
28/07/2025
्ति_संदेश
तत्त्वज्ञान
गरीब, हम पशुवा जन जीव है, सतगुरु जात भिरंग। मुरदे से जिन्दा करै, पलट धरत है अंग ।।
भक्ति का ज्ञान न होने के कारण हम तो पशु के तुल्य जीवन जी रहे थे। सतगुरु जी ने बार-बार सत्संग सुनाकर अपने जैसे बना लिए। हम मुर्दों जैसा जीवन जी रहे थे। जीवन में कोई।