10/02/2024
ना काहू से दोस्ती ना कहूं से बैर
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झारखंड बने आज 24 वर्ष होने जा रहा है ! यहां खनिज संपादक से भरा प्रदेश है तात्पर्य यह है ! कि यह एक धनी प्रदेश है !पर यहां गरीब लोग रहते हैं ! धनी प्रदेश पर गरीब लोग ! यह कैसे विंडबना है ! झारखंड मूलत: दो क्षेत्र में मिलकर बना है ! संताल परगना एवं छोटा नागपुर यह आदिवासी बहुल राज्य है ! यहां दोनों जगह पर ब्रिटिश काल के दौरान अलग-अलग क्रांतियां हुई थी ! संताल परगना में सिदो मुर्मू और,कानू मुर्मू के नेतृत्व में संताल हुल 1855 एवं छोटा नागपुर बिरसा मुंडा के अगुवाई में बिरसा उलगुलान 1899 -1900 ! दोनों ही आंदोलन का एक ही उद्देश्य { मकसद } था -संताल परगना में " संताल राज " और छोटा नागपुर में "मुंडा राज " कायम करना ! ध्यान रहे संताल और मुंडा ये दोनो ही जातियां एक ही नस्ल की है! दोनों की भाषा संस्कृति एक ही है ! किसी काल में वे दोनों एक ही बिरादारी जाति एवं समुदाय के थे ! कालांतर में वे दोनों अलग-अलग जाति के नाम से जाने गए ! संताल एवम मुंडा इतिहासकार बताते हैं कि चाहे वह संताल हुल हो अथवा बिरसा उलगुलान , दोनों ही क्रांतियां ब्रिटिश राज के खिलाफ थी ! इतिहासकारों ने ऐसा लिख दिया और हम आज के हुल और उलगुलान के वंशज इस सच मान बैठे हैं ! जो कि हमें इस तरह की धारणाएं हमें गलत दिशा अर्थात हमें किसी गहरी खाई की और ले जा रही है ! जिसका हमें कुछ भान ही नहीं ! कहा जाता है कि अंग्रेज भारत में करीब 300 साल तक राज किए ! वे व्यापारी के रूप में आए ! और यहां के शासक अथवा राजा बन बैठे ! अंग्रेज से पहले इस देश में मुगलों का शासन था ! यह भी करीब 700 वर्ष तक राज किए थे ! क्या आपने कभी सोचा; मुगलों से पहले किसका शासन था ? बेशक तब भारतवर्ष में छोटे-मोटे कोई राजा राजवाड़े थे ! परंतु यहां के शासन प्रणाली धर्म तंत्र पर आधारित थी ! अर्थात देश में धर्म तंत्र के अंतर्गत मन्नू महाराज की मनुस्मृति थी ! इस जलती हुई आग में कोपल कल्पित धर्म ग्रंथ ने घी का काम किया ! यह तो अच्छा हुआ कि अंग्रेज आया ! अंधविश्वासी परंपराओं को जड़ से उखाड़ के फेंकने की हर संभव कोशिश की !
समझने के लिए यहां सन्ताल हुल - 1855 का जिगर किया जा रहा है ! आखिर हुल का मतलब क्या है ? हुल किसी एक व्यक्ति विशेष के खिलाफ ही हो सकता है ! हुल किसी वर्ग विशेष के खिलाफ ही हो सकता है ! भारत में अंग्रेज मुट्ठी भर थे ! इन्हें मुट्ठी भर अंग्रेजों ने देश के बागडोर को अपने हाथों में ले रखा था ! यहां अंग्रेज कोई गांव बस्ती बस कर नहीं रहते थे ! कुछ अंग्रेज थे जो बड़े-बड़े शहरों में निवास करते थे ! और वहीं से वे अपना राज काज चलाए करते थे ! तत्कालीन संताल परगना के साथ भी यही हुआ ! आज 6 जिले संताल परगना में सिर्फ एक ही अंग्रेज अफसर था ! जिसका नाम था -जेम्स पोणटेंट ! वह कोई मजिस्ट्रेट नहीं था ! बल्कि वह एक अदना -सा सुपिरिटेंटेंड था ! सुपिरिटेंटेंड का काम सिर्फ कर वसूली था ! उसके पास कोई मजिस्ट्रेरियल पावर नहीं था ! किसी खास मुकदमे के लिए लोगों को दूर दराज अर्थात भागलपुर जंगीपुर आदि स्थानों में जाना होता था ! फिर हुल किसके विरुद्ध हुवा ? हुल मूलत: महाजनों के विरुद्ध हुआ ! क्योंकि महाजनों ने संतालों को हद से ज्यादा प्रताड़ित किया था ! संतालों ने अपना दुखड़ इन्हीं अंग्रेजों द्वारा तैनात दरोगा जमींदार तहसीलदार और कोर्ट कचहरी के मुख्यत्तर अमला कपला को बताया ! पर यहां भी महाजनों ने सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने मुट्ठी में कैद करके रखा था ! जिससे संतालों को कोई न्याय नहीं मिल सका ! इतना ही नहीं संतालों ने ब्रिटिश शासक के बड़े अधिकारियों से भी न्याय का गुहार लगाई ! पर वहां से भी संताल लोगों को अपना मुंह लटका कर वापस आना पड़ा ! इतना ही नहीं संतालों ने 30 जून 1855 को भोगनाडीह में एक बहुत बड़ी मीटिंग बुलाई गई ! इस मीटिंग में एक ज्ञापन तैयार हुआ !
सिदो मुर्मू द्वारा 28 , 29 और 30 जून 1855 को भोगनाडीह में आहूत संतालों कि एक विशाल मीटिंग संपन्न हुई ! अस्पताल में 30000 लोग शामिल हुए ! उसे मीटिंग में सरकार के नाम पर एक स्मृति पत्र तैयार किया ! जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि अगर 15 दिन के अंदर कोई उचित सुनवाई नहीं होती है ! तो वे हुल करने का विवश होगा ! उपरोक्त स्मृतिपत्र पर कोई करवाया नहीं हुवी ! नतीजतन संतालों ने हुल कर दिया ! हुल का श्री गणेश 7 जुलाई 1855 को हुवा ! जिसमें कुख्यात दरोगा महेश लाल दात शाहिद 14 सिपाही मारे गए ! हुल दावानल चित्र चारों ओर फैल गया ! अत्याचारी महाजनों को एक-एक करके घाट उतारा जाने लगा ! हुल ने भयानक रूप धारण कर लिया ! ब्रिटिश शासको में 10 नवंबर 1855 को मार्शल लॉ लागू किया ! फिर भी हुल थमने का नाम नहीं ले रहा था ! अनन फनन में ब्रिटिश शासको ने हुल के कारणों की जांच हेतु एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की ! जिसके फलस्वरुप 22 दिसंबर 1855 को संतालों के लिए एक अलग प्रदेश " संताल परगना "का गठन किया गया ! अलग प्रदेश गठन करने का एक ही उद्देश्य था - " आबोआक दिसम आबोआक राज !" [ हमारा देश हमारा राज ! ] अर्थात देश में संतालो का राज कायम हो गया ! इस उद्देश्य को लेकर संताल परगना काश्तकारी अधिनियम बनाया गया ! संतालों कि भाषा संस्कृति रीति रिवाज सभी तरह के प्रशासनिक कार्य करने के लिए कानून भी बनाए गए !
यह ऐसे ही हुआ ! मानो ,मंगरु बुधना को कोई चमचमाती बीएमडब्ल्यू { BMW } कार दान स्वरूप दी गई हो , क्या करें मंगरु बुधना , दिन रात उस कार को निहारत रहे ! मंगरू बुधना को उसे कर की उपयोगिता के बारे में खाक भी मालूम नहीं था ! हुआ यही की उसका चालक और कोई बन बैठा ! वहीं चालक उसे कर को अपनी मर्जी के अनुसार चलना फिराता था ! धीरे-धीरे वह चतुर चालक उसे गाड़ी को ही अपने नाम करवा लिया ! कर लो अब क्या कर सकते हो ? ठीक यही स्थिति संतालों के साथ भी घट गई !
बेचारे इतने दयावान अंग्रेज भी क्या कर सकते हैं ! जिस समय संताल परगना मिला था , उसे समय एक भी संताल शिक्षित ना था ! सभी अंगूठा टेक थे ! अंग्रेज किसको सरकारी ऑफिस में बहाली करते ? यही कारण था की पर्दे के पीछे फिर वही अत्याचारी महाजनों का राज कायम हो गया , जिन महाजनों के विरुद्ध इतना बड़ा संताल हुल - 1855 घटित हुआ था !
अब जरा सोचो और समझो !
मजारा अब समझ में आ गया होगा ! ठीक वैसे ही है ! जब 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य गठन हुवा ! झारखंड एक आदिवासी राज्य है ! आदिवासियों के उत्थान हेतु ही इस नए प्रवेश का सृजन हुआ !
अब सवाल उठता है ! अब बताओ तब कितने आदिवासी आईएएस -आईपीएस अधिकारी थे या अब है ? कितने - डीसी , एसडीओ बीडीओ प्रशासनिक अधिकारियों हैं ? कितने आईपीएस , डीएसपी , एसडीपीओ , दरोगा आदि पुलिस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं ? औरतों और कितना आदिवासी कर्मचारी हैं जो विभिन्न सरकारी कार्यालयों में नियुक्त है ! साथ ही शिक्षण स्थान में कितने टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टाफ कार्यरत है ? स्वास्थ केंद्र विभाग में कितने आदिवासी डॉक्टर नर्सें है ! कितने आदिवासी इंजीनियर्स , वकील है ? इतना ही नहीं क्या आपने कभी रिजर्वेशन रोस्टर का नजदीक में अध्ययन किया है ! क्या आरक्षण के मुताबिक हर सरकारी दफ्तरो में बहाली हो रही है ? सारांश यही है कि सभी सरकारी दफ्तरों में ना तो आपके आदिवासी नियुक्ति है और ना ही आरक्षण के नियमों का सही रूप से पालन किया जा रहा है ! यही कारण है कि सरकार की तरफ से कितने भी नए-नए ,अच्छी-अच्छी योजना बना डालो ! धरातल पर आधे मुंह गिर जाएगी ! इसलिए तमाम सरकारी कार्यालयों की बहाली होनी चाहिए ! और बहाली के लिए उच्च शिक्षित उम्मीदवारों की सख्त जरूरत है ! निचोड़ यही है कि शिक्षा की बगैर कुछ भी संभव नहीं है! अत: शिक्षित बनो और पूरे झारखंड के दफ्तरों में कब्ज डाल दो ! नहीं तो वहीं हुल के बाद वाली घटना दोहराई जाएगी !
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धन्यवाद !!
जोहार !!!
Clement Hansda ✍️