29/06/2025
हिजाब, इस्लाम धर्म में महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक पारंपरिक वस्त्र है, जो न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है बल्कि आत्म-सम्मान, गरिमा और सांस्कृतिक पहचान की भी अभिव्यक्ति है। आज की हिजाब पहनने वाली लड़कियाँ सिर्फ पारंपरिक नहीं, बल्कि आधुनिक सोच और आत्मनिर्भरता की प्रतीक बन चुकी हैं। ये लड़कियाँ शिक्षा, खेल, विज्ञान, फैशन, राजनीति और सोशल मीडिया जैसे हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
हिजाब इस्लामी संस्कृति में पर्दा प्रथा का एक अहम हिस्सा है। इसका उद्देश्य महिलाओं की इज़्ज़त, शालीनता और सुरक्षा को बढ़ावा देना है। कई मुस्लिम महिलाएँ इसे अपने ईश्वर के प्रति समर्पण, आत्म-संयम और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रूप में अपनाती हैं। हालांकि अलग-अलग देशों में हिजाब को लेकर नियम और सोच अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन अधिकांश मुस्लिम महिलाएँ इसे गर्व और आस्था के प्रतीक के रूप में पहनती हैं।
हिजाब वाली लड़कियों की पहचान
आज की हिजाब पहनने वाली लड़कियाँ परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु बन चुकी हैं। वे एक ओर अपने धार्मिक मूल्यों से जुड़ी हुई हैं, तो दूसरी ओर विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, खेल और व्यवसाय में शानदार मुकाम हासिल कर रही हैं। भारत, पाकिस्तान, ईरान, सऊदी अरब से लेकर अमेरिका और यूरोप तक, कई मुस्लिम महिलाएँ हिजाब पहनते हुए भी डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, पत्रकार, मॉडल और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर बन रही हैं।
प्रेरणादायक उदाहरण
इकरा हबीब (भारत) - एक शिक्षिका और मोटिवेशनल स्पीकर हैं जो हिजाब पहनकर शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों को प्रेरित कर रही हैं।
नूर टैगौरी (अमेरिका) - एक मुस्लिम पत्रकार और सार्वजनिक वक्ता हैं, जिन्होंने हिजाब पहनते हुए न्यूज़ मीडिया में पहचान बनाई।
इफ्तेखार गुल (पाकिस्तान) - एक फेमस बॉक्सर हैं, जो हिजाब पहनकर भी रिंग में प्रतिद्वंद्वियों का डटकर सामना करती हैं।
चुनौतियाँ और संघर्ष
हिजाब पहनने वाली लड़कियों को कई बार समाज में पूर्वाग्रहों और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उन्हें आधुनिक या सक्षम नहीं समझा जाता, जबकि वास्तविकता यह है कि उन्होंने अपने कार्यों और उपलब्धियों से यह सिद्ध कर दिया है कि हिजाब कोई रुकावट नहीं, बल्कि पहचान और ताकत है। कई देशों में हिजाब पर पाबंदियाँ लगाई गई हैं, जो महिला स्वतंत्रता की वास्तविक परिभाषा को चुनौती देती हैं।
निष्कर्ष
हिजाब पहनने वाली लड़कियाँ आज की दुनिया में साहस, आत्मविश्वास और समर्पण की मिसाल हैं। उन्होंने दिखाया है कि आस्था और आधुनिकता साथ चल सकती हैं। वे नारी सशक्तिकरण की असली मिसाल हैं – जो अपने धर्म से जुड़ी रहकर भी हर ऊँचाई तक पहुँच सकती हैं।
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