12/10/2025
(स्वर्गीय श्री घनश्याम शुक्ल, पूर्व मंत्री)
आज पुराने कागज़ों के बीच उनका एक पोस्टर मिला…
धूल जमी थी, पर तस्वीर अब भी वैसे ही मुस्कुरा रही थी।
जैसे कह रही हो —
“मैं गया नहीं, बस यहीं कहीं हूँ, तुम्हारे साथ…”
उस तस्वीर को देखा तो आँखें नम हो गईं।
वो आवाज़, वो सादगी,
गांव-गांव घूमते हुए उनका जनसेवा का जज़्बा…
सब कुछ जैसे एक फ़िल्म की तरह आंखों के सामने चलने लगा।
चाचा जी सिर्फ एक नेता नहीं थे —
वो हमारे अपने थे,
हर जरूरतमंद की आवाज़,
हर घर का सहारा।
उनकी बातें, उनके आदर्श,
आज भी हमारे अंदर जिंदा हैं।
उनका जाना एक युग का अंत था,
लेकिन उनकी यादें,
हमेशा हमारे साथ रहेंगी।
श्रद्धांजलि चाचा जी 🙏
आपकी कमी हमेशा महसूस होगी।