
13/07/2025
#मर्जर : बनाम बंद स्कूल
जैसे ही बेसिक का कोई शिक्षक मर्जर से सम्बंधित पोस्ट डाल रहा , बस समझिये कई घण्टे लोंगो से बहस करने में उसके जाने ही जाने हैं । लोंगो को इतनी तकलीफ़ है शिक्षकों से कि भाई साब , पूछिये मत .......
और बहस करने जो भी आ रहे उनमें से ज्यादातर न तो सुदूर गांवों में चल रहे स्कूल्स से परिचित हैं और न ही स्कूल की समस्याओं से, फिर भी वह शिक्षकों को इस दुनिया का सबसे बड़ा फ्रॉड , कामचोर , मुफ्तखोर और भ्रष्टाचारी सिद्ध करने में एड़ी चोटी का जोर लगा दे रहें है ......
तो भाई लोग ! ध्यान रखिये, एक बार पुनः कि यह लड़ाई शिक्षकों की है ही नही । शिक्षक इस स्कूल पर नही तो उस स्कूल पर अपनी मोटरसाइकिल, मोटरकार लेकर चले ही जायेंगे । मुफ्तखोरों को वेतन भी मिलेगा ही लेकिन यह लड़ाई उन नौनिहालों की हैं जिन्हें येन केन प्रकारेण शिक्षक शिक्षित कर पाएं , न कर पाएं लेकिन साक्षर करने में जी जान से जुटे हैं । पिछले दिनों जो सोशल मीडिया पर बहसें हो रही उसके कुछ बिंदु निम्न समझ आए है ...... क्रमबद्ध करने का प्रयास रहेगा-----
#एक - सबसे पहला चाबुक , प्राइमरी के टीचर अपने बच्चों को अपने स्कूल में क्यों नही पढ़ाते , वही गांव में कमरा लेकर क्यों नही रहते ?
यह पहला शक्ति बाण है, तो यह बताएं आप अपने बच्चे को किसी ऐसे स्कूल में पढ़ाएंगे जहां 5 कक्षाएं 2 कमरों में चलती हों । 1 और 2 को एक मे बैठा लीजिये और 3 , 4 , 5 को एक में । जहां न तो बैठने की व्यवस्था है और न ही खेलने की और सबसे महत्वपूर्ण कि यदि गलती से आपके बच्चे को किसी प्राकृतिक जरूरत का सामना करना पड़ा तो शौचालय तो भूल ही जाईये किसी गन्ने , गेहूं या धान के खेत का सहारा लेना पड़ेगा ।
आपने बहुत सारी पढ़ाई की , मेहनत करके कई परीक्षाएं पास की .....क्यों ? एक अच्छी जीवन शैली के लिए, अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए लेकिन नही ......आप अपने बच्चों को उन्हीं बच्चों के साथ पढ़ाइये जिनको पढ़ना ही नही है । जो घर के सारे काम बर्तन झाड़ू खाना बकरी भैंस और साथ ही अपने 4 , 5 भाई बहनों को संभालकर बहुत जोर जबरजस्ती के बाद मन करें तो स्कूल आ जाएं नही तो कोई बात नही पढ़ लिखकर कौन कलेक्टर बन जाएंगे की मानसिकता रखते हैं । उनके अभिभावकों को मजदूरी के पैसे , रोपनी सोहनी और कटिया में ज्यादा फायदा नजर आता है और गलत भी नही है चार पैसे घर मे आएं तो किसको बुरा लगता है । साथ ही साथ अगर वो बच्चे 4 दिन स्कूल आ भी गए तो 40 दिन अपनी नानी की बीमारी , बुआ की डिलीवरी या मौसी मामा की शादी संभालने चले जाते हैं फिर करते रहिए आप फ़ोन , सीधा सा जबाब कि मन करे तो नाम काट दीजिये , हम आएंगे तो फिर लिखवा लेंगे मैडम जी । अभी तो नही आ पाएंगे ।
#दो - यदि आप इतने महान हैं तो आपके स्कूल्स से बच्चे क्यों कम हो रहे ?
यह दूसरा शक्तिबाण है.......
तो पहले यह जानिए कि सरकारी स्कूल में बच्चे का एडमिशन 6 साल पूरा करने पर कक्षा 1 में होता है और प्राइवेट में 3 साल के बच्चे को जमा कर सकते हैं तो 3 से 6 साल के बाद वह क्यों लौटेगा सरकारी स्कूल में ?
दूसरी बात प्राइवेट स्कूल में अभिभावक 50 या 100 रुपया फीस दे रहा तो वह हर संभव सुविधा देगा अपने बच्चे को क्योंकि भाई पैसा खर्च कर रहा । वह गाड़ी में भेजेगा क्योंकि स्टेटस सिंबल भी मेंटेन करना है उसको और सबसे बड़ी बात 5 क्लास , 5 टीचर , 1 प्रिंसीपल , 2 , 4 चपरासी भी हैं । भले ही वह टीचर कहीं से इंटर फेल होकर आएं या किसी तरह किसी कुकुरमुत्ते टॉइप खुले कालेजों से ग्रेड्यूएट हो गए हों लेकिन हैं, तो दिखते तो हैं, यहां एक तो पांच क्लास के लिए दो से तीन मास्टर ऊपर से इन्ही को खाना भी बनवाना है , राशन दूध सब्जी भी लानी है , कागज पत्तर भी तैयार करना है , बोर्ड ड्यूटी , प्रशिक्षण भी करना है और चुनाव सुनाव है तो माशा अल्लाह ......
बहस लंबी हो जाएगी, बिंदुवार बात करते करते ..... तो सारी बातों का सार यह समझिए यह एक साजिश है कि #सरकारी_स्कूल को और #सरकारी_अस्पताल को इतना बदनाम कर दो की ग़रीब तबका भी सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पताल में जाने में शर्माने लगे।
बड़े स्कूलों और अस्पतालों की फीस वह चुका नही सकता तो बीच मे बचे झोला छाप डॉक्टर और फर्जी मान्यता वाले स्कूलों के अनट्रेंड मास्टर। मजबूर होकर यहीं जाएगा और एक दिन सब गंवाकर सिस्टम से हार जाएगा ।
तो भाई लोगों से इतना ही कहना है कि यही बहस अगर आप जाकर अपने अपने गांव के स्कूल के मास्टरों से किये होते तो एक जागरूक नागरिक कहलाते और स्कूलों की समस्याओं की जमीनी हकीकत का अंदाज़ा भी लगता । तब आपको अपने गांव के सरकारी स्कूल के बंद होने पर मासूम बच्चों के चेहरे नज़र आते और आप सिस्टम से ये मांग करते कि स्कूल को बंद करने के बजाय हमारे गांव के स्कूल में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाइए और साथ ही विद्यालय के आसपास बिना मानक पूर्ण किये जो स्कूल्स को मान्यता दी जा रही है उनको बंद करवाइए .......धन्यवाद
Brajesh Pathak Divya Prakash Dubey Archana Tiwari AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club AstroAcharyaa DrDhananjay Mani Tripathi AstroGuru DrDhananjay Mani Gupteshwar Pandey Ravindra Sharma