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Indraj Gaming मैं भारत को भारतीय की मान्यता के आधार पर फिर से खड़ा करना चाहता हूं।
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मिलावट के जहर से बचे, बाजार से पैकेट बंद पीसे मसाले बिल्कुल नहीं खरीदें। घर में बनाएं खड़े मसालों से किचन किंग मसाला,किच...
18/09/2025

मिलावट के जहर से बचे, बाजार से पैकेट बंद पीसे मसाले बिल्कुल नहीं खरीदें। घर में बनाएं खड़े मसालों से किचन किंग मसाला,
किचन किंग मसाला एक मिश्रण है, जिसमें विभिन्न मसालों का संतुलित अनुपात होता है। यह स्वाद में तीव्र और खुशबूदार होता है, जो भारतीय व्यंजनों को विशेष बनाता है।

आवश्यक सामग्री 👇👇

6 बड़ी इलायची
12 छोटी हरी इलायची
1 चम्मच सहजीरा
1 चम्मच सोंठ पाउडर
2 बड़े चम्मच काली मिर्च
2 बड़े चम्मच मेथी
2 चम्मच सौंफ
1/2 छोटा चम्मच जायफल
दालचीनी का 1 टुकड़ा
2 जावित्री
12 लौंग
2 स्टार ऐनीज़
2 बड़े चम्मच जीरा
4 चम्मच धनिया
8-10 कश्मीरी मिर्ची
2 बड़े चम्मच उड़द दाल
2 बड़े चम्मच चना दाल
2 बड़े चम्मच राई (पीली)
2 तेज पत्ते
2 बड़े चम्मच कसूरी मेथी
1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
1 चम्मच काला नमक
1 चम्मच नमक
1 चम्मच अमचूर पाउडर

बनाने की विधि -

नमक और हल्दी को छोड़कर सभी सूखे मसालों को पैन में 5-6 मिनिट तक भून लीजिए ।

धीमी आंच पर भूनकर खड़े मसालों को ठंडा करके,मिक्सर में बारीक पीस लीजिये ।

आखिर में हल्दी और नमक डालकर पीसे, एक एयर टाइट जार में स्टोर करें।

हर तरह की ग्रेवी और सब्जियों को जायकेदार बनाने के लिए किचन किंग मसाला का इस्तेमाल करें ।।

एक ऐसा घरेलू नुस्ख़ा बताता हूँ जिसे आयुर्वेद में “सर्वरोग नाशक काढ़ा / औषधि” माना जाता है,,।इसे रोज़ाना (या हफ्ते में 3-4...
18/09/2025

एक ऐसा घरेलू नुस्ख़ा बताता हूँ जिसे आयुर्वेद में “सर्वरोग नाशक काढ़ा / औषधि” माना जाता है,,।
इसे रोज़ाना (या हफ्ते में 3-4 दिन) लेने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होती है और पेट से लेकर दिमाग तक लाभ मिलता है।

सर्वरोग नाशक घरेलू नुस्ख़ा

सामग्री:

गिलोय की डंडी (2–3 इंच, या 1 चम्मच गिलोय पाउडर)

तुलसी की 7–11 पत्तियाँ

अदरक का टुकड़ा (1 इंच)

हल्दी (½ चम्मच)

दालचीनी (1 टुकड़ा छोटा)

काली मिर्च (4–5 दाने)

आँवला (ताज़ा हो तो 1, पाउडर हो तो 1 चम्मच)

शहद (1 चम्मच – जब काढ़ा गुनगुना हो जाए तब मिलाएँ)

विधि:

1. 3 कप पानी में ऊपर दी गई सारी चीज़ें डालकर धीमी आँच पर उबालें।

2. पानी जब 1 कप रह जाए तो छान लें।

3. गुनगुना होने पर इसमें शहद डालकर पिएँ।

फायदे.....

बुखार, जुकाम, खांसी और संक्रमण से सुरक्षा

पेट साफ़ रखे, कब्ज़ और गैस दूर करे

डायबिटीज और ब्लड प्रेशर में सहायक

दिमाग को शांति और ऊर्जा दे

त्वचा, बाल और आँखों के लिए भी लाभकारी

सावधानी....

ज़्यादा मात्रा में न पिएँ (दिन में 1 कप पर्याप्त है)।

गर्भवती महिलाएँ, छोटे बच्चे और जिनको कोई गंभीर रोग है, वे डॉक्टर से सलाह लेकर ही लें। 🙏

गर्भाशय व योनि के रोग,,,,,,1. नीम: नीम के पत्तों को पानी में उबाल-छानकर इससे योनि को धोने से योनि की खुजली नष्ट हो जाती ...
18/09/2025

गर्भाशय व योनि के रोग,,,,,,

1. नीम: नीम के पत्तों को पानी में उबाल-छानकर इससे योनि को धोने से योनि की खुजली नष्ट हो जाती है। इसे सुबह-शाम को सेवन करना चाहिए।

2. आंवला: आंवला का रस 20 मिलीलीटर मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से योनि और गर्भाशय की जलन ठीक हो जाती है।

3. तुम्बी: कडु़वी तुम्बी का रस 5 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर लगभग 200 ग्राम दही में मिलाकर सुबह के समय प्रयोग करें। इससे गर्भाशय के मस्से ठीक हो जाते हैं।

4. लहसुन: लहसुन की 3-4 फली छीलकर भुनी हुई हींग के साथ सुबह कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बच्चा होने के बाद गर्भाशय का जहरीला तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है।

5. गुलाब: गुलाब का रस लगभग 10 मिलीलीटर और रोगन गुल 10 ग्राम को मिलाकर खिलाने से योनि की खुजली मिट जाती है।

6. राई:

गर्भाशय में कैंसर होने पर, सप्ताह में दो से तीन बार राई के गुनगुने पानी की पिचकारी द्वारा धोने से लाभ होता है। पच्चीस ग्राम राई को एक कप शीतल (ठंडे) पानी में भिगो लें, इसे मसलकर लुआब बनाकर फिर साढ़े सात सौ ग्राम गुनगुने पानी में मिला लें।
गर्भाशय के अनेक दर्द, काफी तेज दर्द में, नाभि के नीचे या कमर पर राई के प्लास्टर का इस्तेमाल लगातार करना चाहिए।
गर्भावस्था का भोजन 1. नारंगी: गर्भवती स्त्री को प्रतिदिन दो नारंगी दोपहर में पूरे गर्भकाल में खिलाते रहने से होने वाला शिशु बहुत सुन्दर होता है।

2. मौसमी: मौसमी के फल में कैल्शियम अधिक मात्रा में मिलता है। गर्भवती स्त्रियों और गर्भाशय के बच्चे को शक्ति प्रदान करने के लिए इसका रस पौष्टिक होता है।

3. नारियल: नारियल और मिश्री खाने से प्रसव में दर्द नहीं होता है तथा उत्पन्न संतान स्वस्थ होती है।

4. शहद: गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर में रक्त की कमी आ जाती है। गर्भावस्था के समय रक्त बढ़ाने वाली चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए। महिलाओं को दो चम्मच शहद प्रतिदिन सेवन करने से रक्त की कमी नहीं होती है। इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है और बच्चा मोटा और ताजा होता है। गर्भवती महिला को गर्भधारण के शुरू से ही या अन्तिम तीन महीनों में दूध और शहद पिलाने से बच्चा स्वस्थ और मोटा ताजा होता है।

5. गाजर: आधा गिलास गाजर का रस, आधा गिलास दूध व स्वादानुसार शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से गर्भावस्था की कमजोरी दूर होती है।

गर्भावस्था से पूर्व सावधानी 1. मैथुन हेतु विषम आसनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे प्रजननांग चोटिल, क्षतिग्रस्त और सूजनयुक्त हो सकता है।

2. उस प्रकार के व्यायाम भी नहीं करने चाहिए जो शक्ति से बाहर हो।

3. मल-मूत्र, प्यास और भूख के वेगों को (इच्छाओं को) नहीं रोकना चाहिए।

4. अधिक शीतल, गर्म, तीक्ष्ण, गरिष्ठ आहार के सेवन से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। गर्भधारण की इच्छुक नारियों को उसे अपथ्य समझना चाहिए।

5. अधिक भोजन तथा अल्प भोजन भी स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं होता है।

6. दाम्पत्य जीवन को प्रसन्नता से तथा उद्वेग-रहित रूप से चलाना चाहिए। शोक, क्रोध चिंता आदि नहीं करनी चाहिए। अधिक रोना, हंसना, कूढ़ना, ईर्ष्या, द्वेषादि रखना भी स्वयं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और ऐसे भी कारण जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रतिकूल हो उन्हें त्याग देना ही बेहतर होता है।

आयुर्वेद के अनुसार जल पीने के 10 नियम,,,,, 1. प्यास लगे तभी पानी पिएँ – जबरदस्ती अधिक पानी न पिएँ। 2. शांत मुद्रा में बै...
18/09/2025

आयुर्वेद के अनुसार जल पीने के 10 नियम,,,,,
1. प्यास लगे तभी पानी पिएँ – जबरदस्ती अधिक पानी न पिएँ।
2. शांत मुद्रा में बैठकर पिएँ – खड़े होकर या चलते-फिरते पानी न पिएँ।
3. धीरे-धीरे घूंट-घूंट करके पिएँ – तेज़ी से एक साथ न गटकें।
4. गुनगुना या सामान्य तापमान का पानी पिएँ – बहुत ठंडा पानी हानिकारक है।
5. भोजन के साथ सीमित मात्रा में पिएँ – अधिक पानी पाचन अग्नि को कमजोर करता है।
6. भोजन के तुरंत बाद पानी न पिएँ – थोड़ी देर बाद ही लें।
7. स्वच्छ व सुरक्षित बर्तन में संग्रह करें – तांबे/मिट्टी/काँच के बर्तन उत्तम हैं।
8. मौसम के अनुसार पानी की मात्रा बदलें – गर्मियों में अधिक, सर्दियों में कम।
9. सुबह-शाम हल्का गुनगुना पानी लाभकारी है – शरीर को शुद्ध करता है।
10. तनाव, गुस्से या भावावेश में पानी न पिएँ – यह पाचन व मानसिक संतुलन को बिगाड़ता है।
🙏🙏🙏

देवदारु – रोगनाशक और जीवनशक्ति बढ़ाने वाली औषधि,,,,,,देवदारु (Cedrus deodara) का नाम ही बताता है – देवताओं का वृक्ष। इसक...
18/09/2025

देवदारु – रोगनाशक और जीवनशक्ति बढ़ाने वाली औषधि,,,,,,

देवदारु (Cedrus deodara) का नाम ही बताता है – देवताओं का वृक्ष। इसकी लकड़ी की सुगंध से वातावरण शुद्ध होता है और औषधीय उपयोग से अनेक असाध्य रोग दूर होते हैं।

देवदारु के प्रमुख लाभ और उपयोग,,,,,

1. गठिया और जोड़ों का दर्द,,,,,

देवदारु का तेल मालिश करने से जोड़ों का दर्द, सूजन और गठिया में तुरंत आराम मिलता है।

2. श्वसन रोगों में लाभकारी,,,,,

दमा, खांसी और सांस की तकलीफ में इसकी धूप या धूनी लाभ देती है।

इसका काढ़ा बलगम निकालने और फेफड़ों को साफ करने में मदद करता है।

3. संक्रमण नाशक,,,,,

देवदारु की छाल और तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो घाव, फोड़े-फुंसी और त्वचा रोगों में कारगर है।

4. पाचन तंत्र का रक्षक,,,,,,

गैस, पेट दर्द और कृमि (आंतों के कीड़े) में इसका चूर्ण फायदेमंद है।

भूख बढ़ाने और पाचन शक्ति सुधारने में सहायक।

5. हृदय और मानसिक स्वास्थ्य,,,,

देवदारु की सुगंध से तनाव, चिंता और अनिद्रा दूर होती है।

यह हृदय को मजबूती देकर रक्तसंचार सुधरता है।

देवदारु का प्रयोग कैसे करें,,,,?

तेल – जोड़/गठिया/सिर दर्द में मालिश करें।

काढ़ा – खांसी, जुकाम, पाचन समस्याओं में।

धूप/धूनी – घर के वातावरण को शुद्ध करने और सांस संबंधी रोगों में।

चूर्ण – 1–2 ग्राम शहद या गुनगुने पानी के साथ।

देवदारु सिर्फ औषधि ही नहीं, बल्कि प्रकृति का दिया हुआ एक सुगंधित चमत्कार है।
यह शरीर को अंदर से शुद्ध करता है और मन को शांति प्रदान करता है।

बबूल गोंद – शरीर की मजबूती और रोगों का प्राकृतिक कवच,,,,बबूल का पेड़ अपने आप में औषधियों का खजाना है, लेकिन इसका गोंद (ग...
18/09/2025

बबूल गोंद – शरीर की मजबूती और रोगों का प्राकृतिक कवच,,,,

बबूल का पेड़ अपने आप में औषधियों का खजाना है, लेकिन इसका गोंद (गोंद कतीरा) आयुर्वेद में खास स्थान रखता है। ठंडा, मीठा और बलवर्धक गुणों से भरपूर यह गोंद शरीर को भीतर से मजबूत बनाता है।

बबूल गोंद के मुख्य लाभ,,,,

1️⃣ शारीरिक शक्ति बढ़ाए – थकान, कमजोरी और शरीर की दुर्बलता को दूर करता है।
2️⃣ पुरुष शक्ति का साथी – वीर्य को गाढ़ा और शक्तिशाली बनाता है।
3️⃣ गर्मी से राहत – यह स्वभाव से शीतल होता है और लू व प्यास की समस्या में लाभकारी है।
4️⃣ पाचन तंत्र का रक्षक – दस्त, अतिसार और पेट की जलन में आराम दिलाता है।
5️⃣ हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाए – गठिया और हड्डियों की कमजोरी में उपयोगी है।
6️⃣ गर्भवती और प्रसूता स्त्रियों के लिए लाभकारी – प्रसव के बाद कमजोरी दूर करने और दूध बढ़ाने में सहायक।
7️⃣ त्वचा को निखारे – गोंद से बने पेय त्वचा को कोमल और चमकदार बनाते हैं।

बबूल गोंद के उपयोग / उपचार

गर्मी में शरबत – गोंद को रात भर भिगोकर सुबह पानी में घोलकर पीने से शरीर को शीतलता और ऊर्जा मिलती है।

गोंद के लड्डू – सर्दियों में गोंद, सूखे मेवे और देसी घी से बने लड्डू कमजोरी, हड्डियों और जोड़ों की तकलीफ को दूर करते हैं।

दूध के साथ सेवन – गोंद का चूर्ण दूध में मिलाकर पीने से बल और वीर्यवर्धन होता है।

आयुर्वेदिक अवलेह और टॉनिक – विशेष रूप से शक्ति और कमजोरी दूर करने वाले योगों में इसका प्रयोग किया जाता है।

सावधानी –
गोंद का अधिक मात्रा में सेवन कब्ज या पाचन संबंधी समस्या पैदा कर सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही लें और वैद्य की सलाह से उपयोग करें।

निष्कर्ष
बबूल गोंद को आयुर्वेद में "शक्ति का गुप्त भंडार" कहा गया है। यह शरीर को ताकतवर, हड्डियों को मजबूत, पाचन को दुरुस्त और गर्मी से बचाने वाला प्राकृतिक अमृत है।

नमक हमारे खाने का एक ज़रूरी हिस्सा है. इससे न सिर्फ़ खाने का स्वाद बढ़ता है, बल्कि यह हमारे शरीर के लिए भी फ़ायदेमंद होत...
18/09/2025

नमक हमारे खाने का एक ज़रूरी हिस्सा है. इससे न सिर्फ़ खाने का स्वाद बढ़ता है, बल्कि यह हमारे शरीर के लिए भी फ़ायदेमंद होता है.

नमक से शरीर में पानी का संतुलन बना रहता है और यह मांसपेशियों के सही तरीके़ से काम करने में मदद करता है.

हालाँकि जैसे हर चीज़ की एक सीमा होती है, वैसे ही नमक का बहुत ज़्यादा सेवन भी आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है.

कई मामलों में बहुत ज़्यादा नमक खाने से आपकी जान भी जा सकती है.,,,,

लेकिन उससे पहले ये समझते हैं कि हमारे शरीर को रोज़ाना कितनी मात्रा में नमक की ज़रूरत होती है, और अगर हम इससे ज़्यादा नमक खाएं तो इसका हमारी सेहत पर क्या बुरा असर पड़ सकता है.

ज़्यादा नमक खाना सेहत के लिए नुक़सानदायक होता है. इसलिए यह ज़्यादा अहम है कि हम किस तरह का नहीं, बल्कि कितना नमक खा रहे हैं, इस पर ध्यान दिया जाए.

यह समझना भी ज़रूरी है कि नमक सिर्फ़ घर के पके खाने से ही नहीं मिलता, बल्कि कई पैकेज्ड और तैयार उत्पादों में भी इसकी मात्रा काफ़ी ज़्यादा होती है.

अगर इन चीज़ों का ज़रूरत से ज़्यादा सेवन किया जाए, तो यह सेहत पर बुरा असर डाल सकता है- भले ही आप रोज़ के खाने में कम नमक डाल रहे हों.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफ़ारिश है कि एक व्यक्ति को रोज़ाना 5 ग्राम से कम नमक का सेवन करना चाहिए, जो लगभग एक चम्मच के बराबर होता है.

हाल में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि भारत में लोग इस तय मात्रा से कहीं ज़्यादा नमक खा रहे हैं.

नमक को लेकर क्या बात पता चली है,,,?
आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के वैज्ञानिकों के मुताबिक़, भारत में बहुत ज़्यादा नमक का सेवन एक 'छिपी हुई महामारी' को बढ़ावा दे रहा है.

उनका कहना है कि अधिक नमक खाने से हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन), स्ट्रोक, हृदय रोग और किडनी से जुड़ी समस्याओं का ख़तरा तेज़ी से बढ़ रहा है.

अध्ययनों से पता चला है कि शहरी इलाक़ों में रहने वाले भारतीय औसतन 9.2 ग्राम नमक रोज़ खाते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह मात्रा करीब 5.6 ग्राम प्रतिदिन है.

वैज्ञानिकों की ओर से जारी ये आँकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफ़ारिश से कहीं ज़्यादा हैं.

कम नमक खाने से क्या फ़ायदा होता है,,,?
विशेषज्ञों का कहना है कि ज़्यादा नमक खाने से कई तरह की बीमारियों का ख़तरा बढ़ सकता है, जबकि इसकी सीमित मात्रा से इन समस्याओं से बचाव संभव है.

दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी और पैन्क्रिएटिको-बिलियरी साइंसेज़ के वाइस चेयरपर्सन डॉ. पीयूष रंजन ने बीबीसी से कहा, "लगातार नमक का सेवन हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) से जुड़ा हुआ है."

उन्होंने बताया, "हाई ब्लड प्रेशर अपने आप में एक मल्टीसिस्टमिक बीमारी है, यानी यह शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है. इसका सबसे ज़्यादा असर हृदय और किडनी पर पड़ता है."

"फिज़ियोलॉजिकल (शारीरिक) स्थिति में भी जब शरीर में कई तरह की बीमारियाँ होती हैं, तो उनमें सोडियम का रिटेंशन यानी शरीर में नमक का जमाव बढ़ने लगता है. शरीर में नमक और पानी का संतुलन बनाए रखना किडनी की ज़िम्मेदारी होती है."

किसी भी उम्र में ज़्यादा नमक खाना ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है. इसलिए नमक का सेवन जितना संभव हो, कम करना चाहिए. खासकर उन चीज़ों से बचना ज़रूरी है जिनमें छिपा हुआ नमक मौजूद होता है.

डॉ. पीयूष रंजन के मुताबिक़, कई आम खाद्य पदार्थों में छिपा हुआ नमक होता है-

अचार
पापड़
पैकेज्ड फूड (नमकीन, चिप्स, सॉस, रेडी-टू-ईट आइटम्स)
प्रोसेस्ड फूड (सॉसेज, नूडल्स, केचप, बिस्किट आदि).
इन उत्पादों में नमक की मात्रा सामान्य से कहीं ज़्यादा होती है. इसलिए इन्हें ख़रीदते समय लेबल पर सोडियम की मात्रा ज़रूर जाँचें और जहाँ तक संभव हो, इनका सेवन टालें या सीमित करें...

आजकल जब किडनी खराब हो जाती है तो डायलिसिस किया जाता है, जिसमें रक्त परिवर्तन किया जाता है। यह महंगा और कष्टकारी होता है,...
18/09/2025

आजकल जब किडनी खराब हो जाती है तो डायलिसिस किया जाता है, जिसमें रक्त परिवर्तन किया जाता है। यह महंगा और कष्टकारी होता है,,,।

क्रिएटिनिन का स्तर 0.6 से 1.3 के बीच होना चाहिए। अगर यह स्तर बाहर होता है, तो किडनी फेलियर, फंक्शन ठीक नहीं होना, रक्त परिवर्तन या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है।
इस पर कई लाख रुपये खर्च हो सकते हैं और दर्द और परेशानी हो सकती है। इसे ठीक करने का एक आसान तरीका है।

स्थानीय हर्बल दवाओं की दुकान पर जाएं और “ नमक” (सेंधा नमक पिंक वाला) पूछें। यह केवल 60 या 80 रुपये प्रति किलोग्राम मिलेगा। इस नमक का उपयोग करके घर में तीन बार खाना बनाकर खाएं। 15 दिनों में, या अधिकतम 30 दिनों में, आपकी किडनी सामान्य स्थिति में लौट आएगी।

इसके बाद, आप अपना क्रिएटिनिन स्तर जांच सकते हैं, और यह सही स्तर पर होगा।
क्या इस नमक से बना खाना केवल रोगी को खाना चाहिए,,, ?
कोई भी इसे खा सकता है, एक साल के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक।
सेंधा नमक क्या है ?

यह एक नमक है जो हिमालय की वर्षा क्षेत्र से चट्टानों से निकाला जाता है। इसे हिमालयन रॉक सॉल्ट भी कहा जाता है। आप गूगल में “Himalayan rock salt” टाइप करके इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस नमक में शरीर के लिए 80 खनिज होते हैं।
क्या यह नमक अन्य बीमारियों के लिए फायदेमंद है ?
हां, यह थायरॉयड समस्याओं, दांतों की समस्याओं जैसे दांतों की सड़न, मुँह के छाले और बवासीर के इलाज में मदद करता है।
अगर आपको बवासीर की समस्या है, तो लाल मिर्च से बचें और हरी मिर्च के साथ इसे इस्तेमाल करें और साधारण नमक से बचें।
कई लोग डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाइयों को बिना सवाल किए खाते हैं, लेकिन जब इस नमक को बाजार से खरीदकर खाने की बात आती है, तो वे संदेह करते हैं। हालांकि, इस नमक के बारे में आयुर्वेद विशेषज्ञ और प्रोफेसर एस. स्वामीनाथन ने डिनामनी रविवार के अंक में एक लेख लिखा है, लेख इस नमक की सिफारिश करता है।
आयुर्वेद के अनुसार, मानव उपयोग के लिए सेंधा नमक सबसे अच्छा है। इस नमक का स्वाद थोड़ा होता है। यह पुरुषत्व को बढ़ाता है। यह मन के लिए अच्छा है। यह वात, पित्त, और कफ को संतुलित करता है। इसमें हल्की गर्मी होती है।
जब आप समुद्री नमक खाते हैं, तो यह अंत में मीठा हो जाता है, लेकिन सेंधा नमक में ऐसा नहीं होता। यह समुद्री नमक से होने वाली क्षति को भी रोकता है। इसलिए, आप भोजन में इस नमक का उपयोग करें।..

 इसे  पहले तो इन्हें संभालकर रखा जाता था और दिवाली से कुछ दिन पहले मिट्टी के तेल में डुबोकर रखा जाता था और दिवाली पर जला...
18/09/2025


इसे पहले तो इन्हें संभालकर रखा जाता था और दिवाली से कुछ दिन पहले मिट्टी के तेल में डुबोकर रखा जाता था और दिवाली पर जलाया जाता था तो यह लगभग सारी रात जलता रहता था........

दिपावली पर रोशनी करने के खूब काम आते थे लेकिन लाईट आने के बाद इनका चलन खत्म सा हो गया है......

हमारी नजर में ये बेकार सी फफूंदी हैं बहुत महँगी औषधीय हैं इसका अर्क बहुत महंगा हैं ऑनलाइन....

गैनोडर्मा के अधिकांश सदस्य प्रकृति में रोगजनक होते हैं, जो पौधों को सफेद सड़ांध और तने की सड़न के साथ-साथ लकड़ी के क्षय जैसी कई बीमारियाँ देते हैं......
प्रजातियों को उनके चमकदार, लाल-भूरे और शेल्फ़ जैसे फलने वाले शरीर से पहचाना जा सकता है।

गैनोडर्मा ल्यूसिडम 6 सामान्य लाभों के लिए जाना जाता है, जो हैं प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना, कैंसर, थकान और अवसाद से लड़ना, हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, रक्त शर्करा को नियंत्रित करना और एंटीऑक्सीडेंट को बढ़ावा देना ।

इसकी चाय और कॉफी भी बनतीं हैं.....

जहरीले/हानिकारक समान दिखने वाले: कोई जहरीले समान दिखने वाले मशरूम नहीं होते हैं , लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि सभी गैनोडर्मा मशरूमों की सावधानीपूर्वक फफूंद के लिए जांच की जाए, क्योंकि कई नमूने जो अपने मूल स्वरूप से बाहर हो चुके हैं, उनमें फफूंद हो सकती है जो हानिकारक हो सकती है।

आपके क्षेत्रीय भाषा में इसे क्या बोला जाता हैं और आपके अनुभव में इसका कोई उपयोग हो तो अवश्य साँझा कीजिए..... 🙏

सुप्रभात
18/09/2025

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