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23/11/2025

ज़ोरदार ठंड वापस आने वाली है! ❄️

राज्यभर में मौसम का उतार-चढ़ाव जारी है। कुछ दिनों से सर्दी का सितम कम हुआ था, लेकिन अब एक बार फिर ठंड की जोरदार वापसी की संभावना जताई जा रही है।

मौसम विभाग के अनुसार, गुमला जिले में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया, जबकि चाईबासा जिले में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रहा। आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट के साथ, ठंड और बढ़ने का अनुमान है।

अपने और अपने परिवार का ख्याल रखें और गर्म कपड़े पहनकर रहें।

#ठंडवापसी #मौसमअपडेट #सर्दीकामौसम झारखंडमौसम AwaazEHindTimes ताजासमाचार WeatherUpdate

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Awaaz E Hind Times - हिंदी खबरों का विश्वसनीय स्रोत

23/11/2025

ज़ोरदार ठंड वापस आने वाली है! ❄️

राज्यभर में मौसम का उतार-चढ़ाव जारी है। कुछ दिनों से सर्दी का सितम कम हुआ था, लेकिन अब एक बार फिर ठंड की जोरदार वापसी की संभावना जताई जा रही है।

मौसम विभाग के अनुसार, गुमला जिले में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया, जबकि चाईबासा जिले में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रहा। आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट के साथ, ठंड और बढ़ने का अनुमान है।

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06/10/2025

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।
(अर्थ: जिंदगी भर माला फेरते रहे, लेकिन मन का मैल न धुला। हाथ की माला छोड़ दो, मन की माला फेरो।)

Free Gut Health knowledge....
02/10/2025

Free Gut Health knowledge....

In this eye-opening podcast of Gunjan Talks, we’re joined by Ram Verma, one of India’s top NLP trainers and personal transformation coaches, known for his wo...

*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 02 अक्टूबर 2025**⛅दिन - गुरुवार**⛅विक्रम संवत् - 2082**⛅अयन - दक्षिणायण**⛅ऋतु - शरद**⛅मा...
02/10/2025

*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 02 अक्टूबर 2025*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2082*
*⛅अयन - दक्षिणायण*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी शाम 07:10 तक तत्पश्चात् एकादशी*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा सुबह 09:13 तक तत्पश्चात् श्रवण*
*⛅योग - सुकर्मा रात्रि 11:29 तक तत्पश्चात् धृति*
*⛅राहुकाल - दोपहर 01:45 से दोपहर 03:15 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅सूर्योदय - 06:19*
*⛅सूर्यास्त - 06:13 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:42 से प्रातः 05:30 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:52 से दोपहर 12:40 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:52 से रात्रि 12:40 अक्टूबर 03 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅️व्रत पर्व विवरण - दुर्गा विसर्जन, सरस्वती विसर्जन, विजयादशमी, दशहरा, विद्यारम्भम् का दिन, मध्वाचार्य जयंती, महात्मा गाँधी जयंती, लालबहादुर शास्त्री जयंती, बुद्ध जयंती*
*🌥️विशेष - दशमी को लौकी कलंबी शाक खाना त्याज्य है तथा एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*

*🔹विजयादशमी : 02 अक्टूबर 2025 🔹*

*🔸विजयादशमी का दिन बहुत महत्त्व का है और इस दिन सूर्यास्त के पूर्व से लेकर तारे निकलने तक का समय अर्थात् संध्या का समय बहुत उपयोगी है ।*

*🔸दशहरे की संध्या को भगवान को प्रीतिपूर्वक भजे और प्रार्थना करे ।*

*🔸‘ॐ’ का जप करने से लौकिक कामनाओं की पूर्ति, आध्यात्मिक चेतना में वृद्धि और जीवन में दिव्यता तथा परमात्मा की प्राप्ति होती है ।*

*🔹 दशहरा के दिन जपने योग्य मंन्त्र 🔹*

*🔸 दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व सिद्धिदायी विजयकाल कहलाता है ।*

*🔸 इस विजयकाल में थोड़ी देर "राम रामाय नमः" मंत्र के नाम का जप करें ।*

*🔸 मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए "ॐ अपराजितायै नमः "मंत्र का जप कर रहे हैं ।*

*🔸 श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें ।*
*"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना।"*

*🔸दशहरे के दिन विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के दशहरे तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं ।*

*🔹नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए🔹*

*🔸दशहरे से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं । इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें । नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक (पलकें झपकाये बिना एकटक देखना) करें ।*

🌸✨ **शुभ महा नवमी 2025** ✨🌸  नवरात्रि का हर दिन खास होता है, लेकिन *महा नवमी* का महत्व सबसे अलग है। आज के दिन माँ सिद्धि...
01/10/2025

🌸✨ **शुभ महा नवमी 2025** ✨🌸

नवरात्रि का हर दिन खास होता है, लेकिन *महा नवमी* का महत्व सबसे अलग है। आज के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से जीवन में **शक्ति, समृद्धि और सकारात्मकता** की प्राप्ति होती है। 🙏

🌺 *महा नवमी 2025 के महत्व* 🌺
- माँ सिद्धिदात्री की आराधना से हर मनोकामना पूरी होती है।
- कन्या पूजन और माता का आशीर्वाद पाने का पावन अवसर है।
- यह दिन विजय, नई शुरुआत और खुशियों का प्रतीक माना जाता है।

✨ *महा नवमी का संदेश* ✨
नवमी हमें सिखाती है कि विश्वास और धैर्य से हर अंधकार पर विजय संभव है। माँ दुर्गा की कृपा से जीवन में शक्ति और सफलता दोनों मिलती हैं।

💐 *शुभकामनाएँ* 💐
आप सभी को **महा नवमी 2025** की हार्दिक शुभकामनाएँ।
माँ दुर्गा आपके जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर दें। 🌸

📢 इस पावन संदेश को अपने प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें और माँ की कृपा सब तक पहुँचाएँ।



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*🛕 विविध ज्ञानामृत 🛕**नवरात्र की आध्यात्मिकता एवं वैज्ञानिकता।* संस्कृत व्याकरण के अनुसार नवरात्रि कहना त्रुटिपूर्ण है। ...
25/09/2025

*🛕 विविध ज्ञानामृत 🛕*

*नवरात्र की आध्यात्मिकता एवं वैज्ञानिकता।*

संस्कृत व्याकरण के अनुसार नवरात्रि कहना त्रुटिपूर्ण है। नौ रात्रियों का समूह होने के कारण से द्वन्द समास होने से यह शब्द पुलिंग रूप ‘नवरात्र‘ कहना उचित है।

पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के काल में एक साल की चार संधियाँ हैं।
उनमें मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं।

इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है। दिन और रात के तापमान मे अंतर के कारण, ऋतु संधियों में प्रायः शारीरिक बीमारियाँ बढ़ती हैं।

वास्तव में इस शक्ति साधना के पीछे छुपा व्यावहारिक पक्ष यह है कि नवरात्र का समय मौसम के बदलाव का होता है।

आयुर्वेद के अनुसार इस बदलाव से जहां शरीर मे वात, पित्त, कफ मे दोष पैदा होते हैं, वहीं बाहरी वातावरण मे रोगाणु, जो अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं।

सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है।

नवरात्र के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गये संयम और अनुशासन, तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं।

*नवरात्र का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक संबंध इन नौ से सीधा जुड़ा है*

हमारे शरीर में 9 इंद्रियाँ हैं : आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा, वाक्, मन, बुद्धि, आत्मा।

नौ ग्रह हैं जो हमारे सभी शुभ अशुभ के कारक होते हैं : बुध, शुक्र, चंद्र, बृहस्पति, सूर्य, मंगल, केतु, शनि, राहु।

नौ उपनिषद हैं : ईश, केन, कठ, प्रश्न, मूंडक, मांडूक्य, एतरेय, तैतिरीय, श्वेताश्वतर।

नवदुर्गा यानी 9 देवियाँ हैं : शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी, चंद्रघंटा, कुशमांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागौरी, सिद्धरात्री।

शरीर और आत्मा के सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिये नौ द्वारों की शुध्दि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है।

इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिये नौ दिन नौ दुर्गाओं के लिये कहे जाते हैं।

सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से
शरीर की शुध्दि, साफ सुथरे शरीर में शुध्द बुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म, कर्मों से सच्चरित्रता और क्रमश: मन शुध्द होता है। स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है।

नवरात्र में निम्न आहार को अधिक महत्व दिया गया है जिसका सीधा सीधा संबंध हमारे स्वास्थ और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिये ही है :

1. कुट्टू – शैल पुत्री
2. दूध दही – ब्रह्म चारिणी
3. चौलाई – चंद्रघंटा
4. पेठा – कूष्माण्डा
5. श्यामक चावल – स्कन्दमाता
6. हरी तरकारी – कात्यायनी
7. काली मिर्च व तुलसी – कालरात्रि
8. साबूदाना – महागौरी
9. आंवला – सिद्धिदात्री !

*नवरात्र को ‘नवरात्र' ही क्यों कहते हैं ?*

क्योंकि ‘रात्रि' शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है।
भारत के प्राचीन ऋषि मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है।
यही कारण है कि दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्र आदि उत्सवों को रात में ही मनाने की परंपरा है। यदि रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही कहा जाता जैसे शिव दिन आदि।

दिन में आवाज दी जाये तो वह दूर तक नहीं जायेगी। किंतु रात्रि को आवाज दी जाये तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसके पीछे ध्वनि प्रदूषण के अलावा एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों और रेडियो तरंगों को आगे बढ़ने से रोक देती हैं। रेडियो इस बात का जीता जागता उदाहरण है। कम शक्ति के रेडियो स्टेशनों को दिन में पकड़ना अर्थात सुनना मुश्किल होता है जबकि सूर्यास्त के बाद छोटे से छोटा रेडियो स्टेशन भी आसानी से सुना जा सकता है। मनीषियों ने रात्रि के महत्व को अत्यंत सूक्ष्मता के साथ वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में समझने और समझाने का प्रयत्न किया। रात्रि में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं।आधुनिक विज्ञान भी इस बात से सहमत है। हमारे ऋषि मुनि आज से कितने ही हजारों वर्ष पूर्व ही प्रकृति के इन वैज्ञानिक रहस्यों को जान चुके थे।

इसी वैज्ञानिक सिद्धांत के आधार पर मंत्र जप की विचार तरंगों में भी दिन के समय अवरोध रहता है, इसीलिए ऋषि मुनियों ने रात्रि का महत्व दिन की अपेक्षा बहुत अधिक बताया है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए, साधकगण रात्रि में संकल्प और उच्च अवधारणा के साथ अपने शक्तिशाली विचार तरंगों को वायुमंडल में भेजते हैं। उनकी कार्यसिद्धि अर्थात मनोकामना सिद्धि, उनके शुभ संकल्प के अनुसार उचित समय और ठीक विधि के अनुसार करने पर अवश्य पूर्ण होती है।

सामान्यजन, दिन में ही पूजा पाठ निपटा लेते हैं, जबकि एक साधक, इस अवसर की महत्ता जानता है और ध्यान, मंत्र जप आदि के लिए रात्रि का समय ही चुनता है।

नवरात्र से नवग्रहों का संबंध भी है चैत्र नवरात्र प्राय: ‘मीन मेष‘ की संक्रांति पर आती है।

*नवग्रह में कोई भी ग्रह अनिष्ट फल देने जा रहा हो जो शक्ति उपासना करने से विशेष लाभ मिलता है।*

👉 सूर्य ग्रह के कमजोर रहने पर स्वास्थ्य लाभ के लिये शैलपुत्री की उपासना से लाभ मिलती है।
👉 चंद्रमा के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिये कुष्मांडा देवी की विधि विधान से नवरात्रि में साधना करें।
👉 मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिये स्कंदमाता,
👉 बुध ग्रह की शांति तथा अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिये कात्यायनी देवी,
👉 गुरु ग्रह के अनुकूलता के लिये महागौरी,
👉 शुक्र के शुभत्व के लिये सिद्धिदात्रि तथा
👉 शनि के दुष्प्रभाव को दूर कर शुभता पाने के लिये कालरात्रि के उपासना सार्थक रहती है।
👉 राहु की शुभता प्राप्त करने के लिये ब्रह्माचारिणी की उपासना करनी चाहिए।
केतु के विपरीत प्रभाव को दूर करने के लिये चंद्रघंटा की साधना अनुकूलता देती है।

नवरात्र वर्ष में चार बार आते हैं, जिसमें चैत्र और आश्विन की नवरात्रियों का विशेष महत्व है।

चैत्र नवरात्र से ही विक्रम संवत का आरंभ होता है। इन दिनों प्रकृति से एक विशेष तरह की शक्ति निकलती है। इस शक्ति को ग्रहण करने के लिये इन दिनों में शक्ति पूजा या नवदुर्गा की पूजा का विधान है, इसमें माँ की नौ शक्तियों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है।

इस पर्व में तीन प्रमुख हिंदू देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, औरश्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है।

”प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी!
तृतीय चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेति चतुर्थकम्!
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च!
सप्तमं कालरात्रि महागौरीति चाऽष्टम्!
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः!”

इनकी आराधना करने से कई प्रकार की गुप्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

24/09/2025

*🛕 सत्संग / कथा ज्ञानामृत 🛕*

*देवी भागवत में नवदुर्गा की अध्यात्म रूपकल्प वर्णन :*

1. शैलपुत्री : हिमालय सम दृढ़ता सम्पर्ण त्रिशूल धारिणी देवी, जो करतीं शिव की साधना। बैल की सवारी दर्शाती सर्व शक्तिवान से प्राप्त सर्व शक्ति, त्रिशूल सूचक ज्ञान अस्त्र का, पद्म करे पवित्रता की अभिव्यक्ति।।

2. ब्रह्मचारिणी :साक्षात तपस्विनी, निर्विकारी जीवन बना उदाहरण, मूर्तरूप में हैं तेजस्विनी। राजयोग के अभ्यास से बनीं सुख और आनंद दायिनी, परमपिता से संबंध जुटाकर कहलाई देवी ब्रह्मचारिणी।।

3. चन्द्रघंटा : शांति और सुख की देवी शेर की सवारी दर्शाति निर्भयता और बहादुरी।माथे पर अर्ध-चंद्र शीतलता का स्वरूप विकारों का विध्वंस करती, आद्या शक्ति स्वरूप।।

4. कुष्मांडा : अपनी मंद हंसी द्वारा ब्रह्मांड की जो कहलाती रचयीता, ज्ञान सूर्य शिव से आलोकित हो, कहलाती कुष्माण्डा माता। अज्ञान से ग्रसित सृष्टि को ईश्वरीय ज्ञान से दिलातीं शक्ति, सूर्यलोक अर्थात सूर्यवंशी में विचरण करती, सिंहवाहिनी आदि शक्ति।।

5. स्कन्द माता : जो स्कन्द अर्थात कार्तिक की माँ स्कन्द माता कहलातीं, वरदानों और जीवनमुक्ति की दात्रि, कमलपुष्प पर विराजातीं।।

6. कात्यायिनी : योगसाधना आज्ञा चक्र में करती निवास, परमात्मा की आज्ञा पर चलति, महिषासुर रूपिणी विकारों का करती विनाश।।

7. कालरात्रि : कालरात्रि दर्शाती विकारों के विरुद्ध काली रूप, सांवला रंग, अस्त-व्यस्त केश रूपी धरतीं भीषण स्वरूप। उनकी निर्भय अवस्था है साहस और निर्भयता का सूचक, लौह सम शस्त्र प्रेरित करते - बनाएँ दृढ़ता को कवच।।

8. महागौरी : अच्छाई और सुंदरता की मूर्ति ईश्वरीय याद, पवित्रता द्वारा प्राप्त करातीं मुक्ति- जीवन मुक्ति श्वेतवस्त्र- धारिणी और डमरू- पवित्रता, ज्ञान दान की प्रदाता सर्व प्राप्तियों की वरदाता एवं ईश्वरीय राज्य- भाग्य की विधाता।।

9. सिद्धिदात्री : दैवी शक्तियों की हैं वरदाता, ईश्वरीय ज्ञान वर्षा बरसाती, निभातिं सच्चा नाता। इनसे ईश्वरीय ज्ञान अमृत पीते – सर्व साधु, संत व भक्तजन, निराकार शिव परमात्मा की स्त्री माध्यम – यही अर्धनारीश्वर। चैतन्य देवियों सम ज्ञान प्रकाश द्वारा करें स्वयं का ज्ञान श्रृंगार, आत्मा गुणों को सुसज्जित करके, कहलाएगी हर नारी शक्ति अवतार।।

ऐसी नवमातृदेविओं को कोटिस प्रणाम...

*"सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।*
*शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥"*

भावार्थ : सर्व मंगल से भरपूर भगवती अम्बिके का आशीर्वाद सदैव सभी के लिये शुभ- मंगलमय हो (परिवार में उत्तम स्वास्थ्य, बुद्धि, ज्ञान, सुखहाल, सम्पदा आदि ऐश्वर्य भर जाए।)। है गौरी माते, है माते नारायणी, आपको बार- बार प्रणाम।।"

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