राजपूताना विरासत एवं संस्कृति

  • Home
  • India
  • Udaipur
  • राजपूताना विरासत एवं संस्कृति

राजपूताना विरासत एवं संस्कृति .

गोधूवाला कुआँ: ठाकुर की वीर गाथा और रेगिस्तान की जीवनरेखाविघ्नैरपि न च्यवति, क्षत्रियो दृढसंकल्पः।  जीवनं कुआर्थं ददति॥ ...
13/07/2025

गोधूवाला कुआँ: ठाकुर की वीर गाथा और रेगिस्तान की जीवनरेखा

विघ्नैरपि न च्यवति, क्षत्रियो दृढसंकल्पः।
जीवनं कुआर्थं ददति॥



गुरु पूर्णिमा विशेषांक: डॉ. श्रीकृष्ण 'जुगनू' का प्रेरणादायक गुरु रूपजुगनू ज्ञानदीपं, संस्कृतिरक्षकं सदा।बलवीर स्तौति तं...
10/07/2025

गुरु पूर्णिमा विशेषांक: डॉ. श्रीकृष्ण 'जुगनू' का प्रेरणादायक गुरु रूप

जुगनू ज्ञानदीपं, संस्कृतिरक्षकं सदा।
बलवीर स्तौति तं, गुरुं प्रणम्य वर्धते॥

हम्मीरदेव की जयंती पर, रणथम्भौर गाए गान।वीरवर चौहान कुल का, सदा अमर रहे सम्मान।हठी वीर, शिव भक्त प्रबल, शरणागत रक्षा करे...
07/07/2025

हम्मीरदेव की जयंती पर, रणथम्भौर गाए गान।
वीरवर चौहान कुल का, सदा अमर रहे सम्मान।
हठी वीर, शिव भक्त प्रबल, शरणागत रक्षा करे।
जयंती पावन यह स्मरण, भारत को गौरव भरे।।

ग्वालियर अभिलेखः मिहिर भोज सूर्यवंशी क्षत्रिय प्रतिहारो की ऐतिहासिक गाथा" बलवीर सिंह सोलंकीग्वालियर शिला गाती, भोज की गा...
06/07/2025

ग्वालियर अभिलेखः मिहिर भोज सूर्यवंशी क्षत्रिय प्रतिहारो की ऐतिहासिक गाथा" बलवीर सिंह सोलंकी

ग्वालियर शिला गाती, भोज की गाथा सुनाई।
वराह ध्वज लिए जय, अरब को हर लिया।।

fans

वराह रूपं धरनी रक्षणार्थं,चालुक्य वंशस्य च कीर्ति वर्धनम्।अवनीजनाश्रय यशसा समृद्धं,शत्रून् जित्वा रक्षति भूमि मंढं।।वराह...
03/07/2025

वराह रूपं धरनी रक्षणार्थं,
चालुक्य वंशस्य च कीर्ति वर्धनम्।
अवनीजनाश्रय यशसा समृद्धं,
शत्रून् जित्वा रक्षति भूमि मंढं।।

वराह रूप में भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा की और चालुक्य वंश की कीर्ति को बढ़ाया।

अवनीजनाश्रय जैसे शासकों ने वराह की कृपा से यश प्राप्त किया और शत्रुओं को पराजित कर भूमि की रक्षा की।
fans










श्री जगन्नाथ स्वामी रथ यात्रा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं..आलेख - बलवीर सिंह सोलंकी बासनी खलिल चार धाम महत्व में पुर...
28/06/2025

श्री जगन्नाथ स्वामी रथ यात्रा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं..

आलेख - बलवीर सिंह सोलंकी बासनी खलिल

चार धाम महत्व में पुरी के #जगन्नाथ स्वामी का अलग महत्व है पोराणिक कथा अनुसार इस मन्दिर मूर्ति का प्रथम निर्माण सोलंखी (चालुक्य) राजा इन्द्रप्रधुम्न जी ने करवाया था |

श्री जगन्नाथप्रणामः
नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने ।
बलभद्रसुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नमः ।।
जगदानन्दकन्दाय प्रणतार्तहराय च ।
नीलाचलनिवासाय जगन्नाथाय ते नमः ।।


#जगन्नाथजी

चालुक्य शिल्प का वैभव: मोढ़ेरा सूर्य मंदिर की कहानी
26/06/2025

चालुक्य शिल्प का वैभव: मोढ़ेरा सूर्य मंदिर की कहानी

तब भी वह झूठ बना रहेगा न! कुर्तकों के पहाड़ कभी काटे नहीं कटते हैं! "कीर्ति स्तंभ" के संदर्भ में अगर सभी मूल लेख इसे यही...
25/06/2025

तब भी वह झूठ बना रहेगा न!
कुर्तकों के पहाड़ कभी काटे नहीं कटते हैं!

"कीर्ति स्तंभ" के संदर्भ में अगर सभी मूल लेख इसे यही कहते हैं, तो दिग्गज इतिहासकारों की चूक वाकई आश्चर्यजनक है। शायद प्रचलित कथानक या पूर्वाग्रह ने उनकी नजर को धुंधला किया।

Shri Krishan Jugnu

"ऊंट दिवस विशेष: मरूधरा की शान को नमन"
23/06/2025

"ऊंट दिवस विशेष: मरूधरा की शान को नमन"

 # # # 22 जून आज मनाया जा रहा अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस: मरूधरा के योद्धा को सम्मान   # # # उष्ट्र पर संग्रह  **आलेख: बलवीर...
22/06/2025

# # # 22 जून आज मनाया जा रहा अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस: मरूधरा के योद्धा को सम्मान

# # # उष्ट्र पर संग्रह

**आलेख: बलवीर सिंह सोलंकी, बासनी खलिल | योगदान: डॉ. श्रीकृष्ण "जुगनू"** Shri Krishan Jugnu

# # # # ऊंट: मरूधरा का जीवनसाथी

ऊंट, जिसे 'रेगिस्तान का जहाज' कहा जाता है, शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में मानव का अविभाज्य साथी रहा है। अपनी अनूठी जैव-भौतिकीय विशेषताओं के कारण यह रेगिस्तान की कठिन परिस्थितियों में जीवनयापन का प्रतीक बन गया है। कृषि, व्यापार, संदेश प्रेषण, युद्ध और आवागमन में इसकी भूमिका अपरिहार्य रही है। राईका और रेबारी समुदाय की पहचान इसी प्राणी से जुड़ी है, जो राजस्थान का राज्य पशु भी है। संस्कृत कवियों ने ऊंट की हंसी उड़ाई, पर मरुभूमि के निवासी इसके महत्व को अच्छी तरह जानते हैं।

# # # # धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
- **देवी-देवताओं की सवारी**: गुजरात में दशा माता और पुष्करणा ब्राह्मण समाज की कुलदेवी उष्ट्रवाहिनी माता की सवारी ऊंट पर देखी जाती है।
- **ऐतिहासिक संदर्भ**: पाबूजी की पंड़ और राजस्थान-गुजरात-सिंध के योद्धा जुझार की देवलियों में ऊंट की सवारी का उल्लेख मिलता है। प्राचीन मंदिरों (2000 साल पुराने) में ऊंट की मूर्तियाँ भी पाई गई हैं।
- **व्यापार और सांस्कृतिक प्रसार**: मरुभूमि के व्यापारियों ने ऊंटों के लश्करों से कोणार्क से दक्षिण तक यात्रा की, व्यापार के साथ अपनी संस्कृति का प्रसार किया। दक्षिण के ग्रंथों (मणिमेखला, शिवरत्नाकर, हालास्य माहात्म्य) में मरुस्थल का वर्णन और ऊंट सवारी शिल्पांकन इसके प्रमाण हैं।

# # # # ऐतिहासिक योगदान
- **गंगा रिसाले**: बीकानेर की शाही सेना में ऊंटों ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया वीरता दिखाई। ऊंटों पर तोपें (शूत्रनाल) रेगिस्तानी युद्ध में प्रभावी थीं।
-**मुस्लिम कबीले: सऊदी अरब, ईरान, अफगानिस्तान और गजनी से आने वाले मुस्लिम कबीले ऊंटों पर भारत आए, जो मध्ययुगीन आक्रमणों और व्यापार में उनके लिए सहायक सिद्ध हुऐ।
- ** गंगा नहर, इंदिरा गांधी नहर **: नहर निर्माण में इंजीनियरों की सहायता की।
- **सीमा सुरक्षा**: उष्ट्र कोर, सीमा सुरक्षा बल का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
-**व्यापारिक मांग:- 18वीं शताब्दी में होलकर महारानी अहिल्या बाई और हैदराबाद के निजाम ने मारवाड़ से 300-300 ऊंट खरीदे, जिसका उल्लेख सनद बहियों में है।
-**ढोला-मारू: सातवीं-आठवीं शताब्दी में पुंगल की राजकुमारी मारू और नरवर के राजकुमार ढोला की प्रेम कथा में ऊंट ने दोनों को मिलवाया। आज भी ऊंट पर उनके लघु चित्र बनते हैं।

-*"व्यापार और प्रसार: मरुभूमि के व्यापारियों ने ऊंटों के लश्करों से कोणार्क से दक्षिण तक यात्रा की, अपनी संस्कृति का प्रसार किया। दक्षिण के ग्रंथों (मणिमेखला, शिवरत्नाकर) में मरुस्थल और ऊंट सवारी शिल्पांकन मिलते हैं।
-**चुनाव चिन्ह: 1952 में महाराजा हनवंत सिंह और 1971 में राजमाता कृष्णा कुमारी का चुनाव चिन्ह ऊंट था, जो उनके 100वें जन्मोत्सव (2025) का प्रतीक है।

# # # # ऊंट चिकित्सा: उष्ट्र शास्त्र
प्राचीन ग्रंथों (ब्रह्मपुराण) में नरवैद्य, गजवैद्य, हयवैद्य, गोवैद्य और ऊष्ट्रवैद्य जैसे वैद्यों का उल्लेख मिलता है, पर ऊंट चिकित्सा के लिए अलग शास्त्र (ऊष्ट्रायुर्वेद) का अभाव था, जबकि गवायुर्वेद, गजायुर्वेद और अश्वायुर्वेद मौजूद हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए डॉ. श्रीकृष्ण "जुगनू" ने **उष्ट्र शास्त्र** की रचना की, जिसका प्रकाशन 2023 में चौखंबा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी ने किया।
- **सामग्री**: वेद, उपनिषद, पुराण (कूर्मपुराण 2.34.62, स्कन्दपुराण 5.3.156.23, भविष्यपुराण 1.40.38,9) से पशु संदर्भों को संकलित कर ऊंट के जीवन, भेद, रूग्ण चिकित्सा और प्रायश्चित पर विस्तार से चर्चा।
- **सूक्ति**:
*कण्टकक्षेणिताऽऽस्येन पृष्ठेन भारवाहक:। चरणैर्मरुभूगन्ता क्रमेलो हितपाठकः।।*
(ऊंट: कांटे हटाने वाला, बोझ उठाने वाला, मरुभूमि पर चलने वाला, जीवन की सफलता का उपदेशक।)
- **प्राचीन नियम**: कूर्मपुराण में उष्ट्रयान पर चढ़ने और भविष्यपुराण में उष्ट्री क्षीर पान के पाप-प्रायश्चित का उल्लेख।

# # # # संरक्षण और कानूनी कदम
राजस्थान सरकार ने 30 जून 2014 को ऊंट को राज्य पशु घोषित किया। "राजस्थान ऊष्ट्रवंशीय पशु (वध एवं प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन एवं निर्यात का विनियमन) अधिनियम 2014" से वध, तस्करी और पलायन पर रोक लगाई गई।
- **आबादी में कमी**: 1951 में 3.41 लाख, 1983 में 7.56 लाख, 2007 में 4.22 लाख, 2012 में 3.25 लाख।
- **गिरावट**: 2007-2012 के बीच 22.79% की कमी।

# # # # सामाजिक और आर्थिक भूमिका
- **रेबारी और राईका**: ऊंट पालन में अग्रणी।
- **लोकगीत**: गोरबंद और ऊंट के श्रृंगार गीत प्रसिद्ध।
- **आभूषण**: नाक का लकड़ी का आभूषण 'गिरबाण' कहलाता है।

-**प्रजातियाँ और वास
जंगली ऊंट: गोबी मरुस्थल (बैक्ट्रियन) और मध्य एशिया (अफगानिस्तान-चीन) में।
-**भारतीय नस्लें: मारवाड़ी, बीकानेरी, सांचौरी, कच्छी ऊंट शुष्क जलवायु के अनुकूल हैं।

# # # # निष्कर्ष
ऊंट पर जितना लिखा जाए, उतना कम है। यह रेगिस्तान का आधार, सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक साथी है। उष्ट्र शास्त्र जैसे प्रयास इसके संरक्षण और ज्ञान विस्तार में सहायक हैं। सामूहिक प्रयास से इसकी विरासत बची रह सकती है।

---
* राजपूताना विरासत एवं संस्कृति * 22 जून 2025*
*पुस्तक: उष्ट्र शास्त्र (संस्कृत, हिंदी), संपादक: डॉ. श्रीकृष्ण "जुगनू",प्रकाशक: चौखंबा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी, 2023*

महाराणा श्री वीरभद्र सिंह जी सोलंकी लुनावाडा का रियासत कालीन राजसी दृश्य  गुजरात..(1910--1985)
07/06/2025

महाराणा श्री वीरभद्र सिंह जी सोलंकी लुनावाडा का रियासत कालीन राजसी दृश्य गुजरात..(1910--1985)

ऐतिहासिक महापुरूष  श्री वीरवर राव चांदा जी मेड़तिया के 519 वी जयन्ती पर पितृ महापुरूष के श्री चरणो मे सादर नमन एवं हार्दि...
03/06/2025

ऐतिहासिक महापुरूष श्री वीरवर राव चांदा जी मेड़तिया के 519 वी जयन्ती पर पितृ महापुरूष के श्री चरणो मे सादर नमन एवं हार्दिक वन्दन। आप सभी को वीरवर राव चांदा जी मेड़तिया जयन्ती की बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाये।
श्री चारभुजानाथ की जय।

Address

Udaipur

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when राजपूताना विरासत एवं संस्कृति posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share