँ की याद आती है वो कहती थी कि तुझे कभी दुख ना होगा। माँ चली गई। अपना साथ अपना कहना भी लेते गई।