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Radhe Radhe ❤️❤️🎯
11/06/2022

Radhe Radhe ❤️❤️🎯

जपहुं जाई शंकर सतनामा। होइहिं हृदय तुरंत विश्रामा।।शिव समान दाता नहीं विपत्ति विदारण हार।लज्जा सबकी राखियों वर्धा के असव...
11/06/2022

जपहुं जाई शंकर सतनामा।
होइहिं हृदय तुरंत विश्रामा।।
शिव समान दाता नहीं विपत्ति विदारण हार।
लज्जा सबकी राखियों वर्धा के असवार।।
शिव सेवा कर फल सुत सोई।
अविरल भगति राम पद होई।।
मेरे महादेव******गौ भक्त 🌹

द्वादश ज्योतिर्लिंग नमः
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.                            🌺"प्रेम का प्रसाद"🌺          प्रेम के भोजन में वस्तुओं की कोई महत्ता नहीं रहती है। किसी प्र...
10/06/2022

. 🌺"प्रेम का प्रसाद"🌺

प्रेम के भोजन में वस्तुओं की कोई महत्ता नहीं रहती है। किसी प्रेमी के हाथ की चीज स्वाभाविक रूप से मीठी हो जाती है। और, वैरी के हाथ की मीठी चीज भी खारी लगती है। प्रेमी के हाथ की चीज जब मिलती है तो उसके खाने में बड़ा आनन्द मिलता है क्योंकि उसके साथ प्रेम सना है। अतः उसमें विशेष मिठास आ जाती है।
एक कथा आती है कि उड़ीसा में एक गाँव में बेचारे एक दरिद्र ब्राह्मण थे। उनके यहाँ एक ठाकुरजी थे। उनके पास में पैसा था नहीं, जो अपने खायें सो ठाकुरजी को खिला दें। रूखा-सूखा भात खिला देते। भगवान का भोग लगाते। उनके यहाँ एक अच्छे आचार्य महात्मा आये। उनके मन्दिर में ठहरे। उन्होंने भगवान् का भोग लगाते देखा तो कहा- भई, यह तो तुम ठीक नहीं करते हो। बोले- क्या करें ? महात्मा ने कहा- भगवान् के लिये अच्छी चीज बननी चाहिये तब भगवान् को नैवेद्य दिया जाय। यह तुम भगवान् को रूखे भात रख देते हो न साथ में साग, न भाजी, न घी, न मीठा और कुछ नहीं। ब्राह्मण बोले-भाई ! हमारे पास तो है नहीं। वे बोले-नहीं है तो कहीं जीविकोपार्जन करो। ठाकुरजी की पूजा में क्या है ? ठाकुरजी की पूजा करनी है तो ठाकुरजी के योग्य सामान हो तब न ठाकुरजीकी पूजा होगी ? ठाकुरजी को ले आकर झोपड़ी में बैठा दिया और कोई पूजा होती नहीं। उसने कहा कि ठाकुरजी से हमारा प्रेम है इसलिये बैठाया है और जो हम खायें वह ठाकुरजी को खिला देते हैं। खिलाकर खाते हैं पहले तो खाते नहीं हैं और हम लायें कहाँ से ? फिर ब्राह्मण बोले-आप ? तब महात्माजी बोले-हम तो ऐसी पूजा करते हैं। वह बड़े आडम्बर से करते थे। यह बात भागवत में भी आयी है कि भगवान् की पूजा में कंजूसी नहीं करनी है। राजा यह न समझे कि भगवान् भावना के भूखे हैं; अपने तो ऐसे ही कर दो। राजा राजोपचार से करें । जिसकी जैसी स्थिति हो उसमें कंजूसी न करके बढ़िया चीज भगवान् को अर्पण करे। जो कंजूसी करता है तो वह पाप करता है। लेकिन घर में नहीं है तो भगवान् कभी यह नहीं कहते कि तुम हमारे लिये कहीं से जुगाड़ करके लाओ। जो है सो खिला दो। वह ब्राह्मण ऐसा ही था। उसने कहा कि ठाकुरजी को तुमको दे दें तो तुम ठीक पूजा करोगे। महात्माजी बोले-हाँ, हमको दे दो। उन्होंने ठाकुरजी को दे दिया। उनको दु:ख तो बहुत हुआ। उन्होंने कहा कि देखो ठाकुरजी ! हमारे पास बढ़िया चीज तो है नहीं। तुम्हें बढ़िया चाहिये तो जाओ। ठाकुरजी गये। उधर जो ले गये थे उनको रात में स्वप्न हुआ कि तुम हमें वहाँ अभी पहुँचाओ नहीं तो कल सबेरे तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी। तुम्हारा घर नष्ट हो जायेगा। इधर ब्राह्मण के यहाँ ठाकुरजी का भोग नहीं लगा तो इसने खाना छोड़ दिया।
अब वह महात्मा भागा-भागा आया और बोला-लो अपने ठाकुरजी को। ब्राह्मण ने कहा कि ठाकुरजी बढ़िया चीज खायेंगे और हमारे पास है नहीं तो इन्हें अपने पास ही रखो। महात्मा बोले-पूछो इनसे। ब्राह्मण ने कहा-हमारे पास अगर रहना है तो रूखा भात मिलेगा और बढ़िया खाना हो तो तुम्हारे पास जायँ। तब भगवान् ने कहा कि हम यहीं रहेंगे। भगवान् वहीं रह गये।



🌺"जय जय श्री राधे"🌺

10/06/2022

Reality 💓

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया  कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए...
10/06/2022

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।

उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को क्यों जाने दिया।

रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा आप अकेले नहीं हो, कई भाइयों ने उसे देखा है और मुझे उसके बारे में बताया है। वह रेस्टोरेंट के सामने बैठता है और जब देखता है कि भीड़ है, तो वह चुपके से खाना खा लेता है। मैंने हमेशा इसे नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं, उसे कभी पकड़ा नहीं और ना ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की.. क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दुकान में भीड़ इस भाई की प्रार्थना की वजह से है

वह मेरे रेस्टोरेंट के सामने बैठे हुए प्रार्थना करता है कि, जल्दी इस रेस्टोरेंट में भीड़ हो तो मैं जल्दी से अंदर जा सकूँ, खा सकूँ और निकल सकूँ। और निश्चित रूप से जब वह अंदर आता है तो हमेशा भीड़ होती है। तो ये भीड़ भी शायद उसकी "प्रार्थना" से है

शायद इसीलिए कहते है कि मत करो घमंड इतना कि मैं किसी को खिला रहा हूँ.. क्या पता की हम खुद ही किसके भाग्य से खा रहे हैँ !

तस्वीर -सांकेतिक-
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गंगा जल पीकर प्रेत की हुई मुक्तिएक ब्राह्मण प्रयागराज से 5 कोस (1 कोस = करीब2 मील) की दूरी पर रहता था । वह प्रत्येक संक्...
10/06/2022

गंगा जल पीकर प्रेत की हुई मुक्ति
एक ब्राह्मण प्रयागराज से 5 कोस (1 कोस = करीब2 मील) की दूरी पर रहता था । वह प्रत्येक संक्रांति के दिन स्नान करने के लिए प्रयाग में जाया करता था । माघ मास की संक्रांति के दिन तो वह अपने परिवारसहित अवश्य ही वहाँ जाता था ।

जब वह ब्राह्मण बूढ़ा और चलने में असमर्थ हो गया, तब एक बार माघ की संक्रांति आने पर उसने अपने पुत्र को बुलाकर कहा : ‘‘हे पुत्र ! तुम प्रयागराज जाओ, त्रिवेणी में स्नान करके मेरे लिए भी त्रिवेणी के जल की गागर भरकर लाना और संक्रांति के पुण्यकाल में मुझे स्नान कराना, देर मत करना ।

पिता के वचन का पालन करते हुए उसका पुत्र प्रयाग के लिए चल पड़ा । त्रिवेणी में स्नान कर जब वह जल से भरी गागर पिता के स्नान के लिए ला रहा था तो रास्ते में उसे एक प्रेत मिला । वह प्यास के कारण बहुत व्याकुल हो रहा था और गंगाजल पीने की इच्छा से रास्ते में पड़ा था ।

लड़के ने प्रेत से कहा : ‘‘मुझे रास्ता दो । प्रेत : ‘‘तुम कहाँ से आये हो ? तुम्हारे सिर पर क्या है ?
‘‘त्रिवेणी का जल है ।‘‘
"मैं इसी इच्छा से रास्ते में पड़ा हूँ कि कोई दयालु मुझे गंगाजल पिलाये तो मैं इस प्रेत-योनि से मुक्त हो जाऊँ क्योंकि मैंने गंगाजल का प्रभाव अपने नेत्रों से देखा है ।
‘‘क्या प्रभाव देखा है ?"

एक ब्राह्मण बड़ा विद्वान था । उसने शास्त्रार्थ द्वारा दिग्विजय प्राप्त करके बहुत धन उपार्जित कर रखा था । लेकिन क्रोधवश उसने किसी ब्रह्मवेत्ता ब्राह्मण को मार दिया । उस पाप के कारण मरने पर वह ब्रह्मराक्षस हुआ और हमारे साथ 8 वर्षों तक रहा । 8 वर्षों के बाद उसके पुत्र ने उसकी हड्डियाँ लाकर श्रीगंगाजी के निर्मल तीर्थ कनखल में डालकर गंगाजी से प्रार्थना की : ‘हे पापनाशिनी गंगा माते ! मेरे पिता को सद्गति प्रदान कीजिये । तब तत्काल ही वह ब्राह्मण ब्रह्मराक्षस भाव से मुक्त हो गया ।

उसीने मरते समय मुझे गंगाजल का माहात्म्य सुनाया था । मैं उसको मुक्त हुआ देखकर गंगाजल-पान की इच्छा से यहाँ पड़ा हूँ । अतः मुझको भी गंगाजल पिलाकर मुक्त कर दे, तुझे महान पुण्य होगा ।

‘‘मैं लाचार हूँ क्योंकि मेरे पिता बीमार हैं और उनका संक्रांति के स्नान का नियम है । यदि मैंने यह गंगाजल तुझे पिला दिया तो स्नान के पुण्यकाल तक न पहुँचने के कारण मेरे पिता का नियम भंग हो जायेगा ।"
‘‘तुम्हारे पिता का नियम भी भंग न हो और मेरी भी सद्गति हो जाय, ऐसा उपाय करो । पहले मुझे जल पिला दो,फिर नेत्रबंद करने पर मैं तुम्हें तत्काल श्रीगंगाजी के तट पर पहुँचाकर,तुम्हारे पिता के पास पहुँचा दूँगा ।"

ब्राह्मणपुत्र ने प्रेत की दुर्दशा पर दया करके उसे जल पिला दिया । तब प्रेत ने कहा : ‘‘अब नेत्रबंद करो और त्रिवेणी का जल लिये हुए स्वयं को अपने पिता के पास पहुँचा हुआ पाओ । ब्राह्मणपुत्र ने नेत्रबंद किये, फिर देखा कि वह त्रिवेणी के जल से गागर भरकर पिताजी के पास पहुँच गया है ।

गंगाजी की महिमा के विषय में भगवान व्यासजी ‘पद्म पुराण में कहते हैं : ‘‘अविलंब सद्गति का उपाय सोचनेवाले सभी स्त्री-पुरुषों के लिए गंगाजी ही एक ऐसा तीर्थ हैं, जिनके दर्शनमात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं ।

भगवान शंकर नारदजी से कहते हैं : ‘‘समुद्रसहित पृथ्वी का दान करने से मनीषी पुरुष जो फल पाते हैं, वही फल गंगा-स्नान करनेवाले को सहज में प्राप्त हो जाता है । राजा भगीरथ ने भगवान शंकर की आराधना करके गंगाजी को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतारा था । जिस दिन वे गंगाजी को पृथ्वी पर लेकर आये वही दिन ‘गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है ।

हर हर गंगे❤️🙏

शहर के सबसे बड़े बैंक में एक बार एक बुढ़िया आई । उसने मैनेजर से कहा :- “मुझे इस बैंक में कुछ रुपये जमा करने हैं” मैनेजर ...
10/06/2022

शहर के सबसे बड़े बैंक में एक बार एक बुढ़िया आई ।
उसने मैनेजर से कहा :- “मुझे इस बैंक में कुछ रुपये जमा करने हैं”

मैनेजर ने पूछा :- कितने हैं ?

वृद्धा बोली :- होंगे कोई दस लाख ।

मैनेजर बोला :- वाह क्या बात है, आपके पास तो काफ़ी पैसा है, आप करती क्या हैं ?

वृद्धा बोली :- कुछ खास नहीं, बस शर्तें लगाती हूँ ।

मैनेजर बोला :- शर्त लगा-लगा कर आपने इतना सारा पैसा कमाया है ? कमाल है…

वृद्धा बोली :- कमाल कुछ नहीं है, बेटा, मैं अभी एक लाख रुपये की शर्त लगा सकती हूँ कि तुमने अपने सिर पर विग लगा रखा है ।

मैनेजर हँसते हुए बोला :- नहीं माताजी, मैं तो अभी जवान हूँ और विग नहीं लगाता ।

तो शर्त क्यों नहीं लगाते ? वृद्धा बोली ।

मैनेजर ने सोचा यह पागल बुढ़िया खामख्वाह ही एक लाख रुपये गँवाने पर तुली है, तो क्यों न मैं इसका फ़ायदा उठाऊँ… मुझे तो मालूम ही है कि मैं विग नहीं लगाता ।

मैनेजर एक लाख की शर्त लगाने को तैयार हो गया ।

वृद्धा बोली :- चूँकि मामला एक लाख रुपये का है, इसलिये मैं कल सुबह ठीक दस बजे अपने वकील के साथ आऊँगी और उसी के सामने शर्त का फ़ैसला होगा ।

मैनेजर ने कहा :- ठीक है, बात पक्की…

मैनेजर को रात भर नींद नहीं आई.. वह एक लाख रुपये और बुढ़िया के बारे में सोचता रहा ।

अगली सुबह ठीक दस बजे वह बुढ़िया अपने वकील के साथ मैनेजर के केबिन में पहुँची और कहा :- क्या आप तैयार हैं ?

मैनेजर ने कहा :- बिलकुल, क्यों नहीं ?

वृद्धा बोली :- लेकिन चूँकि वकील साहब भी यहाँ मौजूद हैं और बात एक लाख की है, अतः मैं तसल्ली करना चाहती हूँ कि सचमुच आप विग नहीं लगाते, इसलिये मैं अपने हाथों से आपके बाल नोचकर देखूँगी ।

मैनेजर ने पल भर सोचा और हाँ कर दी, आखिर मामला एक लाख का था ।

वृद्धा मैनेजर के नजदीक आई और मैनेजर के बाल नोचने लगी । उसी वक्त अचानक पता नहीं क्या हुआ, वकील साहब अपना माथा दीवार पर ठोंकने लगे ।

मैनेजर ने कहा :- अरे.. अरे.. वकील साहब को क्या हुआ ?

वृद्धा बोली :- कुछ नहीं, इन्हें सदमा लगा है, मैंने इनसे पाँच लाख रुपये की शर्त लगाई थी कि आज सुबह दस बजे मैं शहर के सबसे बड़े बैंक के मैनेजर के बाल नोचकर दिखा दूँगी ।
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Wow kya baat h Amazing 🤩वह कहते हैं ना कि मां तो मां होती है मां अगर दिल से एक बार कुछ बोल दे तो वह सच होकर रहता है तो अ...
09/06/2022

Wow kya baat h Amazing 🤩
वह कहते हैं ना कि मां तो मां होती है मां अगर दिल से एक बार कुछ बोल दे तो वह सच होकर रहता है तो अपने मां-बाप से प्यार करेंगे बाद में दुनिया को बीच में लाइए तू भी सबसे पहले मां बाप होते हैं उसके बाद में और लोग

पहले तसला, भगौना, पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था, अदहन जब अनाज के साथ उबलता था तो बार-बार एक मोटे झाग की परत जमा...
09/06/2022

पहले तसला, भगौना, पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था, अदहन जब अनाज के साथ उबलता था तो बार-बार एक मोटे झाग की परत जमा करती थी, जिसे अम्मा रह-रह के निकाल के फेक दिया करती थी। पूछने पर कहती कि "ई से तबियत खराब होत है'....
बाद में बड़े होने पर पता चला वो झाग शरीर मे यूरिक_एसिड बढ़ाता है और अम्मा इसीलिए वो झाग फेंक दिया करती थी। अम्मा ज्यादा पढ़ी लिखी तो नही थी पर ये चीज़े उन्होंने नानी से और नानी ने अपनी माँ से सीखा था।
अब कूकर में दाल-भात बनता है, पता नही झाग कहा जाता होगा, ज्यादा दाल खाने से पेट भी खराब हो जाते हैं
डॉक्टर कहते हैं एसिडिटी है
पुराने ज्ञान को याद करिये विज्ञान छुपा है उसमे 😔

09/06/2022

😃😃😃

*कल अनूप जलोटा रायपुर आये हुये थे, उन्होंने आकाशवाणी रायपुर में इंटरव्यू देने के लिए स्टूडियो जाने के लिए टैक्सी ली !*
*वहां पहुंचने के बाद, अनूप जलोटा ने ड्राइवर से कहा.. 40 मिनट तक रुक जाओ, मै अभी आता हूं... लेकिन ड्राइवर ने असमर्थता प्रकट करते हुए कहा, कि सर मै रुकने में असमर्थ हूं, क्यूंकि मुझे घर जा के रेडियो पर अनूप जलोटा का इंटरव्यू सुनना है !*
*अनूप जलोटा मुस्कुराए और उन्होंने अपनी पहचान बिना बताए, टैक्सी ड्राइवर को 100 की जगह 500 का नोट गर्व से थमा दिया...*
*ड्राइवर ने विनम्रता से 500 का नोट हाथ में लिया और बोला - "सर, मै आपका यहीं इंतज़ार करूंगा, ऐसी की तेसी साले अनूप जलोटा की।"*

😂😂🤣🤣
हँसते रहिये *immunity* अपने आप बढ़ जाएगी !😀😂😜🤣😴😀

08/06/2022

Reality

08/06/2022

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Hello friends यह मेरा नया     है जिस पर आपको नए नए  अपडेट मिलते रहेंगे    के  जिससे आपका मनोरंजन भी होगा कुछ नया सीखने क...
08/06/2022

Hello friends
यह मेरा नया है जिस पर आपको नए नए अपडेट मिलते रहेंगे के जिससे आपका मनोरंजन भी होगा कुछ नया सीखने को मिलेगा अगर आप कुछ नया सीखना चाहते हैं मेरी के द्वारा तो मुझे मेरे अकाउंट पर जाकर मुझे फॉलो कर लो

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