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जय मसीह की हमारा इस पेज को बनाने का उदेश्य है
की हम इस पेज से मसीह गीत ओर आराधना डालने के लिए बनाया है आप लोग इस पेज के साथ जुड़े ओर प्रभु आपको आशीष दे #आराधना masih tv

12/04/2025

परमेश्वर हमारा शरणस्थान
प्रधान बजानेवाले के लिये कोरहवंशियों का, अलामोत की राग पर एक गीत
46परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है,
संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायकa।
2 इस कारण हमको कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी
उलट जाए,
और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएँ;
3 चाहे समुद्र गरजें और फेन उठाए,
और पहाड़ उसकी बाढ़ से काँप उठे। (सेला) (लूका 21:25, मत्ती 7:25)
4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के
नगर में
अर्थात् परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में
आनन्द होता है।
5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी
टलने का नहीं;
पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
6 जाति-जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य-राज्य
के लोग डगमगाने लगे;
वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई। (प्रका. 11:18, भज. 2:1)
7 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है;
याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है। (सेला)
8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो,
कि उसने पृथ्वी पर कैसा-कैसा उजाड़
किया है।
9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है;
वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है,
और रथों को आग में झोंक देता है!
10 “चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँb।
मैं जातियों में महान हूँ,
मैं पृथ्वी भर में महान हूँ!”
11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है;
याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है।

14फिर वह सब्त के दिन फरीसियों के सरदारों में से किसी के घर में रोटी खाने गया: और वे उसकी घात में थे। 2 वहाँ एक मनुष्य उस...
06/04/2025

14फिर वह सब्त के दिन फरीसियों के सरदारों में से किसी के घर में रोटी खाने गया: और वे उसकी घात में थे। 2 वहाँ एक मनुष्य उसके सामने था, जिसे जलोदर का रोगa था। 3 इस पर यीशु ने व्यवस्थापकों और फरीसियों से कहा, “क्या सब्त के दिन अच्छा करना उचित है, कि नहीं?”4 परन्तु वे चुपचाप रहे। तब उसने उसे हाथ लगाकर चंगा किया, और जाने दिया। 5 और उनसे कहा, “तुम में से ऐसा कौन है, जिसका पुत्र या बैल कुएँ में गिर जाए और वह सब्त के दिन उसे तुरन्त बाहर न निकाल ले?”6 वे इन बातों का कुछ उत्तर न दे सके।
अतिथियों का सत्कार
7 जब उसने देखा, कि आमन्त्रित लोग कैसे मुख्य-मुख्य जगह चुन लेते हैं तो एक दृष्टान्त देकर उनसे कहा, 8 “जब कोई तुझे विवाह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो, कि उसने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो। 9 और जिसने तुझे और उसे दोनों को नेवता दिया है, आकर तुझ से कहे, ‘इसको जगह दे,’ और तब तुझे लज्जित होकर सबसे नीची जगह में बैठना पड़े। 10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सबसे नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिसने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे ‘हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ,’ तब तेरे साथ बैठनेवालों के सामने तेरी बड़ाई होगी।(नीति. 25:6,7) 11 क्योंकि जो कोई अपने आपको बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आपको छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।”
प्रतिफल
12 तब उसने अपने नेवता देनेवाले से भी कहा, “जब तू दिन का या रात का भोज करे, तो अपने मित्रों या भाइयों या कुटुम्बियों या धनवान पड़ोसियों को न बुला, कहीं ऐसा न हो, कि वे भी तुझे नेवता दें, और तेरा बदला हो जाए। 13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लँगड़ों और अंधों को बुला। 14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उनके पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझेधर्मियों के जी उठनेbपर इसका प्रतिफल मिलेगा।”
बड़े भोज का दृष्टान्त
15 उसके साथ भोजन करनेवालों में से एक ने ये बातें सुनकर उससे कहा, “धन्य है वह, जो परमेश्वर के राज्य में रोटी खाएगा।” 16 उसने उससे कहा, “किसी मनुष्य ने बड़ा भोज दिया और बहुतों को बुलाया। 17 जब भोजन तैयार हो गया, तो उसने अपने दास के हाथ आमन्त्रित लोगों को कहला भेजा, ‘आओ; अब भोजन तैयार है।’ 18 पर वे सब के सब क्षमा माँगने लगे, पहले ने उससे कहा, ‘मैंने खेत मोल लिया है, और अवश्य है कि उसे देखूँ; मैं तुझ से विनती करता हूँ, मुझे क्षमा कर दे।’ 19 दूसरे ने कहा, ‘मैंने पाँच जोड़े बैल मोल लिए हैं, और उन्हें परखने जा रहा हूँ; मैं तुझ से विनती करता हूँ, मुझे क्षमा कर दे।’ 20 एक और ने कहा, ‘मैंने विवाह किया है, इसलिए मैं नहीं आ सकता।’ 21 उस दास ने आकर अपने स्वामी को ये बातें कह सुनाईं। तब घर के स्वामी ने क्रोध में आकर अपने दास से कहा, ‘नगर के बाजारों और गलियों में तुरन्त जाकर कंगालों, टुण्डों, लँगड़ों और अंधों को यहाँ ले आओ।’ 22 दास ने फिर कहा, ‘हे स्वामी, जैसे तूने कहा था, वैसे ही किया गया है; फिर भी जगह है।’ 23 स्वामी ने दास से कहा, ‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए। 24 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, किउन आमन्त्रित लोगों में से कोई मेरे भोज को न चखेगाc।’”
कौन यीशु का चेला बन सकता है?
25 और जब बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी, तो उसने पीछे फिरकर उनसे कहा। 26 “यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और बच्चों और भाइयों और बहनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता;(मत्ती 10:37, यूह. 12:25, व्यव. 33:9) 27 और जो कोई अपना क्रूस न उठाए; और मेरे पीछे न आए; वह भी मेरा चेला नहीं हो सकता।
28 “तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की सामर्थ्य मेरे पास है कि नहीं? 29 कहीं ऐसा न हो, कि जब नींव डालकर तैयार न कर सके, तो सब देखनेवाले यह कहकर उसका उपहास करेंगे, 30 ‘यह मनुष्य बनाने तो लगा, पर तैयार न कर सका?’ 31 या कौन ऐसा राजा है, कि दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो, और पहले बैठकर विचार न कर ले कि जो बीस हजार लेकर मुझ पर चढ़ा आता है, क्या मैं दस हजार लेकर उसका सामना कर सकता हूँ, कि नहीं? 32 नहीं तो उसके दूर रहते ही, वह दूत को भेजकर मिलाप करना चाहेगा। 33 इसी रीति से तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।
स्वादहीन नमक
34 “नमक तो अच्छा है, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा। 35 वह न तो भूमि के और न खाद के लिये काम में आता है: उसे तो लोग बाहर फेंक देते हैं। जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले।”
#गवाही

न्याय के लिये प्रार्थना10हे यहोवा तू क्यों दूर खड़ा रहता है?संकट के समय में क्यों छिपा रहता हैa?2 दुष्टों के अहंकार के क...
05/04/2025

न्याय के लिये प्रार्थना
10हे यहोवा तू क्यों दूर खड़ा रहता है?
संकट के समय में क्यों छिपा रहता हैa?
2 दुष्टों के अहंकार के कारण दीन पर अत्याचार होते है;
वे अपनी ही निकाली हुई युक्तियों में फँस जाएँ।
3 क्योंकि दुष्ट अपनी अभिलाषा पर घमण्ड करता है,
और लोभी यहोवा को त्याग देता है और उसका तिरस्कार करता है।
4 दुष्ट अपने अहंकार में परमेश्वर को नहीं खोजता;
उसका पूरा विचार यही है कि कोई परमेश्वर है ही नहीं।
5 वह अपने मार्ग पर दृढ़ता से बना रहता है;
तेरे धार्मिकता के नियम उसकी दृष्टि से बहुत दूर ऊँचाई पर हैं,
जितने उसके विरोधी हैं उन पर वह फुँकारता है।
6 वह अपने मन में कहता हैb कि “मैं कभी टलने का नहीं;
मैं पीढ़ी से पीढ़ी तक दुःख से बचा रहूँगा।”
7 उसका मुँह श्राप और छल और धमकियों से भरा है;
उत्पात और अनर्थ की बातें उसके मुँह में हैं। (रोम. 3:14)
8 वह गाँवों में घात में बैठा करता है,
और गुप्त स्थानों में निर्दोष को घात करता है,
उसकी आँखें लाचार की घात में लगी रहती है।
9 वह सिंह के समान झाड़ी में छिपकर घात में बैठाता है;
वह दीन को पकड़ने के लिये घात लगाता है,
वह दीन को जाल में फँसाकर पकड़ लेता है।
10 लाचार लोगों को कुचला और पीटा जाता है,
वह उसके मजबूत जाल में गिर जाते हैं।
11 वह अपने मन में सोचता है, “परमेश्वर भूल गया,
वह अपना मुँह छिपाता है; वह कभी नहीं देखेगा।”
12 उठ, हे यहोवा; हे परमेश्वर, अपना हाथ बढ़ा और न्याय कर;
और दीनों को न भूल।
13 परमेश्वर को दुष्ट क्यों तुच्छ जानता है,
और अपने मन में कहता है “तू लेखा न लेगा?”
14 तूने देख लिया है, क्योंकि तू उत्पात और उत्पीड़न पर दृष्टि रखता है, ताकि उसका पलटा अपने हाथ में रखे;
लाचार अपने आपको तुझे सौंपता है;
अनाथों का तू ही सहायक रहा है।
15 दुर्जन और दुष्ट की भुजा को तोड़ डाल;
उनकी दुष्टता का लेखा ले, जब तक कि सब उसमें से दूर न हो जाए।
16 यहोवा अनन्तकाल के लिये महाराज है;
उसके देश में से जाति-जाति लोग नाश हो गए हैं। (रोम. 11:26,27)
17 हे यहोवा, तूने नम्र लोगों की अभिलाषा सुनी है;
तू उनका मन दृढ़ करेगा, तू कान लगाकर सुनेगा
18 कि अनाथ और पिसे हुए का न्याय करे,
ताकि मनुष्य जो मिट्टी से बना हैc फिर भय दिखाने न पाए।
#गवाही

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04/04/2025

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परमेश्वर द्वारा जाति-जाति का न्याय66यहोवा यह कहता है: “आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये ...
04/04/2025

परमेश्वर द्वारा जाति-जाति का न्याय
66यहोवा यह कहता है: “आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा? (प्रेरि. 7:48-50, मत्ती 5:34,35) 2 यहोवा की यह वाणी है, ये सब वस्तुएँ मेरे ही हाथ की बनाई हुई हैं, इसलिए ये सब मेरी ही हैं। परन्तु मैं उसी की ओर दृष्टि करूँगा जो दीन और खेदित मनa का हो, और मेरा वचन सुनकर थरथराता हो। (भज. 34:18, मत्ती 5:3)
3 “बैल का बलि करनेवाला मनुष्य के मार डालनेवाले के समान है; जो भेड़ का चढ़ानेवाला है वह उसके समान है जो कुत्ते का गला काटता है; जो अन्नबलि चढ़ाता है वह मानो सूअर का लहू चढ़ानेवाले के समान है; और जो लोबान जलाता है, वह उसके समान है जो मूरत को धन्य कहता है। इन सभी ने अपना-अपना मार्ग चुन लिया है, और घिनौनी वस्तुओं से उनके मन प्रसन्न होते हैं। 4 इसलिए मैं भी उनके लिये दुःख की बातें निकालूँगा, और जिन बातों से वे डरते हैं उन्हीं को उन पर लाऊँगा; क्योंकि जब मैंने उन्हें बुलाया, तब कोई न बोला, और जब मैंने उनसे बातें की, तब उन्होंने मेरी न सुनी; परन्तु जो मेरी दृष्टि में बुरा था वही वे करते रहे, और जिससे मैं अप्रसन्न होता था उसी को उन्होंने अपनाया।”
5 तुम जो यहोवा का वचन सुनकर थरथराते हो यहोवा का यह वचन सुनो: “तुम्हारे भाई जो तुम से बैर रखते और मेरे नाम के निमित्त तुम को अलग कर देते हैं उन्होंने कहा है, ‘यहोवा की महिमा तो बढ़े, जिससे हम तुम्हारा आनन्द देखने पाएँ;’ परन्तु उन्हीं को लज्जित होना पड़ेगा। (2 थिस्स. 1:12)
दण्ड और नई जाति
6 “सुनो, नगर से कोलाहल की धूम! मन्दिर से एक शब्द, सुनाई देता है! वह यहोवा का शब्द है, वह अपने शत्रुओं को उनकी करनी का फल दे रहा है! (प्रका. 16:1,17)
7 “उसकी प्रसव-पीड़ा उठने से पहले ही उसने जन्मा दिया; उसको पीड़ाएँ होने से पहले ही उससे बेटा जन्मा। (प्रका. 12:2,5) 8 ऐसी बात किसने कभी सुनी? किसने कभी ऐसी बातें देखी? क्या देश एक ही दिन में उत्पन्न हो सकता है? क्या एक जाति क्षण मात्र में ही उत्पन्न हो सकती है? क्योंकि सिय्योन की प्रसव-पीड़ा उठी ही थीं कि उससे सन्तान उत्पन्न हो गए। 9 यहोवा कहता है, क्या मैं उसे जन्माने के समय तक पहुँचाकर न जन्माऊँ? तेरा परमेश्वर कहता है, मैं जो गर्भ देता हूँ क्या मैं कोख बन्द करूँ?
10 “हे यरूशलेम से सब प्रेम रखनेवालों, उसके साथ आनन्द करो और उसके कारण मगन हो; हे उसके विषय सब विलाप करनेवालों उसके साथ हर्षित हो! 11 जिससे तुम उसके शान्तिरूपी स्तन से दूध पी पीकर तृप्त हो; और दूध पीकर उसकी महिमा की बहुतायत से अत्यन्त सुखी हो।”
12 क्योंकि यहोवा यह कहता है, “देखो, मैं उसकी ओर शान्ति को नदी के समान, और जाति-जाति के धन को नदी की बाढ़ के समान बहा दूँगा; और तुम उससे पीओगे, तुम उसकी गोद में उठाए जाओगे और उसके घुटनों पर कुदाए जाओगे। 13 जिस प्रकार माता अपने पुत्र को शान्ति देती है, वैसे ही मैं भी तुम्हें शान्ति दूँगा; तुम को यरूशलेम ही में शान्ति मिलेगी। 14 तुम यह देखोगे और प्रफुल्लित होंगे; तुम्हारी हड्डियाँ घास के समान हरी-भरी होंगी; और यहोवा का हाथ उसके दासों के लिये प्रगट होगा, और उसके शत्रुओं के ऊपर उसका क्रोध भड़केगा। (यूह. 16:22)
15 “क्योंकि देखो, यहोवा आग के साथ आएगाb, और उसके रथ बवण्डर के समान होंगे, जिससे वह अपने क्रोध को जलजलाहट के साथ और अपनी चितौनी को भस्म करनेवाली आग की लपट से प्रगट करे। (2 थिस्स. 1:8) 16 क्योंकि यहोवा सब प्राणियों का न्याय आग से और अपनी तलवार से करेगा; और यहोवा के मारे हुए बहुत होंगे।
17 “जो लोग अपने को इसलिए पवित्र और शुद्ध करते हैं कि बारियों में जाएँ और किसी के पीछे खड़े होकर सूअर या चूहे का माँस और अन्य घृणित वस्तुएँ खाते हैं, वे एक ही संग नाश हो जाएँगे, यहोवा की यही वाणी है।
18 “क्योंकि मैं उनके काम और उनकी कल्पनाएँ, दोनों अच्छी रीति से जानता हूँ; और वह समय आता है जब मैं सारी जातियों और भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवालों को इकट्ठा करूँगा; और वे आकर मेरी महिमा देखेंगे। 19 मैं उनमें एक चिन्ह प्रगट करूँगा; और उनके बचे हुओं को मैं उन जातियों के पास भेजूँगा जिन्होंने न तो मेरा समाचार सुना है और न मेरी महिमा देखी है, अर्थात् तर्शीशियों और धनुर्धारी पूलियों और लूदियों के पास, और तुबलियों और यूनानियों और दूर द्वीपवासियों के पास भी भेज दूँगा और वे जाति-जाति में मेरी महिमा का वर्णन करेंगे। 20 जैसे इस्राएली लोग अन्नबलि को शुद्ध पात्र में रखकर यहोवा के भवन में ले आते हैं, वैसे ही वे तुम्हारे सब भाइयों को भाइयों को जातियों से घोड़ों, रथों, पालकियों, खच्चरों और साँड़नियों पर चढ़ा-चढ़ाकर मेरे पवित्र पर्वत यरूशलेम पर यहोवा की भेंट के लिये ले आएँगे, यहोवा का यही वचन है। 21 और उनमें से मैं कुछ लोगों को याजक और लेवीय पद के लिये भी चुन लूँगा।
नया आकाश और नई पृथ्वी
22 “क्योंकि जिस प्रकार नया आकाश और नई पृथ्वी, जो मैं बनाने पर हूँ, मेरे सम्मुख बनी रहेगीc, उसी प्रकार तुम्हारा वंश और तुम्हारा नाम भी बना रहेगा; यहोवा की यही वाणी है। (2 पत. 3:13, प्रका. 21:1)
23 “फिर ऐसा होगा कि एक नये चाँद से दूसरे नये चाँद के दिन तक और एक विश्रामदिन से दूसरे विश्रामदिन तक समस्त प्राणी मेरे सामने दण्डवत् करने को आया करेंगे; यहोवा का यही वचन है। 24 “तब वे निकलकर उन लोगों के शवों पर जिन्होंने मुझसे बलवा किया दृष्टि डालेंगे; क्योंकि उनमें पड़े हुए कीड़े कभी न मरेंगे, उनकी आग कभी न बुझेगी, और सारे मनुष्यों को उनसे अत्यन्त घृणा होगी।” (मर. 9:48)

03/04/2025
पुत्र का राज्याभिषेक2जाति-जाति के लोग क्यों हुल्लड़ मचाते हैं,और देश-देश के लोग क्यों षड्‍यंत्र रचते हैं?2 यहोवा के और उ...
23/03/2025

पुत्र का राज्याभिषेक
2जाति-जाति के लोग क्यों हुल्लड़ मचाते हैं,
और देश-देश के लोग क्यों षड्‍यंत्र रचते हैं?
2 यहोवा के और उसके अभिषिक्त के विरुद्ध पृथ्वी के राजागण मिलकर,
और हाकिम आपस में षड्‍यंत्र रचकर, कहते हैं, (प्रका. 11:18, प्रेरि. 4:25,26, प्रका. 19:19)
3 “आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालेंa,
और उनकी रस्सियों को अपने ऊपर से उतार फेंके।”
4 वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हँसेगाb,
प्रभु उनको उपहास में उड़ाएगा।
5 तब वह उनसे क्रोध में बातें करेगा,
और क्रोध में यह कहकर उन्हें भयभीत कर देगा,
6 “मैंने तो अपने चुने हुए राजा को,
अपने पवित्र पर्वत सिय्योन की राजगद्दी पर नियुक्त किया है।”
7 मैं उस वचन का प्रचार करूँगा:
जो यहोवा ने मुझसे कहा, “तू मेरा पुत्र है;
आज मैं ही ने तुझे जन्माया है। (मत्ती 3:17, मत्ती 17:5, मर. 1:11, मर. 9:7, लूका 3:22, लूका 9:35, यूह. 1:49, प्रेरि. 13:33, इब्रा. 1:5, इब्रा. 5:5, 2 पत. 1:17)
8 मुझसे माँग, और मैं जाति-जाति के लोगों को तेरी सम्पत्ति होने के लिये,
और दूर-दूर के देशों को तेरी निज भूमि बनने के लिये दे दूँगाc। (इब्रा. 1:2)
9 तू उन्हें लोहे के डंडे से टुकड़े-टुकड़े करेगा।
तू कुम्हार के बर्तन के समान उन्हें चकनाचूर कर डालेगा।” (प्रका. 2:27, प्रका. 12:5, प्रका. 19:15)
10 इसलिए अब, हे राजाओं, बुद्धिमान बनो;
हे पृथ्वी के शासकों, सावधान हो जाओ।
11 डरते हुए यहोवा की उपासना करो,
और काँपते हुए मगन हो। (फिलि. 2:12)
12 पुत्र को चूमो ऐसा न हो कि वह क्रोध करे,
और तुम मार्ग ही में नाश हो जाओ,
क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है।
धन्य है वे जो उसमें शरण लेते है।

https://youtu.be/3njeSdZdfuc?si=xyJDplD-6GMEs9Vx
22/03/2025

https://youtu.be/3njeSdZdfuc?si=xyJDplD-6GMEs9Vx

ਰੱਬ ਖ਼ੁਦਾਵੰਦ ਬਾਦਸ਼ਾਹ जय मसीह कि में मानता हूं की को कोई भी इस वीडियो को देख रहा ह...

22/03/2025

पहला भाग
भज. 1-41
परमेश्वर की व्यवस्था में सच्चा सुख
1क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की योजना परa नहीं चलता,
और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता;
और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है!
2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता;
और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन ध्यान करता रहता है।
3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया हैb
और अपनी ऋतु में फलता है,
और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।
और जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।
4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते,
वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है।
5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे,
और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे;
6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है,
परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।

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