12/04/2025
झारखंड की राजनीति का पलड़ा बदलता हुआ – टाइगर जयराम महतो का उदय
एक तरफ 80 विधायकों की भीड़, दूसरी तरफ अकेला एक नाम – माननीय विधायक टाइगर जयराम महतो। लेकिन हैरानी की बात ये है कि जनसमर्थन और जनआंदोलन के तराजू में आज भारी पड़ते हैं टाइगर जयराम महतो। क्यों? क्योंकि पिछले चार-पांच वर्षों में जो जनआधार और विश्वास उन्हें प्राप्त हुआ है, वह शायद ही किसी अन्य विधायक को झारखंड में मिला हो।
उनकी ताकत सिर्फ उनकी आवाज में नहीं है, बल्कि उस आवाज़ में उठने वाले झारखंडी मुद्दों में है – विस्थापन, बेरोजगारी, शोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य और आदिवासी अधिकारों की बुलंद वकालत में है। टाइगर जयराम महतो जिस मजबूती और निडरता के साथ सदन में झारखंडी मुद्दों को उठाते हैं, वह पहले कभी नहीं देखा गया।
हालिया घटना इसका प्रमाण है। बोकारो में बीएसएल प्रबंधन के खिलाफ विस्थापित संघ का विरोध प्रदर्शन हो रहा था, जिसमें एक सदस्य की मौके पर ही मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद जब टाइगर जयराम महतो वहाँ पहुंचे, तो स्थानीय विधायक श्वेता सिंह ने यह कहकर विरोध किया कि यह उनका विधानसभा क्षेत्र नहीं है, जबकि बाकी विधायक – चाहे वे सिंदरी से हों, निरसा, बाघमारा, बगोदर या सांसद हों – सभी को बिना रोकटोक आने दिया गया। क्यों? क्योंकि डर सिर्फ टाइगर जयराम महतो से है।
यह स्पष्ट संकेत है कि उनकी जनलोकप्रियता और ईमानदार नेतृत्व से सत्ताधारी और विपक्षी दोनों खेमे घबराए हुए हैं। उनकी बढ़ती लोकप्रियता उन्हें रोकने की साजिशों को जन्म दे रही है। लेकिन सवाल उठता है – क्या इस आवाज को दबाया जा सकता है जो झारखंडियों के हक के लिए लड़ रही है?
टाइगर जयराम महतो सिर्फ एक विधायक नहीं हैं – वे झारखंड के भविष्य का नाम हैं। अगर नेतृत्व ऐसा होगा, जो जनता की भावनाओं को समझता है, उनके दर्द को अपनी आवाज़ बनाता है, तभी झारखंड सही मायनों में विकास की ओर बढ़ेगा।
आज झारखंड को ऐसे ही नेता की जरूरत है – जो निडर हो, संघर्षशील हो, और झारखंडी आत्मा से जुड़ा हो। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि टाइगर जयराम महतो भविष्य में झारखंड के मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं।
क्योंकि जब जनता खुद कहने लगे – "एक तरफ 80 विधायक, दूसरी तरफ टाइगर – फिर भी भारी टाइगर", तब समझ जाइए कि परिवर्तन की बयार चल पड़ी है....