16/08/2024
आज ऑफिस में फिर वही घटिया हरकत हुई। मेरे बॉस ने मुझे गलत तरीके से छूने की कोशिश की। मैं काम में मगन थी, जब अचानक मैंने अपने हाथ पर कुछ रेंगता हुआ महसूस किया। चौंक कर मैंने अपना हाथ हटाया और देखा कि मेरा बॉस मेरे बगल में खड़ा धूर्तता से मुस्कुरा रहा था। मेरे तन-बदन में आग लग गई, लेकिन घर के हालात सोचकर मैं फिर चुप रह गई।
“रूमा नाम है, कभी तो रूमानी हो जाया करो,” कहकर वह हँसता हुआ अपने केबिन की ओर बढ़ गया।
मेरी सहकर्मी सपना ने कहा, “क्या कर सकते हैं, रूमा? हमारी नियति यही है। ना नौकरी छोड़ सकते हैं, ना ही कुछ कर सकते हैं।” उसकी बातों को सुनकर मेरी आँखों में आँसू आ गए। सपना, रूबी, और मैं तीनों एक ही हाॅस्टल में रहती हैं और एक ही कंपनी में काम करती हैं। हमारी कमाई से ही हमारे घर चलते हैं, इसलिए हम तीनों अपने बॉस के गलत इरादों को मन में ढोती रहती हैं। मजबूरी में ऑफिस की सीढ़ियाँ चढ़ती हैं और अपमान के कोष में एक और अपमान जमा कर चेहरे पर मुर्दनी लिए शाम में हॉस्टल लौट जाती हैं। ऑफिस के पुरुष भी चुपचाप तमाशा देखते हैं, कौन आफत मोल ले, सब यही सोचते हैं।
एक ठंडी सुबह मैं हॉस्टल के बगीचे में बैठी पत्तियों पर पड़ी ओस की बूँदों को देख रही थी। तभी रूबी और सपना मुझे खोजती हुई वहाँ आ गईं।
“रूमा, यहाँ बैठी हो? नींद खुली तो तुम्हें कमरे में नहीं देखा, घबरा गई थी मैं और सपना,” रूबी ने कहा।
“इतनी ठंड में खुद को बिना चादर में लपेटे क्यों बैठी हो, रूमा?” सपना ने पूछा।
“इन ओस की बूँदों को देख रही हो, अकेले एक जगह ही रुक जाती हैं और फिर विलीन हो जाती हैं। अब ये देखो...” मैंने पत्तियों पर पड़ी सारी ओस की बूँदों को मिला दिया। “देखा, ये सब भी जब मिल गईं तो जिधर इच्छा हुई उधर बहने लगीं... बेखौफ,” मैंने कहा।
“अगर हम तीनों भी बिना डर के एक होकर निर्णय लें तो ऑफिस में होने वाली घटना के कारण रोज-रोज की बेइज्जती और शर्मिंदगी से पीछा छूटेगा। नहीं तो इनका मन बढ़ता जाएगा और हमारी जैसी कितनी लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार होता रहेगा,” मैंने कहा।
“पर कैसे? क्या करना है?” दोनों ने पूछा।
“ये कब काम आएगा। थोड़ी हिम्मत तो करनी ही पड़ेगी,” मैंने अपने हाथ में मोबाइल हिलाते हुए कहा।
“क्या बात है स्वप्न सुंदरी, बहुत हाॅट लग रही हो,” सपना के कंधे को दबाता हुआ बॉस ने कहा।
सपना एक बगल होकर खड़ी हो गई। “इसमें डरने वाली क्या बात है... कोई पराये थोड़े ना हैं हम,” कहकर बॉस ने उसके बालों में हाथ डालने की कोशिश की। सपना ने बॉस के हाथ को झटक कर मेरे पास आकर खड़ी हो गई और बॉस हमें गंदी सी मुस्कान देता हुआ चला गया।
“अब शर्मिंदा होने की बारी उसकी है,” मैंने बॉस के जाते ही सपना के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
सुबह बॉस के घर में हंगामा मचा हुआ था। उसकी पत्नी और बच्चे मोबाइल पर आए वीडियो को देखकर कैफियत माँग रहे थे और बॉस कुछ कहने की स्थिति में नहीं था।
तभी दरवाजे पर दस्तक से सबकी बहस रुक गई। मैं, सपना, रूबी के साथ पुलिस हथकड़ी लिए जैसी करनी वैसी भरनी के तर्ज पर दरवाजे पर खड़ी थी।