07/09/2025
हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत पहाड़ियों में शिक्षा कभी बहुत दूर का सपना थी। 1951 की जनगणना के अनुसार, राज्य की साक्षरता दर महज लगभग 7% थी। उस समय स्कूल बहुत कम थे, और कई बच्चे, खासकर लड़कियां, परिवार की मदद के लिए घर पर ही रहती थीं। ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों के कारण शिक्षा तक पहुंचना बड़ी चुनौती थी, लेकिन लोगों की लगन अडिग थी।
समय के साथ, खासकर 2000 के दशक में, राज्य सरकार ने शिक्षा को प्राथमिकता दी। 2001 की जनगणना में साक्षरता दर बढ़कर लगभग 71% हो गई, जो एक बड़ी छलांग थी। ‘प्रेरणा’ जैसे कार्यक्रमों और ‘समग्र शिक्षा अभियान’ ने बच्चों और वयस्कों के लिए नए अवसर बनाए। डिजिटल साक्षरता और शाम की कक्षाओं ने उन्हें शिक्षा से जुड़ने का मार्ग दिया।
महिलाओं की साक्षरता में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई। 2011 की जनगणना में महिला साक्षरता दर 76% तक पहुंच गई, जो पुरुषों की तुलना में काफी सुधार था। यह महिलाओं के सशक्तिकरण की कहानी थी। हिमाचल प्रदेश का हैमीरपुर जिला इस समय सबसे अधिक साक्षरता वाला जिला था।
2025 तक, अधिसूचित रिपोर्टों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश की कुल साक्षरता दर लगभग 88.2% तक पहुंच चुकी है, जिसमें पुरुष 89.5% और महिला साक्षरता 75.9% के आसपास है। यह दर भारत के शीर्ष राज्यों में शामिल है।
कुछ रोचक तथ्य:
हिमाचल प्रदेश ने 2025 में भारत में स्कूल शिक्षा के इंडेक्स में 21वें स्थान से छलांग लगाकर 5वें स्थान पर आ गया।
राज्य की ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में भी साक्षरता में निरंतर सुधार देखा गया है।
स्थानीय समुदायों के सहयोग से पैरामाउंट स्कूलों और डिजिटल शिक्षा केंद्रों की स्थापना ने शिक्षा की पहुंच को बढ़ाया है।
महिलाओं की शिक्षित होने की वजह से परिवारों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है।
यह सफलता केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि सपनों की पूर्ति की कहानी है। पहाड़ों की घाटियों में अब बच्चों की हंसी गूंजती है, महिलाएं सशक्त हो रही हैं, और पूरे समाज में विकास की लहर दौड़ रही है। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा की रोशनी हर दिल और हर घर को रोशन कर रही है, और एक उज्जवल भविष्य का वादा कर रही है, जहाँ ज्ञान सबका सच्चा inheritance होगा