22/11/2023
up gov...ka हलाल उत्पादो पर फैसला आपकी नजर में कैसा है उप.सरकार ने कहा है कि किसी निजी संस्थान समूह या मस्जिद को नही दे सकते अधिकार...
उत्तर प्रदेश की सरकार ने प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों को प्रतिबंधित कर दिया है. यह पूरा मामला एक एफआईआर से शुरू हुआ, जिसमें शिकायतकर्ता ने कहा कि इस सर्टिफिकेशन के जरिए समाज को न केवल बांटा जा रहा है, बल्कि इस पैसे के गलत इस्तेमाल का भी अंदेशा है.
सरकार के बैन करने के बाद से यह पूरा मामला तूल पकड़ता जा रहा है, जहां एक बार फिर से बात मजहब के इर्द-गिर्द होने लगी है. बात इस पर भी हो रही है कि मांस के अलावा तेल, चावल जैसे उत्पादों को हलाल कहना कितने हद तक जायज है और यह कितना संवैधानिक है?
अब मांस के अलावा भी बहुत कुछ हलाल
ये भारत देश है, जहां 140 करोड़ लोग एक साथ रहते हैं. ये लोग अलग-अलग पंथों और मजहबों को मानते हैं, जिनको बराबर का अधिकार है. जब हलाल की बात आती है, तो देखना होगा कि इसका मूल कहां है, उद्गम क्या है? कुरान और इस्लाम की व्याख्या करनेवाले कहते हैं कि हलाल का मतलब 'स्वीकार्य' है, जो 'एक्सेप्टेड है.' पहले जब यह बहस होती थी तो कहा जाता था कि जानवरों को मार कर खाने का जो एक खास तरीका है, वह हलाल होता है. जैसे, जानवर की गरदन धीरे-धीरे रेत कर जब आप कुरानिक टेक्स्ट या कलमा पढ़ेंगे, तभी वह एक्सेप्टेबल होगा, तभी वह खाने लायक होगा. दूसरे धर्मों के पास उसी की तुलना में देखें तो यहूदियों के पास 'कोशर' मांस है, तो हिंदू और सिख समुदाय 'झटका' मांस प्रेफर करते हैं. यह पहले केवल नॉन-वेज की बात होती थी. हालिया दिनों में, न केवल नॉन-वेज, बल्कि वैसी चीजें भी जिनका इनसे या जानवरों की हत्या से कोई संबंध नहीं है, जैसे आटा, चावल, तेल यहां तक कि वैक्सीन भी में 'हलाल' की बात हो रही है. अब समस्या ये है कि क्या कोई ऐसी सेंट्रल एजेंसी है, जो यह सर्टिफिकेट देती है. जवाब होगा-नहीं. पूरे देश में कुकुरमुत्तों की तरह इतने समूह उग आए हैं, जो हलाल का सर्टिफिकेट बांटते रहते हैं, उसको बेचते हैं. दिक्कत ये है कि जैसे ही आप हलाल लिखते हैं, वैसे ही आप यह कह देते हैं कि यह इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक एक्सेप्टेड है. अब भारत जो एक सेकुलर देश है, जहां सेंट्र्ल फूड अथॉरिटी है, जो सामानों को सर्टिफिकेट देता है, तो वहां अगर आप हलाल सर्टिफिकेट देते हैं, तो एक तो आप डिविजन कर रहे हैं, दूजे फूड अथॉरिटी ऑफ इंडिया, जिसकी हरेक राज्य में शाखा है, उसे भी कमतर आंक रहे हैं. इसको लीगल कैसे कहा जा सकता है?