03/06/2025
चमत्कारिक हैं सामुजेश्वर शिव मंदिरः सूर्यदेव पहली किरण से करते हैं यहां शिवलिंग का अभिषेक, रहस्य यह कि बरसात से भरने वाले तालाब का पानी खारा
महाशिवरात्रि को होता हैं विशेष धार्मिक आयोजन, सैकड़ों घरों से एक-एक मुठ्ठी आटा एकत्र बनाए चूरमे का लगाया जाता हैं विशेष भोग
आस-पास कोई पहाड़ी नहीं, फिर भी पहाड़ के पत्थर का हैं सैकड़ों फुट गहरा शिवलिंग
संशय होने पर कालांतर में सैकड़ों फुट की गई थी गहरी खुदाई, सावन के तीसरे सोमवार को भरता है विशाल मेला
खराब करियर के समय क्रिकेट गौतम गंभीर व रूद्र प्रतापसिंह सहित कई सेलिब्रिटी कर चुके हैं विशेष अभिषेक, फिर लौटे थे टीम में पुखराज माली/ नवज्योति/पुंचाड़ा।
धुंघाड़ा कस्बे के लूणी व बांडी नदी के उसपार करीब छह किमी पर स्थित सामुजा गांव में तालाब के किनारे स्थित अति प्राचीन सामुजेश्वर महादेव का मंदिर चमत्कारिक होने के साथ श्रद्धा से आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करने का शक्ति पीठ हैं। इसे पश्चिम मारवाड़ का ज्योर्तिलिंग भी कहां जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यहां पर ऐसे भी कई सेलिब्रिटी भी अपने खराब करियर के समय मनोकामना लेकर अभिषेक भी करवा चुके हैं। इसके बाद वे फिर से अपने-अपने क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचकर अपना नाम रोशन कर चुके हैं।
पहाड़ी नहीं, फिर भी पहाड़ के पत्थर का हैं सैड़कों फुट गहरा शिवलिंग
पंडित राजू महाराज शास्त्री बताते हैं कि हजारों साल पहले पाताल से स्वयं प्रकट हुए सामुजा में तालाब किनारे स्थित स्वयं-भू शिवलिंग पहाड़ी के पत्थर से बना हुआ हैं। जबकि आस-पास वई किमी तक केवल रेतीला में भाग ही हैं और पहाड़ों का कोई नामोनिशान तक नहीं है। सैकड़ों साल पहले कुछ लोगों को शिवलिंग के स्वयं प्रकट होने को लेकर संशय हो गया। इस पर सावधानीपूर्व करीब सवा सौ से भी अधिक फुट गहराई तक शिवलिंग की खुदाई की गई थी। इतनी खुदाई के बाद भी अंतिम छोर तक एक जैसा ही पहाड़ी का पत्थर से प्रकट हुआ दिखाई दिया गया। कालांतर से ही इस शिवलिंग की पूजा अर्चना शुरू की गई एवं लोग दर्शनों तथा मनोकामनाएं लेकर पहुंचने लगे। समय के साथ श्रद्धालुओं द्वारा जनसहयोग से यहां पर महादेव का भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया तथा विद्वान पडितों तथा साधु संतों के सानिध्य में विशाल प्राग-प्रतिद्ध भी का आयोजन किया गया, जिसके लाखों श्रद्धालु साक्षी बने।
सच्ची श्रद्धा से चढ़ाया एक घट भी बहुत
वैसे तो इस चमत्कारिक शिवलिंग पर बारह मास बद्धालुओं द्वारा अभिषेक कर जल चढ़ाया जाता हैं। जिसमें सावन में दिन रात अभिषेक के आयोजन होते रहते हैं। यहां पर अभिषेक करने के दौरान कई बार तो
महा शिवरात्रि का विशेष महत्व, पत्थर की परात में बनता हैं चूरमा
इस मंदिर पर सदियों से चली आ रही पंरपरा के तहत महाशिव रात्रि को विशेष पार्मिक आयोजन होता है। पंडित राजू महाराज बताते है कि महा शिवरात्रि से एक दिन पहले सामुजा सहित बार गांवों के तवसुदा परिवारों के घरों से एक-एक मुद्री आटा एकत्र किया जाता है तथा सैकड़ों साल पुरानी एक पत्थर परात को साल में उसी दिन पलटा जाता हैं जिसमें रात्रि के पहले प्रहर में दो बाटे बनाए जाते हैं, जिन्हें सावणु यानि खरीफ व उनाडू यानि रबी की फसलों के नाम से विह्नित किया जाता हैं तथा गोबर के उपने की आग में सेंकने के लिए रखे जाते हैं तीसरे प्रहर में इन्हें पलटा जाता है एवं रात के अंतिम प्रहर में इन्हें आग से बाहर निकाला जाता है जो बाटा नहीं जलता हैं उससे अगामी फसलों के अच्छे जमाने के संकेत माने जाते हैं। इस बाटों में सामुजा के एक ही परिवार के यहां से धीर्ण का महज पाव पी लाकर पहली आरती में महादेव को भोग लगाया जाता है तथा श्रद्धालुओं में वितरण किया जाता है।
ऐसा चमत्कार देखा गया है कि अगर सच्ची श्रद्धा से महज एक घड़ा भी जल चढ़ाया जाता हैं तो यह उपर ही ठहर जाता है और शिवलिंग के पास से बाहर आ जाता हैं और एक बूंद भी शिवलिंग के पास नहीं डहरती हैं, जबकि कई बार हजार पड़े जल भी बढ़ाते हैं तो यह बाहर न आकर शिवलिंग के पास से पाताल में उतर जाता है।
सेलिब्रिटी ने भी किया था अभिषेक
खराब करियर के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम के सल्लामी बल्लेबाज गौतम गंभीर एवं रुद्रप्रतापसिंह में भी विद्वान पॉडितों के सानिध्य में विशेष अभिषेक करवाया था उसके बाद दोनों की ही भारतीय टीम में वापसी भी हुई थी। इसी प्रकार कई सेलिब्रिटी एवं उद्योगपतियों के साथ जनप्रतिनिधि भी यहां पर विशेष दर्शनार्थ पहुंचते हैं।
रहस्यों से भरा हैं मंदिर का तालाब
सावन में भरता है मेला
मंदिर परिसर में सदियों से हर साल सावन के अंतिम खेमवार से पहले आने वाले सोमवार को भव्य मेला भरा जाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में दुकानें लगती है, जहां पर कृषि उपयोनी यंत्रओं एवं औजारों के साथ खाद्य सामग्री की खूब बिक्री होती है हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचते हैं तया मेले में मनोरंजन के भी साधन होने से बच्चे भी खुब मनोरंजन करने के लिए पहुंचते हैं।
महादेव का मंदिर पूर्व मुखी है यहां पर हर रोज सूर्य देवता अपनी पहली किरण से शिवलिंग कर अभिषेक करते हैं जिससे पूरा नजारा ही मनमोहक चन जाता है। मंदिर के ठीक सामने बहुत ही बड़ा तालाब हैं। यह तालाब वर्षा जल से ही भरता हैं लगभग साल भर इस तालाब में पानी भरा रहता है। आज भी यह रहस्य ही बना हुआ है कि वर्षा जल से भरा होने के चावजूद भी इस तालाब का पानी हमेशा ही खारा ही रहता है। इसको आम इंसान तो दूर की बात मवेशी तथा पशु-पक्षी भी नहीं पी सकते हैं