28/08/2025
झगडा खत्म करके सोया करो। पत्नी को अर्थी पर लिटाया जा चुका था। लोगों की भीड़ दिखाई दे रही थी। रतन की भाभी सिंदूर लेकर उसके पास आई और बोली "जाओ, देवरानी की मांग भर दो।" वह धक धक करते कलेजे के साथ अर्थी पर सोई पत्नी की तरफ बढ़ा। ज्यों ही पत्नी के चेहरे पर नजर पड़ी। वह दहाड़ मार कर रोने लगा। अचानक उसे पत्नी की आवाज सुनाई दी " क्या हुआ? क्यों रो रहे हो? " पत्नी की आवाज से तुरंत उसकी आँखे खुल गई। वह तुरंत समझ गया कि हकीकत नही सपना था। उसने टाइम देखा रात के ग्यारह बजे थे। उसने झटके से पत्नी को पकड़ कर सीने से लगा लिया। पत्नी उसको झिड़कते हुए बोली " दूर हटो। मुझे नही आना आपके पास। दो घण्टे पहले कितना लड़ रहे थे। क्या बोल रहे थे " ये रास्ता पड़ा। जा अभी मायके चली जा। लौट कर मत आईयो। तुम मेरी जिंदगी का ग्रहण हो। जब तुमसे पीछा छूटेगा तभी चैन मिलेगा? इतनी सी देर मे तुझे गले लगाने के लिए पत्नी चाहिए? " वह उसे मनाता हुआ बोला " माफ कर दे। आइंदा ऐसा नही बोलूँगा। " पत्नी की आँखों मे आंसू आ गए। वह उसकी भुजाओं मे सिकुड़ते हुए बोली " तुम तो सौ गए मगर मुझे दो घण्टे से नींद भी नही आई। जाग रही थी कि तू कब आँखे खोले और मुझे मनाये।" वह बोला " आइंदा कभी तुझसे झगडा नही करूँगा।" वह बोली" लड़ लिया कर, झगड़ लिया कर, मगर यूँ नाराजगी मत दिखाया कर। सोने से पहले झगडा खत कर दिया कर, मुझे यूँ ही सीने से लगा लिया कर। हम औरतें सीने से लगाते ही सबकुछ भूल जाती हैं। " एक प्यारा सच। सचमुच औरतें भूल जाती हैं।