Qalamkaar : The Writers' Group

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◆दिल की तहरीरें◆कहनी हैं कुछ तहरीरें,मगर किसको सुनाऊँ?यहाँ हर लब ख़ामोश है,हर दिल अपना ही अफ़साना दोहराता है।हर निगाह मे...
21/06/2025

◆दिल की तहरीरें◆

कहनी हैं कुछ तहरीरें,
मगर किसको सुनाऊँ?
यहाँ हर लब ख़ामोश है,
हर दिल अपना ही अफ़साना दोहराता है।

हर निगाह में एक हिज्र ठहरा है,
हर मुस्कान के पीछे
एक सदी से ठहरा आँसू लरज़ता है।

लोग तो मिलते हैं,
मगर वक़्त कहाँ होता है किसी के पास?
हर शख़्स अपने ही शोर में
इतना गुम है कि
किसी और की सदा
महज़ ग़ुबार लगती है।

सोचता हूँ,
क्या मेरी ये नज़्म
किसी टूटे हुए दिल की दरार में
चुपचाप उतर पाएगी?

या फिर ये भी
किसी बेनाम आह में
खो जाएगी...
जैसे कभी कही ही ना गई हो।

शायद,
कुछ जज़्बात
सिर्फ़ काग़ज़ की आगोश में
सुकून पाते हैं,
वहीं सिसकते हैं,
वहीं सो जाते हैं...

~वरुण 'वीर'

"मौत की बाहों में"मौत से डर कैसा,वो तो इक ख़ामोश सी बाँह है,जिसमें ज़िंदगी थके कंधे रखकरएक पल को सुकून पाती है।ना वो जुद...
16/06/2025

"मौत की बाहों में"

मौत से डर कैसा,
वो तो इक ख़ामोश सी बाँह है,
जिसमें ज़िंदगी थके कंधे रखकर
एक पल को सुकून पाती है।

ना वो जुदाई है,
ना कोई ग़म की परछाईं
बस रूह की वापसी है
अपने असल घर की राह में।

जहाँ ना शोर होता है,
ना कोई साया बहकाता है,
बस एक नूर सा सुकूत होता है,
जैसे चिराग़ की लौ
हवा से मिलने से पहले
एक लम्हे को थम जाए।

ज़िंदगी हर वक़्त दोड़ती है
'कुछ बनने' की कोशिश में,
और मौत…
बड़े प्यार से कहती है
"अब तू मुकम्मल है,
अब तू काफी है।"

✍️वरुण 'वीर'

"तुम…"तुम कोई नाम नहींएक एहसास होजो हर लम्हामेरे साथ चलता है!तुम कोई बात नहींएक ख़ामोशी होजो बिना बोलेबहुत कुछ कह जाती ह...
12/06/2025

"तुम…"

तुम कोई नाम नहीं
एक एहसास हो
जो हर लम्हा
मेरे साथ चलता है!

तुम कोई बात नहीं
एक ख़ामोशी हो
जो बिना बोले
बहुत कुछ कह जाती है!

तुम कोई चेहरा नहीं
तुम वो सुबह हो
जो हर रात के बाद भी
नई लगती है!

तुम मिलो तो लगता है
जैसे दुआ कुबूल हो गई हो
जैसे ख़ुशबू ने
रास्ता चुन लिया हो

तुम्हें सोचते ही
दिल मुस्कुरा उठता है
शायद…
यही मोहब्बत है!

~वरुण वीर।
Qalamkaar : The Writers' Group

31/05/2025

◆ परदा-ए-मुस्कान ◆

लबों पे हँसी है, दिल में फसाना
छुपा रखा है हर दर्द पुराना
चमकती हैं आँखें, मगर बेख़बर
कि अश्क़ों का दरिया है उन के अंदर

उम्मीद की रौशनी बुझी तो नहीं
टूटी है साँसे, पर रुकी तो नहीं
चेहरे पे नक़ाब है तसल्ली का
सीने में शोर है तन्हाई का

हर लम्हा एक जंग है ख़ामोशी से
दिल करता है बयाँ, अदब से, सलीक़े से
मुस्कान में लिपटा है रंज-ओ-ग़म
ज़िन्दगी का यही तो है हुस्न-ए-सितम

~वरुण 'वीर'
Qalamkaar : The Writers' Group Varun Veer

31/05/2025

The Literary Podcast with Irfan Aarif

30/05/2025

मौत भी अगर तुझसे मिलने का जरिया बने...
तो वो भी मंज़ूर है 💔

✍️ Tehzeeb Hafi ki kalam se...

28/02/2025

Dogri Kavita by Anuradha Atri

07/12/2024

हम उन के दर पे न जाते तो और क्या करते
शाइर: नज़ीर बनारसी
आवाज़: वरुण वीर
पेशकश: क़लमकार
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हम उन के दर पे न जाते तो और क्या करते
उन्हें ख़ुदा न बनाते तो और क्या करते

बग़ैर इश्क़ अँधेरे में थी तिरी दुनिया
चराग़-ए-दिल न जलाते तो और क्या करते

अंधेरा माँगने आया था रौशनी की भीक
हम अपना घर न जलाते तो और क्या करते

~नज़ीर बनारसी

06/12/2024

एक सवेरा साथ रहे
शाइर: विज्ञान व्रत
आवाज़: वरुण वीर
पेशकश: क़लमकार
___________________
एक सवेरा साथ रहे
कोई बच्चा साथ रहे

एक भरोसा साथ रहे
कोई घर का साथ रहे

वक़्त बुरा है ऎसे में
कोई अपना साथ रहे

जब ख़ुद को ताबीर करूँ
तेरा सपना साथ रहे

मैं तनहा लौटा आख़िर
कोई कितना साथ रहे
~विज्ञान व्रत

01/12/2024

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
शाइर: अहमद फ़राज़
आवाज़: वरुण वीर
पेशकश: क़लमकार
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सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं

सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं

सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस की
सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं

सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं

सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है
सितारे बाम-ए-फ़लक से उतर के देखते हैं

सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं
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30/11/2024

وہ چپ رہا تو ہوا اس قدر ملال مجھے
کہ جاتے جاتے کئی دے گیا سوال مجھے

یہ سچ ہے آ نہ سکا میں کسی کے کام مگر
کہاں رہا کبھی اپنا بھی کچھ خیال مجھے

بسا ہوا ہوں میں پھولوں میں خوشبوؤں کی طرح
ہوا چلی تو بکھر جاؤں گا سنبھال مجھے

بلراج بخشی


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