Kanoon ki Awaaz

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न मुक़दमे से डरते हैं, न हालात से हारते हैं,हम वो वकील हैं, जो झूठ की सल्तनत को सच से मारते हैं।क्या आप सहमत है ✍️
30/07/2025

न मुक़दमे से डरते हैं, न हालात से हारते हैं,
हम वो वकील हैं, जो झूठ की सल्तनत को सच से मारते हैं।
क्या आप सहमत है ✍️

“हम वकील हैं साहब, अपना दर्द तो अंदर दबा लेते हैं, मगर दूसरों का दुख देखकर रातों की नींद खो देते हैं…”
30/07/2025

“हम वकील हैं साहब, अपना दर्द तो अंदर दबा लेते हैं, मगर दूसरों का दुख देखकर रातों की नींद खो देते हैं…”








30/07/2025

“अब 498A में तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी!”
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है — अब शादीशुदा पुरुषों और उनके परिवारों को एक और मौका मिलेगा, गिरफ्तारी से पहले।

अब क्या होगा?

🔹 FIR दर्ज होते ही 2 महीने की शीतलन अवधि लागू होगी।
🔹 केस जाएगा फैमिली वेलफेयर कमेटी (FWC) के पास।
🔹 दोनों पक्षों को बुलाकर समझौते की कोशिश होगी।
🔹 समिति की रिपोर्ट के बाद ही कोई गिरफ्तारी या मजिस्ट्रेट की कार्रवाई होगी।

और सबसे ज़रूरी बात — इस समिति में होंगे
वकील, समाजसेवी, सेवानिवृत्त जज या अफसरों की पत्नियाँ।

👉 अब 498A का गलत इस्तेमाल रुकेगा
👉 और निर्दोष पति-पत्नी के परिवारों को मिलेगा न्याय।

✍️ CJI बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने कहा — हाईकोर्ट के नियम अब पूरे देश में मान्य होंगे।

“498A अब प्रताड़ना नहीं, समाधान का रास्ता बनेगा!”

05/07/2025
⚖️ POCSO मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला ⚖️इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से विवाह और उसके बच्चे के जन्म को ध्या...
05/07/2025

⚖️ POCSO मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला ⚖️

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से विवाह और उसके बच्चे के जन्म को ध्यान में रखते हुए POCSO एक्ट के दोषी को जमानत दे दी।

👉 कोर्ट ने कहा कि जब दोनों ने शादी कर ली है और उनका बच्चा भी जन्म ले चुका है, ऐसे में अपराध का दोष समाप्त माना जाता है।

क्या कहा कोर्ट ने?
🔹 शादी के बाद दोनों साथ रह रहे हैं।
🔹 बच्चा जन्म ले चुका है, इसलिए आगे मुकदमे की प्रकृति बदल जाती है।
🔹 ऐसी स्थिति में आरोपी को जेल में रखना उचित नहीं।

सोचने वाली बात:
क्या ऐसे मामलों में विवाह और बच्चा होना कानून के तहत अपराध को खत्म कर देता है?
कहीं यह नजीर (मिसाल) बनकर गंभीर अपराधों को नजरअंदाज करने का रास्ता तो नहीं खोलती?

👇 अपनी राय कमेंट में जरूर लिखें।

सरकार हो या कोई और, नोटिस देना तो अनिवार्य है!   #कानून
04/07/2025

सरकार हो या कोई और, नोटिस देना तो अनिवार्य है! #कानून

हमारी आवाज़ सिर्फ़ अदालत की दीवारों तक सीमित नहीं,हमारे अल्फ़ाज़ ज़ुल्म की नींव हिलाने की ताक़त रखते हैं।हम वो वकील हैं,...
04/07/2025

हमारी आवाज़ सिर्फ़ अदालत की दीवारों तक सीमित नहीं,
हमारे अल्फ़ाज़ ज़ुल्म की नींव हिलाने की ताक़त रखते हैं।
हम वो वकील हैं, जो चुप भी रहें तो फैसले बदल जाते हैं,
और अगर बोलें, तो तारीख़ दोबारा लिखी जाती है।

पुलिस आगे आगे महिला पीछे-पीछे CMO Rajasthan DIPR, Department of Information & Public Relations, Rajasthan
04/07/2025

पुलिस आगे आगे महिला पीछे-पीछे

CMO Rajasthan DIPR, Department of Information & Public Relations, Rajasthan

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