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19/09/2025

ਹਾਕੀ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਖੇਡ ਹੈ, ਪਰ ਅੱਜ ਦੇ ਯੁੱਗ ਵਿੱਚ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਤਰੱਕੀਸ਼ੀਲ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਸਕੂਲਾਂ ਵਿੱਚ ਇਸ ਖੇਡ ਨੂੰ ਮੁੜ ਪ੍ਰਚਾਰਿਤ ਕਰਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ।
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19/09/2025

ਸਰਕਾਰੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਈਵੇਟ ਸਕੂਲਾਂ ਨੂੰ ਹਾਕੀ ਖੇਡ ਨੂੰ ਹੱਲਾ ਸ਼ੇਰੀ ਦੇਣ ਲਈ ਉਪਰਾਲੇ ਕਰਨੇ ਚਾਹੀਦੇ ਨੇ
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ਲਿੰਗ-ਪੱਖਪਾਤੀ ਕਾਨੂੰਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਦੁਰਵਰਤੋਂ ਬਾਰੇ ਅਤੇ ਮਰਦਾਂ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਬਾਰੇ ਸਾਡਾ ਸਾਹਿਤ ਸਾਡੇ ਸਾਹਿਤਕਾਰ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਗੱਲ ਕਰਦੇ ?...
19/09/2025

ਲਿੰਗ-ਪੱਖਪਾਤੀ ਕਾਨੂੰਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਦੁਰਵਰਤੋਂ ਬਾਰੇ ਅਤੇ ਮਰਦਾਂ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਬਾਰੇ ਸਾਡਾ ਸਾਹਿਤ ਸਾਡੇ ਸਾਹਿਤਕਾਰ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਗੱਲ ਕਰਦੇ ?

ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਤੇ ਸੋਚਣ ਵਾਲਾ ਸਵਾਲ ਹੈ। 🙏

ਸਾਹਿਤ ਸਮਾਜ ਦਾ ਦਰਪਣ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਹਰ ਯੁੱਗ ਵਿੱਚ ਦਰਪਣ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਅਲੱਗ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ। ਲਿੰਗ-ਪੱਖਪਾਤੀ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਦੀ ਦੁਰਵਰਤੋਂ ਅਤੇ ਮਰਦਾਂ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਬਾਰੇ ਸਾਹਿਤਕਾਰ ਘੱਟ ਗੱਲ ਕਿਉਂ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਇਸ ਦੇ ਕੁਝ ਕਾਰਣ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ:
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1. ਸਮਾਜਿਕ ਧਾਰਣਾਵਾਂ ਦਾ ਦਬਾਅ

ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਔਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੀੜਿਤ ਅਤੇ ਮਰਦਾਂ ਨੂੰ “ਹਾਵੀ” ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ।

ਇਸ ਕਾਰਣ ਜੇ ਕੋਈ ਸਾਹਿਤਕਾਰ ਮਰਦਾਂ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਬਾਰੇ ਗੱਲ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਮਾਜ ਉਸਨੂੰ “ਔਰਤ ਵਿਰੋਧੀ” ਕਰਾਰ ਦੇ ਸਕਦਾ ਹੈ।

2. ਫੈਮਿਨਿਸਟ ਲਹਿਰ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪਿਛਲੇ ਕਈ ਦਹਾਕਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਹਿਤ ਤੇ ਮੀਡੀਆ ਵਿੱਚ ਔਰਤਾਂ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਲਈ ਵੱਡਾ ਮੋਰਚਾ ਚੱਲਿਆ।

ਇਸ ਦੇ ਕਾਰਨ “ਮਰਦਾਂ ਦੇ ਮਸਲੇ” ਹਾਸੀਏ ’ਤੇ ਚਲੇ ਗਏ।

3. ਜਾਗਰੂਕਤਾ ਦੀ ਘਾਟ

ਆਮ ਜਨਤਾ ਵਾਂਗ ਸਾਹਿਤਕਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਇਹ ਗਹਿਰਾਈ ਨਾਲ ਸਮਝ ਨਹੀਂ ਬਣੀ ਕਿ ਕਈ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਦੀ ਦੁਰਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਮਰਦ ਵੀ ਸ਼ਿਕਾਰ ਬਣ ਰਹੇ ਹਨ।

4. ਸਾਹਿਤਕ ਧਾਰਾ ਅਤੇ ਰੁਝਾਨ

ਅਕਸਰ ਸਾਹਿਤ ਵਿੱਚ “ਪੀੜਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ” ਜ਼ਿਆਦਾ ਜਗ੍ਹਾ ਲੈਂਦੀ ਹੈ।

ਸਮਾਜਿਕ ਧਾਰਣਾਵਾਂ ਕਰਕੇ ਸਾਹਿਤਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪੀੜਤ ਸਿਰਫ਼ ਔਰਤ ਹੀ ਹੈ।

5. ਡਰ ਅਤੇ ਵਿਰੋਧ

ਮਰਦਾਂ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਬਾਰੇ ਲਿਖਣ ਵਾਲੇ ਸਾਹਿਤਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ’ਤੇ ਵਿਰੋਧ, ਟਿੱਪਣੀਆਂ ਅਤੇ ਬਹਿਸ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਕਾਰਨ ਬਹੁਤੇ ਸਾਹਿਤਕਾਰ ਖਾਮੋਸ਼ ਰਹਿਣਾ ਹੀ ਠੀਕ ਸਮਝਦੇ ਹਨ।

👉 ਪਰ ਹੁਣ ਦੀ ਲੋੜ

ਸਾਹਿਤ ਨੂੰ ਨਿਰਪੱਖ ਹੋ ਕੇ ਦੋਨੋਂ ਪਾਸਿਆਂ ਦੀ ਸੱਚਾਈ ਦਰਸਾਉਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।

ਮਰਦਾਂ ਦੀਆਂ ਪੀੜਾਵਾਂ, ਕਾਨੂੰਨੀ ਦੁਰਵਰਤੋਂ ਅਤੇ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਸੰਘਰਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਸਾਹਿਤ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਉਣਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ।

ਨਵੇਂ ਲੇਖਕਾਂ, ਕਵੀਆਂ ਅਤੇ ਨਾਟਕਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਮੌਜ਼ੂ ਤੋੜੇ-ਬੰਦ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਖੋਲ੍ਹਣੇ ਪੈਣਗੇ
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ताली की गूंज ही हौसलों को उड़ान देती है,Audience की मौजूदगी ही शायरी को जान देती है।PLS FOLLOW MY FACEBOOK PAGEhttps://w...
19/09/2025

ताली की गूंज ही हौसलों को उड़ान देती है,
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ਹਰ ਦਰਦ ਇੱਕ ਸਬਕ ਦਿੰਦਾ ਹੈਅਤੇ ਹਰ ਸਬਕ ਇਨਸਾਨ ਨੂੰ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ ਹੈ .PLS FOLLOW MY FACEBOOK PAGE https://www.facebook.com/randhawap...
19/09/2025

ਹਰ ਦਰਦ ਇੱਕ ਸਬਕ ਦਿੰਦਾ ਹੈ
ਅਤੇ ਹਰ ਸਬਕ ਇਨਸਾਨ ਨੂੰ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ ਹੈ .
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उड़ने दे परिंदों को आज़ाद फ़िज़ा में ग़ालिब...जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएंगे किसी रोज़.PLS FOLLOW MY FACEBOOK PAGEhttps...
18/09/2025

उड़ने दे परिंदों को आज़ाद फ़िज़ा में ग़ालिब...
जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएंगे किसी रोज़.
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ਨੀ ਹਾਕੀਏ ! ਤੈਨੂੰ ਉਤਸਾਹਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਮੈਂ ਕੀ ਕੀ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ |ਚੱਕ ਦੇ ਇੰਡੀਆ 'ਫਿਲਮ ਆਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅਸੀਂ ਆਪਣੀ ਮੋਬਾਈਲ ਤੇ ਚੱਕ ਦੇ ਚੱਕ ਦੇ ਇ...
18/09/2025

ਨੀ ਹਾਕੀਏ ! ਤੈਨੂੰ ਉਤਸਾਹਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਮੈਂ ਕੀ ਕੀ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ |
ਚੱਕ ਦੇ ਇੰਡੀਆ 'ਫਿਲਮ ਆਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅਸੀਂ ਆਪਣੀ ਮੋਬਾਈਲ ਤੇ ਚੱਕ ਦੇ ਚੱਕ ਦੇ ਇੰਡੀਆ ਦੇ ਗਾਣੇ ਦੀ Ringtone ਲਵਾ ਛੱਡੀ ਜੋ ਅਜੇ ਤੱਕ ਵੀ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਆ ਸਿਰਫ ਇਸ ਕਰਕੇ ਕੇ ਜਿਹੜਾ ਸਾਨੂੰ ਫੋਨ ਕਰੇਗਾ ਉਸ ਨੂੰ ਸ਼ਾਹਰੁਖ ਖਾਨ ਦੀ ਹਾਕੀ ਫਿਲਮ 'ਚੱਕ ਦੇ ਇੰਡੀਆ 'ਯਾਦ ਆਏ ਗੀ ਤੇ ਇਸ ਬਹਾਨੇ ਉਹ ਕੁਝ ਮਿੰਟ ਹਾਕੀ ਵੱਲ ਵੀ ਧਿਆਨ ਦੇਵੇਗਾ |

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18/09/2025

ਕਦੋਂ ਬਣੇਗਾ ਪਿੰਡਾਂ 'ਚ ਮੁੜ ਹਾਕੀ ਦਾ ਮਾਹੌਲ ?
ਸਦਕੇ ਜਾਵਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਕੋਚ ਸਹਿਬਾਨ ਦੇ ਜੋ ਆਪਣੇ ਨਿੱਜੀ ਯਤਨ ਕਰ ਰਹੇ ਨੇ
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18/09/2025

ਵੇਖੋਂ ਤਾਂ ਸਹੀ ਇਹ ਛੋਟੇ ਬੱਚੇ ਆਪਣਾ ਦਿਲ ਹਾਕੀ ਨੂੰ ਦੇ ਚੁੱਕੇ ਨੇ
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18/09/2025

ਨਿੱਕੇ ਨਿੱਕੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਹਾਕੀ ਖੇਡਣ ਦਾ ਕਿੰਨਾ ਚਾਅ
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फ़्रांस की लोक-कहानी — मॉर्गेन और अंगूरों की पहरेदारएक बार की बात है — फ्रांस के पश्चिमी तट के पास, नील-हरा पहाड़ और चट्...
18/09/2025

फ़्रांस की लोक-कहानी — मॉर्गेन और अंगूरों की पहरेदार
एक बार की बात है — फ्रांस के पश्चिमी तट के पास, नील-हरा पहाड़ और चट्टानी तटों के बीच एक छोटा सा गाँव था। गाँव का नाम था सेंट-ल्यूक। वहाँ के लोग मद्धम-स्वर में बातें करते, सुबह जल्दी उठकर अंगूरों की बेलों में काम करते और शाम को सेने नदी के किनारे बैठकर पुरानी बातें सुनाया करते।
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गाँव के पास एक पुराना महल था — अब खंडहर बन चुका — जहाँ कभी लॉरेन वंश राज करता था। महल के ठीक नीचे एक छोटा, पर कस्बे वालों के लिए अमूल्य, अंगूर का बाग़ था। उस बाग़ का नाम था मिमोसा-बाग़। यहाँ के अंगूर सुनहरे और रसदार होते थे; गाँव की वाइन दूर-दूर तक मशहूर थी। पर पाँच साल से खेती सूखने लगी थी — बेलों पर कीड़े, मिट्टी थकी हुई और किस्मत-सी उदास — मन ही मन गाँव वाले सोचते कि किसी ने गाँव से सौभाग्य छीन लिया है।

गाँव में एक वृद्ध वाइनमेकर रहता था — जैक्स वैरने। जैक्स का चेहरा समय की तरह गहरा था, पर उसकी आँखों में वही चटकीलेपन था जो अंगूरों में मिठास लाता था। उसने गाँव के लोगों को समझाया: “किसी जादू ने नहीं लिया खुशियाँ — हम ने अपना ध्यान खो दिया है। पर मैं जानता हूँ, इस बाग़ की सूरत बदल सकती है।”

एक जून की पूर्णिमा की रात, जब चाँद सेना नदी पर चाँदनी बिछाकर बह रहा था, जैक्स बाग़ में अकेला काम कर रहा था। तभी नदी की ओर से धीरे-धीरे किसी का गीत सुनाई दिया — एक मीठी, पर अनजानी आवाज़, ऐसा गीत जो पानी की लहरों से उतरकर बेलों में बुन जाता था। जैक्स ने देखा — नदी के किनारे एक औरत खड़ी थी; उसका सिर काले लंबे बालों में लिपटा, आँखें गहरी और चमकीली; कपड़े हल्के नीले और चेहरे पर एक अजीब-सा शान्ति। गाँव के किस्से उसे बताते थे — समुद्र की औरतें, मॉर्गेन जैसी — जो चमत्कार करती हैं, पर उनकी शर्तें भी होती हैं।

मॉर्गेन ने जैक्स से कहा: “तुम्हारे अंगूरों ने मेरा ध्यान खींचा। मैं इस बाग़ की पहरेदार हूँ — पर पाँच साल पहले तुम लोगों की बेज़रूरतियाँ और आपसी झगड़े मेरे वचन को तोड़ने लगे। मैं तब तक नहीं आई जब तक गाँव ने फिर से एकता न दिखाई।” उसने एक हल्की सी मुस्कान दी और थपकी में कहा, “मैं एक शर्त दूँगी: तीन रातें मैं आकर बाग़ की रक्षा करूँगी और तुमको रहस्य बताऊँगी। पर एक बात का वादा करना — पूरा गाँव मिलकर एक बार फिर बीज बोयेगा, और कोई झूठ, कोई चोरी नहीं होगी।”

जैक्स ने बिना देर किए जवाब दिया: “हम वचन निभाएँगे।” गाँव वालों को इस रात का पता नहीं था — पर जैक्स ने अगले दिन सबको बुलाया और मॉर्गेन की शर्त बताई। सापेक्षिक संदेह के बावजूद, गाँव ने हाथ से हाथ मिलाया — क्योंकि उनकी ज़िन्दगियाँ उसी बाग़ से जुड़ी थीं। उन्होंने सब मिलकर मिट्टी को जोड़ना शुरू किया, खेतों को साफ किया, और हर दिन शाम को मिलकर खाना बाँटा। धीरे-धीरे पुरानी नादानियाँ खत्म हुईं — लोग फिर से एक साथ काम करने लगे।

तीन रातों में मॉर्गेन आई — वह चाँदनी में नदी से उठकर बाग़ की बेलों में बैठी, फुसफुसाई और अंगूरों पर अपनी उँगलियाँ रुई-सी फेरती। चमत्कार हुआ: कीड़े गायब हुए, बेलों पर नई पत्तियाँ निकलीं, मिट्टी नर्म और सुगन्धित हो गई। गाँव वालों की मेहनत और मॉर्गेन की रूहानी छुअन ने बाग़ में नए जीवन का संचार कर दिया। पर हर रात मॉर्गेन एक पहेली भी बताती — एक पुरानी याद की तरह। वह कहती: “हर चीज़ का मोल है — पर असली मोल विश्वास है।”

तीसरी रात के बाद मॉर्गेन ने जैक्स को अकेला बुलाया और कहा, “अब मैं तुम्हें बाग़ का रहस्य बताऊँगी — पर ध्यान से सुनो। इस बाग़ की जड़ें एक पुराने वचन से बँधी हैं। पचास पीढ़ी पहले एक रानी ने यहाँ जीवन और प्रकृति की रक्षा के लिए एक वादा किया था: जिसे भी ज़मीन ने चुना होगा, वह स्वार्थ नहीं करेगा। पर जब मनुष्य स्वार्थी हो गया, तो वादा टूट गया। मैंने सौभाग्य रखा — और अब जब तुमने फिर से एकता दिखाई है, मैं सौभाग्य लौटाऊँगी — पर एक शर्त और है: इस बाग़ की रक्षा अब केवल एक ही तरीक़े से होगी — हर साल गाँव के मध्य में एक रात का उत्सव होगा जहाँ लोग अपने बाकी साल की चिंता छोड़कर धन्यवाद और वचन दें।”

जैक्स ने पूछा, “और अगर वे भूल जाएँ?”

मॉर्गेन ने आँखों में उदासी लिए कहा, “तो बाग़ फिर उदास हो जाएगा। प्रकृति को रोज़ ध्यान चाहिए, वचन चाहिए — यह कोई एक बार का जादू नहीं।”

समझदारी और कृतज्ञता के साथ गाँव वालों ने यह नियम अपनाया। उन्होंने हर साल फेट-डू-बाग़ (बाग का उत्सव) मनाया — नाच, गीत, पुरानी कहानियाँ, और अंगूरों की पहली फसल का धन्यवाद। तभी से बाग़ हर साल समृद्ध हुआ और वाइन की खुशबू दूर-दूर तक फैली। जैक्स की वाइन इतनी मशहूर हुई कि लोग उसे “सेंट-ल्यूक की चाँदनी” कहने लगे — क्योंकि उसकी हर बोतल में उस पहली पूर्णिमा की चाँदनी की झलक मिलती थी।

पर कहानी में एक और मोड़ था। कुछ सालों बाद गाँव में एक अजनबी व्यापारी आया — उसने वाइन की मांग देखी और कहा, “इन अंगूरों से मैं बहुत पैसा कमाऊँगा; मुझे सब बाग़ दे दो।” उसने गाँव वालों को अलग-थलग करने की कोशिश की, उन्हें बड़ी रकम दिखाकर आपसी झगड़े उकसाए। थोड़े से दिन में ही फिर वही पुरानी विभाजन की हवा आने लगी — लोग हर सौदे के पीछे भागने लगे। उसी रात मॉर्गेन नदी के किनारे आई और चुपचाप बाग़ की ओर चली। उसने अपने हाथ फेरा, और हवा में एक ठंडी लहर चली — पर उसने कुछ और भी किया: उसने गाँव वालों के दिलों में पुरानी यादें, उन संयुक्त उत्सवों की खुशियाँ और जैक्स की सच्ची निष्ठा लौटा दी।

अगली सुबह जब लोग उठे, उन्हें समझ आया कि पैसे का लालच अस्थायी है, पर साथ जीने का सम्मान स्थायी। व्यापारी भी चुपचाप चला गया — क्योंकि इस गाँव की माटी में, और वहाँ की आत्माओं में, पैसे से बड़ा सम्मान था। मॉर्गेन ने एक आख़िरी बार जैक्स से कहा, “मैं हमेशा पास की नदी में रहूँगी। यदि तुम और तुम्हारे वंश यह वचन निभाओगे, तो अंगूरों के साथ यहाँ प्रेम भी फलता रहेगा।”

समय गुजरता गया — पीढ़ियाँ आईं और गयीं। बाग़ कभी सूखा, कभी फलता; पर हर संकट में गाँव ने मिलकर काम किया। बच्चे मॉर्गेन के गीत गाते हुए नदी के किनारे खेलते — और हर पूर्णिमा की रात, जब चाँद उगता, वहाँ एक हल्की सी आवाज़ आती: “धन्यवाद, और याद रखो।”

कई साल बाद, जैक्स बूढ़ा और शांत होकर एक शाम सेने नदी के किनारे गया। मॉर्गेन नदी में तैरती हुई आई और बोली, “तुमने अपनी ज़िन्दगी नेकाइयों से भरी। अब तुम विश्राम के योग्य हो।” जैक्स मुस्कुराया और बोतल में शब्दों जैसा—एक आख़िरी टुकड़ा वाइन पीकर नदी की ओर बढ़ा। पर गाँव वालों ने देखा कि जैक्स का चेहरा हमेशा की तरह खुशी से चमक रहा था — जैसे जिसने अपना कर्तव्य निभा लिया हो। कहा जाता है कि जैक्स की आत्मा उस रात एक छोटी रोशनी बनकर नदी में विलीन हो गई — और अगले सर्दियों में बाग़ की एक बेल पर एक नया मुट्ठी-सा किला निकला — जैसे जैक्स ने खुद गाँव के लिए अपनी अंतिम सुरक्षा छोड़ दी हो।

आज भी अगर आप सेंट-ल्यूक जैसे किसी क़स्बे में जाएँ — और नदी की मीठी हवा में कान लगाओ — शायद तुम मॉर्गेन का गीत सुनो। और अगर तुम बाग़ों के बीच सेना किनारे चलो, किसी बूढ़े वाइनमेकर की तस्वीर देख कर लोग बतायेंगे कि कैसे एक नदी की औरत ने गाँव की आत्मा बचाई — पर असली हीरो वही थे जो मिलकर काम कर सके: मेहनत, वचन और एकता।

कहानी की सीख

प्रकृति के साथ रिश्ता सिर्फ उपयोग का नहीं — यह बन्धन और सम्मान माँगता है।

छोटे-छोटे सामाजिक वचन और साझा उत्सव समुदाय की रक्षा करते हैं।

सच्ची संपत्ति वह है जो आप साझा करते हैं: भरोसा, परम्परा और मेहनत।

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1975 ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਨੇ ਕੁਆਲਾਲੰਪੁਰ (ਮਲੇਸ਼ੀਆ) ਵਿੱਚ ਹਾਕੀ ਵਰਲਡ ਕੱਪ ਜਿੱਤਿਆ ਸੀ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਪੂਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਖੁਸ਼ੀ ਦੀ ਲਹਿਰ ਦੌੜ ਗਈ ਸੀ। ਉਸ ...
18/09/2025

1975 ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਨੇ ਕੁਆਲਾਲੰਪੁਰ (ਮਲੇਸ਼ੀਆ) ਵਿੱਚ ਹਾਕੀ ਵਰਲਡ ਕੱਪ ਜਿੱਤਿਆ ਸੀ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਪੂਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਖੁਸ਼ੀ ਦੀ ਲਹਿਰ ਦੌੜ ਗਈ ਸੀ। ਉਸ ਇਤਿਹਾਸਕ ਜਿੱਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਮੰਬਈ (ਤਦੋਂ ਬੰਬਈ) ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਖਾਸ ਸੈਲੀਬ੍ਰੇਸ਼ਨ ਮੈਚ ਹੋਇਆ ਸੀ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਫਿਲਮ ਸਟਾਰਾਂ ਨੇ ਵੀ ਹਾਕੀ ਖੇਡੀ।

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ਉਸ ਸਮੇਂ ਬਾਲੀਵੁੱਡ ਦੇ ਵੱਡੇ ਸਿਤਾਰੇ ਜਿਵੇਂ ਰਾਜ ਕਪੂਰ, ਦਿਲੀਪ ਕਮਾਰ, ਦੇਵ ਆਨੰਦ ਵਰਗੇ ਕਲਾਕਾਰ । ਰਾਜੇਸ਼ ਖੰਨਾ, ਅਮਿਤਾਭ ਬੱਚਨ, ਸ਼ੱਤਰੁਘਨ ਸਿੰਘਾ, ਵਿਨੋਦ ਖੰਨਾ, ਜਿਤੇਂਦਰ, ਧਰਮੇੰਦਰ ਆਦਿ ਨੇ ਹਾਕੀ ਦਾ ਮੈਚ ਖੇਡਿਆ ਸੀ।

ਇਹ ਮੈਚ ਸਿਰਫ਼ ਮਨੋਰੰਜਨ ਲਈ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਸਗੋਂ ਹਾਕੀ ਦੀ ਮਹਾਨ ਜਿੱਤ ਨੂੰ ਸਲਾਮ ਕਰਨ ਲਈ ਆਯੋਜਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ।

ਸਟੇਡੀਅਮ ਦਰਸ਼ਕਾਂ ਨਾਲ ਖਚਾਖਚ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਫਿਲਮ ਸਟਾਰਾਂ ਨੂੰ ਹਾਕੀ ਸਟਿਕ ਨਾਲ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚ ਦੌੜਦੇ ਦੇਖ ਕੇ ਖੂਬ ਮੌਜ ਮਾਣੀ।

ਇਹ ਮੈਚ ਹਾਕੀ ਪ੍ਰਤੀ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਸਿਤਾਰਿਆਂ ਦੇ ਜਜ਼ਬੇ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਪ੍ਰੇਮ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ ਸੀ।

ਇਹ ਇਕ ਇਤਿਹਾਸਕ ਯਾਦਗਾਰੀ ਪਲ ਸੀ ਜਦੋਂ ਬਾਲੀਵੁੱਡ ਅਤੇ ਹਾਕੀ ਇਕੱਠੇ ਆਏ ਤੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਦਿਲਾਂ ਨੂੰ ਛੂਹ ਗਏ। 🏑✨🎥

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