
13/05/2025
इन दोनों टेस्ट से जाना ज्यादा बुरा इसलिए भी है...कि ये अपने से थे दोनों...क्रिकेट के मैदान पर कोहली अपने गली-मुहल्ले के लौंडे जैसा था...मैदान पर बंदरों-सा उछल कूद करना..हंसना...चिढ़ाना...गाली बक देना...गली क्रिकेट के लौंडों की तरह उलझ पड़ना...सब अपना-सा था...जैसे अपने सर्कल का कोई बंदा बहुत आगे निकल गया हो... वही रोहित है कि खराब करने पर अपने ही टीम के लौड़ों को पेल देता...खुद खराब होने पर हाथ जोड कर माफी भी मांगी..!
ऐसा लग रहा जैसे अपने हाथ से...एक बार फिर बल्ला छूट गया... दूर कहीं पीछे... दोनों अपने लिए नहीं खेले...मेरे जैसे न जाने कितने लड़कों के सपने जी रहे थे..!
खैर तुमने झूमने के इतने मौके दिए तो तुम्हारी विदाई में शिकायत नहीं सुकून है... कोई था जो हमारे सपनों को जी गया...!❤️🔥