Jamiat Ulma E Marathwada

Jamiat Ulma E Marathwada Mulana Qari shamsulhaq sahab quraishi qasmi

president Jamiat Ulma E Marathwada

जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव के लिए दुआ-ए-सेहत की अपीलनई दिल्ली, 8 अगस्त 2024: जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना मोहम्...
08/08/2024

जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव के लिए दुआ-ए-सेहत की अपील

नई दिल्ली, 8 अगस्त 2024: जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी जोधपुर के बालाजी अस्पताल में उपचाराधीन हैं। उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों के अनुसार, दिल पर असर होने की संभावना है। जमीयत उलमा राजस्थान के महासचिव मौलाना अब्दुल वाहिद खत्री के मुताबिक, मौलाना साहब की तबीयत इस वक्त स्थिर है।

सभी शुभचिंतकों और संबंधितों से उनके स्वास्थ्य के लिए दुआ की अपील की जाती है।

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष Maulana Mahmood Madani ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।...
08/08/2024

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष Maulana Mahmood Madani ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि आज संसद में जो संशोधन प्रस्तुत किए गए हैं, वह वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं। इससे सरकारी एजेंसियों को अनावश्यक हस्तक्षेप का अवसर मिलेगा, जिससे वक्फ की मूल स्थिति और खुदा के स्वामित्व की अवधारणा का हनन होगा।
मौलाना मदनी ने कहा कि वक्फ अधिनियम की धारा 40 को निरस्त करना और वक्फ ट्रिब्यूनल के बजाय जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व और कब्जे से संबंधित मुद्दों और विवादों को राजस्व कानूनों के अनुसार हल करने का अधिकार दिया जाना एक तरह से वक्फ बोर्ड को खत्म करने के समान है। उन्होंने कहा कि आश्चर्यजनक बात बात यह है कि जब किसी भूमि पर सरकार का कब्जा हो, तो उसके स्वामित्व का निर्णय भी कलेक्टर द्वारा किया जाएगा। ऐसी स्थिति में न्याय करने वाला और वादी दोनों सरकार ही होंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ सांप्रदायिक तत्वों ने वक्फ अधिनियम को रद्द करने का जो अभियान शुरू किया था, वर्तमान सरकार उन लोगों के नापाक विचारों से प्रभावित है। मौलाना मदनी ने कहा कि इस तरह का कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए निर्देशों और भारत के संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है। मौलाना मदनी ने लिमिटेशन एक्ट 1963, से वक्फ संपत्तियों को प्राप्त संरक्षण के समाप्त करने, वक्फ बाई यूजर और वक्फ अलल-औलाद को समाप्त करने के प्रस्ताव को भी दुर्भावनापूर्ण बताया।
मौलाना मदनी ने वक्फ संपत्तियों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए आगे कहा कि वक्फ संपत्तियों पर ईश्वर का स्वामित्व है, इन्हें किसी सरकार या शासन के अधीन अथवा कब्जे में नहीं लाया जा सकता। इसके साथ ही इनके उद्देश्य भी तय हैं, जिनके निर्देश इस्लामी शिक्षाओं में दिए गए हैं। इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और अधिकार वक्फ बोर्ड के पास ही रहे और इसमें मुस्लिम विद्वानों का प्रतिनिधित्व भी बना रहे ताकि वक्फ की प्रासंगिकता और उद्देश्य बरकरार बना रहे।
मौलाना मदनी ने सरकार से अपील की है कि वह प्रस्तावित संशोधनों को वापस ले और धार्मिक नेताओं और वक्फ प्रबंधन की संस्थाओं सहित सभी हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श करे। उन्होंने कहा कि कानून में संशोधन या बदलाव कोई प्रतिबंधित बात नहीं है, लेकिन प्रस्तावित संशोधनों के कुछ पहलू वक्फ के उद्देश्यों के विरुद्ध हैं, इसलिए वक्फ़ संपत्तियों की संप्रभुता को संरक्षित रखा जाए और किसी भी परिवर्तन को धार्मिक वर्गों और मुस्लिम संस्थानों की सहमति से किया जाए। मौलाना मदनी ने राजनीतिक दलों और सभी संबंधित नागरिकों से अपील की कि वह इन प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ आवाज उठाएं और धार्मिक अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए एकजुटता का प्रदर्शन करें।
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नियाज अहमद फारूक़ी सचिव,
Jamiat Ulama-i-Hind
फोन न. 9312228470

अदालत ने दिल्ली दंगों में अकारण फंसाए गए छह मुसलमानों को बाइज्जत बरी किया- जमीअत उलमा-ए-हिंद के वकीलों ने मुकदमों की पैर...
07/08/2024

अदालत ने दिल्ली दंगों में अकारण फंसाए गए छह मुसलमानों को बाइज्जत बरी किया
- जमीअत उलमा-ए-हिंद के वकीलों ने मुकदमों की पैरवी की
- जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने वकीलों के सफल अभियोजन की सराहना की और न्याय मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की
दिल्ली, 2 अगस्त, 2024। एक बड़े कानूनी घटनाक्रम में, दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगे 2020 से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में सभी छह आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। मामले में आरोपियों पर बवाल करने, चोरी, तोड़फोड़ और आगजनी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। आरोपी हाशिम अली, अबूबक्र, मोहम्मद अजीज, राशिद अली, नजमुद्दीन उर्फ भोला और मोहम्मद दानिश पर धारा 148/380/427/435/436 के साथ धारा 149 और 188 के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह मामला करावल नगर थाने की एफआईआर संख्या 72/20 के आधार पर स्थापित किया गया था।
जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देश पर हाशिम अली और राशिद अली के मामले की पैरवी जमीअत के वकील एडवोकेट सलीम मलिक कर रहे थे, जबकि अबूबक्र के मामले की पैरवी जमीअत के दूसरे वकील एडवोकेट शमीम अख्तर कर रहे थे। ज्ञात हो कि हाशिम अली शिव विहार में मदीना मस्जिद के मुतवल्ली (संरक्षक) भी हैं, जिस मस्जिद को दंगाइयों ने छह सिलेंडरों से नष्ट कर दिया था, और उनका घर भी जला दिया गया था। लेकिन पुलिस ने उल्टा उनके विरुद्ध ही मामला दर्ज कर लिया था, जिसकी आरंभ में कोर्ट ने आलोचना की थी।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आरोपी एक भीड़ का हिस्सा थे जिसने वादी की संपत्ति को दिल्ली दंगों में नष्ट कर दिया था। वादी श्री नरेश चंद एवं उनके पुत्र उमाकान्त सहित गवाहों ने सीसीटीवी फुटेज एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्तों की पहचान की। इसका बचाव करते हुए जमीअत उलमा-ए-हिंद के वकील ने दलील दी कि आरोपियों के अपराध में लिप्त होने का कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है। उन्होंने गवाहों की पहचान की कमी की ओर इशारा किया और कहा कि सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड ने आरोपियों की संलिप्तता को स्पष्ट रूप से साबित नहीं किया है। साथ ही आरोपी खुद पीड़ितों में शामिल हैं, उनकी मस्जिद और घरों को दंगाइयों ने जला दिया है। इसलिए उनको न्याय की तलाश है। यह आश्चर्य की बात है कि पुलिस ने पीड़ितों को ही आरोपियों के कठघरे में खड़ा कर दिया है।
न्यायालय ने सभी गवाहों को सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि कोई भी गवाह सीसीटीवी फुटेज से साफ तौर पर आरोपियों की पहचान नहीं कर सका। न्यायाधीश ने सीसीटीवी फुटेज में अभियुक्तों की

03/08/2024
इक रोजा इजलासे आम जमिअत उलमा मराठवाडा
03/08/2024

इक रोजा इजलासे आम जमिअत उलमा मराठवाडा

*मस्जिदें सिर्फ नमाज पढ़ने के लिए नहीं, धार्मिक शिक्षा का प्रसार भी जरूरी: मौलाना महमूद असद मदनी**दिल्ली प्रदेश के मकतब ...
23/07/2024

*मस्जिदें सिर्फ नमाज पढ़ने के लिए नहीं, धार्मिक शिक्षा का प्रसार भी जरूरी: मौलाना महमूद असद मदनी*
*दिल्ली प्रदेश के मकतब के छात्र-छात्राओं के मुख्य परीक्षा में 570 विद्यार्थियों ने भाग लिया*

नई दिल्ली, 22 जुलाई, 2024। दीनी तालीमी बोर्ड जमीअत उलमा-ए-हिंद के तत्वाधान में जमीअत के आईटीओ स्थित मुख्यालय में नाजरा कुरान (कुरान पढ़ने) और धार्मिक शिक्षा का पांच वर्षीय पाठ्यक्रम पूरा करने वाले दिल्ली प्रदेश के 35 मकतबों (धार्मिक पाठशालाओं) में शिक्षारत 570 छात्रों और छात्राओं की परीक्षा आयोजित की गई।
इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के अभिभावक, शिक्षक तथा दीनी तालीमी बोर्ड के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस अवसर पर समारोह को संबोधित हुए जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि पैगम्बरों की विरासत का दायित्व तभी पूरा होगा, जब हम दीनी तालीम (धार्मिक शिक्षा) के प्रचार-प्रसार को अपना मिशन बना लें। मौलाना मदनी ने कहा कि आज युवा पीढ़ी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम उनकी शिक्षा-दीक्षा पर विशेष ध्यान दें और उन्हें धार्मिक और सांसारिक शिक्षा से सुशोभित करें। मौलाना मदनी ने जमीअत उलमा-ए-हिंद के अंतर्गत जारी धार्मिक शिक्षा की गतिविधियों के विस्तार पर जोर दिया और कहा कि यह बात याद रखना चाहिए कि संस्था स्वयं उद्देश्य नहीं है, बल्कि शैक्षिक मिशन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि धार्मिक मकतबों (पाठशालाओं) की स्थापना का कोई विकल्प नहीं है, इसलिए अगर किसी अन्य संस्था की सहायता से हमारा बोझ कम हो रहा है तो हमें उनका शुभचिंतक और समर्थक होना चाहिए।
मौलाना मदनी ने माता-पिता, अभिभावकों, शिक्षकों और मस्जिद के जिम्मेदार लोगों से जोर देकर कहा कि बच्चों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मस्जिदें केवल नमाज पढ़ने तक ही सीमित न रहें, बल्कि मस्जिद की प्रबंधन समिति और इमामों की जिम्मेदारी है कि वह धार्मिक शिक्षाओं को बढ़ावा दें। मौलाना मदनी ने छात्रों को दो महत्वपूर्ण सलाह दी कि वह सच बोलने की आदत डालें और ज्ञान का अनुसरण करने का इरादा करें। हजरत मौलाना अशरफ अली थानवी ने कहा कि ज्ञान का प्रकाश तभी प्राप्त होता है, जब दिल में सीखे हुए ज्ञान का अनुसरण करने की चाहत है। मौलाना मदनी ने शिक्षकों से कहा कि छात्रों के साथ दयालुता से पेश आएं और प्यार करें और हमेशा उनके सुधार के लिए प्रयासरत रहें।
मुख्य परीक्षा के आयोजन के अवसर पर चार सूत्री संदेश भी जारी किया गया कि (1) मुख्य परीक्षा का उद्देश्य धार्मिक पाठशालाओं में कुरान की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार करना और उम्मत के शत-प्रतिशत बच्चों को धार्मिक मकतबों से जोड़ना है। (2) दीनी तालीमी बोर्ड जमीअत उलमा-ए-हिंद से संबंधित देश के सभी प्रदेशों और जिलों के पदाधिकारियों से अनुरोध है कि वह धार्मिक मकतबों को व्यवस्थित, मानक और अनुकरणीय बनाने की हर संभव कोशिश करें और धार्मिक मकतबों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का वर्ष के अन्त में शहरी या जिला स्तर पर मुख्य परीक्षा का आयोजन करें, इससे संबंधित प्रक्रिया मुख्यालय से प्राप्त करें। (3) हर मकतब में जमीअत यूथ क्लब की स्थापना की जाए ताकि छात्र बचपन से ही आत्मबोध, समाज सेवा और सृष्टि के रचनाकार के प्रति आज्ञाकारिता की भावना से ओतप्रोत हों (4) सभी इस्लामी मदरसों की प्रबंधकों एवं जिम्मेदार समिति से अनुरोध है कि समय एवं परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों को अधर्म, नशाखोरी एवं धर्म विद्वेष से बचाने के लिए एक धार्मिक विद्वान की नियुक्ति करें जो जगह-जगह धार्मिक मकतब स्थापित कर सके।
परीक्षा के बाद जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के कर-कमलों से सभी छात्रों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र वितरित किए गए। उन्होंने सभी बच्चों, अभिभावकों, शिक्षकों, समर्थकों और मस्जदों के जिम्मेदारों को परीक्षा की सफलता पर बधाई दी।
इससे पूर्व मुख्य परीक्षा से संबंधित प्रारंभिक चर्चा हाफिज सैयद आसिम अब्दुल्ला, केंद्रीय सहायक धार्मिक शिक्षा बोर्ड ने की और मुख्य परीक्षा के बारे में जमीअत उलमा-ए-हिंद मुख्यालय के केंद्रीय सहायक मौलाना मोहम्मद उमर ने प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में केंद्रीय सहायक मौलाना मोहम्मद फुजैल, मौलाना मोहम्मद शोएब, मौलाना फिरोज आदम, मौलाना ओवैस और कार्यालय के सभी पदिधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके अतिरिक्त दिल्ली प्रदेश से मौलाना मोहम्मद दाऊद अमीनी मेहतमिम मदरसा बाब-उल-उलूम और दिल्ली प्रदेश दीनी तालीमी बोर्ड के अध्यक्ष, कारी अब्दुल समी दीनी तालीमी बोर्ड दिल्ली प्रदेश के महासचिव, मौलाना अखलाक कासमी और अन्य साथियों ने प्रबंधन और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ज्ञात हो कि दीनी तालीमी बोर्ड जमीअत उलमा-ए-हिंद का एक सहायक संगठन है, जिसके अंतर्गत देश भर में चालीस हजार से अधिक मकतब चल रहे हैं। इसके अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम साहब नोमानी मोहतमिम और शेखुल हदीस दारुल उलूम देवबंद और महासचिव र मौलाना मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी हैं।

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प्रिय संपादकगण
इस प्रेस विज्ञप्ति को प्रकाशित करने की कृपा करें

साभार
नियाज अहमद फारूकी
सचिव, जमीअत उलमा-ए-हिंद
फोन न. 9312228470

02/02/2024

मस्जिद पर कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रेस कांफ्रेंस में मौलाना महमूद मदनी का बयान

آج ہمارے ساتھ دشمنوں جیسا سلوک کیا جارہا ہے
گیاواپی کے تناظر میں مسلم لیڈر شپ کی مشترکہ پر ہجوم پریس کانفرنس سے صدر جمعیۃعلماء ہند مولانا محمود اسعد مدنی کا خطاب
جمعیۃ علماء ہند کےمرکزی دفتر میں مسلم پرسنل لاء بورڈ کے زیر اہتمام منعقد پر ہجوم پریس کانفرنس سے خطاب کرتے ہوئے جمعیۃ علماء ہند کےصدر مولانا محمود اسعد مدنی نے کہا کہ عدلیہ کی آزادی ایک جمہوری ملک کی سب سے بڑی طاقت ہے ، اگر ہم اس آزادی کو باقی نہیں رکھ پائیں گے تو ملک کے ہر نظام میں کرواہٹ پیدا ہو جائے گی ۔مولانا مدنی نے بنارس کے ضلع جج کے ذریعہ گیان واپی مسجد کی تہہ خانہ میں پوجا کرنے کی اجازت دیے جانے کے تناظر میں کہا کہ انھوں نے اپنی رخصتی سے قبل اس طرح کا افسوسناک فیصلہ سنایا اور پھر اوپر کی عدالتیں اس پر غور کرنے کو تیار نہیں ہیں تو اس طرح ایک طبقہ کا پورا حق مار لیا گیا ۔ایسی صورت میں آپ بتائیں کہ اب ملک کی اقلیت کیا کرے ؟
انھوں نے میڈیا کی آزادی پر سوال اٹھاتے ہوئے کہا کہ ہمیں افسوس ہے کہ پریس کلب میں ہم نے پریس کانفرنس کرنے کی کوشش کی تو وہاں سے جواب ملا کہ اس موضوع پر اجازت نہیں ہے، تو بتائیے کہ ہم کس سبجیکٹ پر بات کریں او رکس پر نہ کریں ۔
مولانا مدنی نے کہا کہ آج ایسی صورت حال میں ہم کھڑے ہیں کہ ہمیں نہیں معلوم ہمیں کیا کرنا ہے۔ میں یہ کہنا چاہتاہوں کہ بات اس حد تک نہ بڑھنی چاہیے۔ ہم نے ملک کو بڑی تکلیفوں ، قربانیوں اور جد وجہد سے آزاد کرایا ہے اور اس ملک کو بنانا، بسانا، لے کر آگے چلنا ہم سب لوگوں کی سانجھا ذمہ داری ہے ۔
آج کے دور میں ہمارے ساتھ دشمنوں جیسا سلوک کیا جارہا ہے اور ہمیں رسو ا کرنے کی کوشش کی جارہی ہے ۔ حالاں کہ انصاف اور انصاف کے تقاضوں کو باقی رکھنا ہم سب کی ذمہ داری ہے ۔جس کی لاٹھی ،اس کی بھینس ،جنگل راج کی علامت ہے اور یاد رکھئے کہ لاٹھی اور بھینس کا قانون اگر چلے گا تو لاٹھی ہاتھ بدلتی رہتی ہے ۔ اس لیےہمیں مل جل کر اچھا کرنے کی کوشش کرنا ہے ۔

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