
29/07/2025
नाग
आदि द्रविड़ पासी धर्म रक्षक पूर्वजों ने क्यों अपनाया 'नाग'टोटंम प्रतीक चिन्ह ,राज्य प्रतीक वंश प्रतीक :-
"नाग के पैर नहीं हैं , जैसे कि अन्य जीवों के चलने फिरने में सहायक अंग होते हैं, नाग के ऐसा कोई अंग नहीं , फिर भी वह अन्य जन्तुओं से तेज चल फिर सकता है । इसमें न केवल अपने यौवन को दुबारा तरोताजा करने की (केंचुली उतार कर) शक्ति है बल्कि ऐसा करके वह अपनी लम्बाई भी बढ़ा सकता है और शक्ति भी प्राप्त कर लेता है। इसी कारण कुछ साल बीत जाने के बाद भी दुबारा नयी शक्ति प्राप्त कर लेता है।"
इन्ही गुणों को देखते हुए हमारे पूर्वजों ने नाग को अपनी राजकीय पहचान बनाया । ऐसा भी कहा जाता है कि नाग नागिन में से किसी को भी क्षति पहुंचाने पर वह अपने दुश्मन से बारह (१२) साल में बदला जरूर लेता है।
सत्ता के अनुसार शब्दो के अर्थ बदलते रहते हैं, जैसे " 'दास' शब्द का प्राचीन अर्थ 'महादानी' है मगर मगर बाद में जब अन्य धार्मिक सभ्यताओं के लोगों द्वारा गुलाब बना लिया गया तो इस शब्द का अर्थ भी गुलाम हो गया । बुद्ध ने कोई ठीक निर्णय लेने के लिए बुद्धि के प्रयोग करने का नियम बनाया था मगर बौद्ध धम्म के ह्रास के बाद 'बुध्द' शब्द का अर्थ बुध्दू कर दिया,इसी प्रकार बौद्ध,श्रमण संतों का 'पदनाम' 'थेर' मगर उसी दुर्भावना के परिणामस्वरूप बाद में इसका अर्थ बदलकर 'ढेड' यानी निम्न स्तर का आदमी कर दिया" डा.नवल वियोगी!
नाग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
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