Reeta Tripathi

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29/07/2025

हम कहाँ से कहाँ आ गए?

29/07/2025

पैसो का घमंड इंसान को बर्बाद कर देता हैं!

27/06/2025

📉 बेरोज़गारी: डिग्रियां दीवार पर लटकी हैं, सपने धूल में पड़े हैं 📚💔

कहते हैं मेहनत का फल मिलता है,
पर लाखों युवाओं के हाथों में आज भी सिर्फ़ इंतज़ार है।

✍️
डिग्रियाँ हैं... हुनर है... जज़्बा है...
फिर भी रोज़गार नहीं —
क्या यही है "नया भारत"?

हर इंटरव्यू में उम्मीद टूटती है,
हर रिजेक्शन के बाद आत्मविश्वास बिखरता है।
कब तक?

🔍
बेरोज़गारी सिर्फ एक आर्थिक मुद्दा नहीं है —
यह आत्मसम्मान की लड़ाई है,
एक पूरे भविष्य की घुटती हुई साँस है।

🗣️
अगर आप मानते हैं कि बेरोज़गारी पर बात होना ज़रूरी है,
तो इस पोस्ट को ❤️ लाइक कीजिए,
और इसे 🔁 शेयर करके आवाज़ बनिए —
क्योंकि चुप रहना अब गुनाह है।

#बेरोजगारी #हुनरकीबेरोज़गारी

बदलाव की रैली – मिलकर चलें, बिहार को नई दिशा दें
08/04/2025

बदलाव की रैली – मिलकर चलें, बिहार को नई दिशा दें

नित जीवन के संघर्षों सेजब टूट चुका हो अंतर्मन,तब सुख के मिले समंदर कारह जाता कोई अर्थ नहीं।जब फसल सूखकर जल के बिनतिनका-त...
08/04/2025

नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अंतर्मन,
तब सुख के मिले समंदर का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

जब फसल सूखकर जल के बिन
तिनका-तिनका बन गिर जाये,
फिर होने वाली वर्षा का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

संबंध कोई भी हों लेकिन
यदि दुःख में साथ न दें अपना
फिर सुख में उन संबंधों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

छोटी-छोटी ख़ुशियों के क्षण
निकले जाते हैं रोज़ जहाँ,
फिर सुख की नित्य प्रतीक्षा का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

मन कटुवाणी से आहत हो
भीतर तक छलनी हो जाये,
फिर बाद कहे प्रिय वचनों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

सुख-साधन चाहे जितने हों
पर काया रोगों का घर हो,
फिर उन अगनित सुविधाओं का
रह जाता कोई अर्थ नहीं..

© रामधारी सिंह दिनकर 🙏

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