16/11/2023
दिवाली के बाद दलिदर खदेड़ने की परंपरा, गोधन कूटने और पिडिया लगाने की प्रथा है और तीनों में एक दूसरे से अन्योन्याश्रय संबंध है l पिछले आलेख में हमने दलिदर खदेड़ने की परंपरा का जिक्र किया था l इस आलेख में उसके आगे की परंपरा गोधन का सामाजिक स्वरुप की चर्चा है l
*गोधन का सामाजिक स्वरुप*
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हमारे समाज में साँस्कृतिक विरासत की स्मृतियाँ भरी पडी है l चाहे वो ऐतिहासिक हो या पौराणिक, सभी परंपरा का अपना अलग महत्व और स्वरुप है l ऐसे ही एक परंपरा हमारे समाज में आज भी देखने को मिलती है, जिसे गोधन के नाम से जाना जाता है l गोधन के दिन सुबह से ही महिलाएं घर की साफ-सफाई करने के बाद खाना बनाने में लग जाती है l इस अवसर पर कुछ खास व्यंजन अर्थात दालपुरी, खीर, पीठा इत्यादि बनाने का रिवाज है l गोधन के दिन पीठा खाने की खास परंपरा है l सभी बहनें अपने भाई को पीठा खिलाती है, ताकि भाई अमर रहे l इसी कारण गोधन के दिन बनने वाले पीठा को अमर पीठा के नाम से जाना जाता है l गोधन के दिन मोहल्ले की युवतियाँ एवं औरतें एक जगह एकत्रित होकर गोधन कुटने की परंपरा को निभाती है l एकत्रित महिलाएं सर्वप्रथम गाय के गोबर की दो आकृतियां बनती है, जिसमें एक पुरुष और दूसरा औरत की आकृति होती है l पुरुष की आकृति को गोधन और महिला की आकृति को गोधन की पत्नी (गोधन बो) के नाम से संबोधित किया जाता है l दोनों आकृति के बगल में ओखल और मुसल रखकर सर्वप्रथम विधि विधान से पूजन किया जाता है l चना, मिठाई, नारियल इत्यादि चढ़ायी जाती है l इसके पाश्चात्य गोबर की आकृति को कूटना आरंभ करती है l सभी सामूहिक रूप से पुतले को कूटती है l कूट-कूट कर उसका चूर्ण बना देती है l इस दौरान गीत भी गाती है -
आवरा कुटीना, भावरा कुटीना,
कुटीना जम्ह के दुआर l
कुटिना भैया के दुश्मन,
आठो पहर दिन रात l
गीत के द्वारा युवतियाँ और औरतें अपने भाई और भाभी को बखान करते नहीं थकती है l बखान में कई गीत गाती है l भगवान से दुआ करती है कि उनके भाई का जीवन सुखमय व्यतीत हो, उनका घर धन-दौलत से भरा रहे l अपने भाई के लिए दुआ मांगते हुए कहती है
चलले कौन भइया अहेरिया
कवन बहिन देली आशीष,
जियस हो मोर भईया
जिय भइया लाख बरीस l
इस तरह भाई को आशीष देती हुए उनकी लंबी आयु की कामना करती है l इस परंपरा की यह एक विशेषता है कि युवतियां पहले अपने भाई को शरापती है, लेकिन बाद में पश्चाताप भी करती है l पश्चाताप करते हुए वह अपनी जीभ और होठ में रेंगनी का कांटा चुभती है और उनकी आयु बढ़ने की कामना करती है l इसके बाद महिलाएं एक दूसरे को पानी पिलाती है l पानी पिलाते हुए एक दूसरे से पूछती है कि क्या पी रही हो? तो पीने वाली महिलाएं बोलती है - आवरा-भावरा के पानी, जिसको शरापी है, उसका रोग बिला जाये l इसके बाद सभी महिलाएं अपने-अपने घर जाकर भाई को प्रसाद के रूप में चना, मिठाई आदि खिलाती है l
Il****हीरा राय*****ll
||****शिवम राय****||
लेखा पदाधिकारी
जानकी जन्मभूमि सीतामढ़ी
स्वच्छ रहे स्वस्थ रहे l
🌹गोधन/भैया दूज की शुभकामनाएं🌹