07/02/2025
****शेरी नशिस्त सजाई*****
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3 फ़रवरी 2025 को जनाब नवाबज़ादा अनवर अली ख़ान साहब ने गर्ल्स हॉयर सेकेंडरी स्कूल गुलज़ार बाग़ टोंक के सामने मोअज़्ज़म ख़ान साहब ठेकेदार के मकान के पास एक मुशायरे का एहतमाम किया,
ये मशायरा मोहतरम अनवर अली ख़ान साहब ने अपनी पोती की रुख़्सती की ख़ुशी में सेफ़ी एकेडमी टोंक के ज़ेरे एहतमाम रखा जिसमे शायरों ने अपना कलाम पेश किया
प्रोग्राम की सदारत जनाब अब्दुल हफ़ीज़ शोक़ अहसनी साहब ने फ़रमाई और मेहमान ए ख़ुसूसी जनाब इक़बाल हसन साहब साहब रहे और मेहमान ए एज़ाज़ी जनाब डा.अरशद अब्दुल हमीद साहब साहब और जनाब शाद कैफ़ी साहब रहे ,प्रोग्राम की निज़ामत डा.अंजुम सेफ़ी साहब ने की,
प्रोग्राम की शुरुआत में जनाब ताहिर हुसैन साहब ने नात ए पाक पेश की
ग़ज़लों के दौर की शुरूआत जनाब शहरयार बेग साहब ने की
बात करिए कभी तो ख़ुद से भी!
दिल के कमरे में रतजगा करिए !!
उनके बाद नवाब सेफ़ी साहब ने अपना कलाम पेश किया
चांद शरमा के छुप गया कैसे!
क्या उसे बे नक़ाब देखा हे!!
उनके बाद डा.सुरूर ख़ालिदी साहब ने अपना कलाम पेश किया
इस दिल की मोहब्बत का क्या ये फ़साना हे!
इस प्यार का आख़िर क्यों दुश्मन ये ज़माना हे!!
उनके बाद इमरान राज़ साहब ने अपने तरन्नुम से यूं समा बांधा
ये दिल तुमने अपना किया उम्र भर को!
नज़र हो न जाए तुम्हारी नज़र को!!
उनके बाद इज़्ज़त सेफ़ी साहब ने अपना कलाम पेश किया
जब किसी ग़ैर पर नज़र रखना!
आप अपनी कुछ ख़बर रखना!!
उनके बाद अमीन नजमी ख़ालिदी साहब ने अपनी ग़ज़ल पेश की
दिल से रुख़सत कोई होता हे तो दिल जानता हे!
जान का जाना हे इक लख़्ते जिगर का जाना!!
उनके बाद नदीम सेफ़ी साहब ने अपनी ग़ज़ल पेश की,
दुश्वार राहगुज़र हे संभल कर चलो नदीम!
गिरते हुए के वास्ते रुकता नहीं कोई!!
उनके बाद अंजुम सेफ़ी साहब ने अपना कलाम पेश किया,
हंस कर गुज़ार लीजे जितनी भी ज़िंदगी हे !
क्या ऐतेबार कल का हर शाम आख़री हे!!
उनके बाद जनाब ताहिर हुसैन साहब ने जनाब हसन इकबाल साहब की लिखी हुई रुख़्सती पेश करके ख़ूब दाद पाई
उनके बाद जनाब एजाज़ फ़ाईज़ी साहब ने अपना कलाम पेश करके प्रोग्राम में ख़ुशबू बिखेरी
अक़्ल और होश से बेगाना किए देती हे!
मुझको दीवाना बनाने लगी तेरी ख़ुशबू!!
उनके बाद जनाब अनवर एजाज़ी साहब ने महफ़िल को अपने कलाम से गरमा दिया
छाए गेसू निक़ाब की सूरत!
छुप गई आफ़ताब की सूरत!!
उनके बाद जनाब शाद कैफ़ी साहब ने अपनी ग़ज़ल पेश की
मुझे आपने करके दीवाना छोड़ा!
रखी लाज दीवानगी की ख़ुदा ने!!
उनके बाद जनाब हसन इक़बाल साहब ने अपना कलाम पेश किया.
तुझ से बिछड़ा तो तेरी याद साथ रही!
मुझ को आया ही नहीं रहना अकेला होकर!!
आख़िर में सदर ए मोहतरम जनाब शोक़ अहसनी साहब ने रुख़्सती के शेर पढ़ कर अपनी ग़ज़ल जनाब एजाज़ फ़ाईज़ी साहब से पढ़वाई
जो दामन पे गिरकर कहीं गुम हुए हैं!
वो आंसू मेरे अब तालातुम हुए हैं!!
मुशायरे में ख़ादिम ए अदब मिर्ज़ा नसीम बैग,फ़हीम मुराद साहब,शब्बीर नागोरी साहब,तारिक़ ख़ान साहब, शायन ख़ान साहब,ख़ुर्रम साहब, फ़िरोज़ शाह साहब,अलताफ़ इरफ़ानी साहब,असलम अंसारी साहब,सालार अली ख़ान साहब, हाशिर अली ख़ान साहब ,बाबा समी साहब,अल्लादिया साहब,और कई हज़रात शामिल हुए,,,,,,,,