
11/02/2025
जब शिवराज सिंह चौहान के लिए दिग्विजय सिंह ने अपने ही मंत्री से खारी करा दिया बंगला
ये कहानी 2003 की है जब एमपी में कांग्रेस सरकार थी. दिग्विजय सिंह सीएम थे और ऊमा भारती को बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष बनाया. ऊमा भारती ने दिग्विजय सरकार को घेरने के लिए एक वॉर रूम बनाया जिसका नाम रखा "जावली"
जावली महाराष्ट्र की एक जगह का नाम है, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगज़ेब के सेनापति अफ़ज़ल ख़ान को धोखे से मार दिया था। इसी रणनीतिक संदर्भ के साथ उमा भारती ने अपने चुनावी अभियान के लिए यह नाम चुना. ये बंगला भोपाल के 74 बंगला इलाके में ही है. ये वही बंगला था जहां 1998 में गौरीशंकर शेजवार नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद रहने लगे थे. और बाबूलाल गौर के बंगले के पास था जो बाद में ऊमा भारती के हटने से एमपी में बीजेपी की ओर से सीएम बने. इसी के पार दूसरी तरफ उस समय के दिग्विजय सरकार के मंत्री सत्यनाराय़ण शर्मा रहते थे जो बाद में जब मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तो वो रायपुर चले गए.
सत्यनाराय़ण शर्मा के रायपुर जाते ही उनका बंगला खाली हुआ तो उसे लेने के लिए कई नेताओं ने भाग दौड़ शुरू कर दी.
शिवराज सिंह चौहान तब विदिशा सांसद थे. तुरंत गौरीशंकर शेजवार के पास पहुंचे और कहा कि "आप तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से बात कर ये बंगला मुझे अलॉट करवा दीजिए।" गौरीशंकर शेजवार ने दिग्विजय सिंह से शिवराज सिंह चौहान के लिए बात की, तो दिग्विजय सिंह ने कहा कि वे पहले ही यह बंगला मध्य प्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन और विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा को देने का वादा कर चुके हैं. शेजवार के अनुरोध पर दिग्विजय सिंह ने सुझाव दिया कि शिवराज सिंह और सज्जन वर्मा आपस में बात कर तय कर लें कि बंगला किसे चाहिए। इस पर शेजवार ने कहा, राजा साहब आप ही अपने मंत्री सज्जन वर्मा से बात कर लीजिए और कोई दूसरा बांग्ला आवंटित कर दीजिए.
शाम होते ही सज्जन वर्मा का फोन गौरीशंकर शेजवार के पास आया. उन्होंने कहा, "मैं यह बंगला छोड़ रहा हूं, आप शिवराज सिंह को बता दीजिए. 2000 से शिवराज सिंह चौहान इस बंगले में रह रहे हैं. उनकी पत्नी साधना सिंह इसे बेहद शुभ मानती हैं, इसलिए उन्होंने इसे कभी नहीं छोड़ा. मुख्यमंत्री बनने के बाद जब वे श्यामला हिल्स स्थित मुख्यमंत्री निवास में शिफ्ट हुए, तब भी इस बंगले को मुख्यमंत्री निवास के एनेक्सी के रूप में रखा. 2018 में जब साधना सिंह "किरार महासभा" की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं, तो उन्होंने इसी बंगले में महासभा का कार्यालय खोल दिया. जब शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री बन के दिल्ली चले गए तब भी यह घर उनकी के नाम पर अलॉट है और अब इसे उन्होंने मामा का घर बना दिया है, जहां प्रदेश का कोई भी व्यक्ति कभी भी मामा से मिलने जा सकता है.